राज्य सरकार के ही पास था ओबीसी डेटा, अब तक बेवजह की जा रही थी दिशाभूल
भाजपा विधायकों ने सरकार से की ओबीसी समाज से माफी मांगने की मांग
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अकोला/दि.21- ओबीसी आरक्षण के लिए आवश्यक डेटा राज्य सरकार द्वारा आज सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. साथ ही सरकार ने यह भी मान्य कर लिया कि, ओबीसी समाज से संबंधित डेटा उसके ही पास था, जबकि अब तक डेटा नहीं रहने की बात कहते हुए महाविकास आघाडी सरकार ने ओबीसी समाज के साथ एक तरह की धोखाधडी की. साथ ही अदालत का समय भी बर्बाद किया. ऐसे में महाविकास आघाडी के नेताओं ने ओबीसी समाज से माफी मांगनी चाहिए, इस आशय की मांग भाजपा विधायक संजय कुटे, रणधीर सावरकर, आकाश फुंडकर, प्रकाश भारसाकले व श्वेता महाले द्वारा की गई है.
इन भाजपा विधायकों के मुताबिक राज्य सरकार ने काफी लंबी ना-नुकूर के बाद ओबीसी समाज से संबंधित डेटा राज्य ओबीसी आयोग को दिया है और सर्वोच्च न्यायालय में यह डेटा दिखाये जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने ही इसे राज्य ओबीसी आयोग के सुपुर्त करने के निर्देश राज्य सरकार को दिये. साथ ही राज्य ओबीसी आयोग को अगले पंद्रह दिनों के भीतर ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में निर्णय लेने को कहा. इससे यह स्पष्ट है कि, राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, मंत्री छगन भुजबल व विजय वडेट्टीवार तथा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले जैसे महाविकास आघाडी के नेताओं ने गलत बयानबाजी करते हुए लगातार केंद्र सरकार की ओर उंगलिया दिखाई और केंद्र सरकार के नाम बेसिरपैर के आरोप लगाये. किंतु अब खुद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मान्य किया है कि, उसके पास ही यह डेटा उपलब्ध था. जिसका साफ मतलब है कि, इस विषय को लेकर महाविकास आघाडी के नेताओं द्वारा अब तक ओबीसी समाज को बेवकूफ बनाया गया और ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य स्थानीय स्वायत्त निकायों में चुनाव करवाये जाने की जो नौबत बनी उसके लिये भी खुद राज्य सरकार जिम्मेदार है. यदि यहीं डेटा राज्य सरकारने दो वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध करा दिया होता, तो आज ओबीसी संवर्ग को आरक्षण मिला होता. किंतु जानबूझकर ओबीसी समाज हेतु आरक्षित सीटों पर धनवान लोगों को लाकर उन्हें टिकट देने का षडयंत्र महाविकास आघाडी द्वारा रचा गया. इसके साथ ही भाजपा विधायकों ने यह मांग भी उठाई की आगामी चुनाव से पहले राज्य निर्वाचन आयोग व राज्य सरकार द्वारा आवश्यक निर्णय लिये जाये, ताकि ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव करवाने की नौबत न आये.