सभी पार्टियां अपना दम आजमाने तैयार!

मनपा चुनाव हेतु प्रत्याशी तय करने में वरिष्ठों के छूट रहे पसीने

* सभी दलों को सता रहा असंतुष्टों की बगावत का खतरा
* मनपा चुनाव लडने हेतु सभी दलों के पास इच्छुकों की तौबा भीड
अमरावती/दि.8 – भले ही आपसी एकजुटता का नारा देते हुए महायुति व महाविकास आघाडी के घटक दलों ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव का सामना किया था, परंतु वे तमाम घटक दल नगर परिषद व नगर पंचायत के चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ खडे नजर आ रहे है. साथ ही अब मनपा के आगामी चुनाव में भी सभी दल शहरी क्षेत्र में अपनी-अपनी ताकत आजमाने व दिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार है और अलग-अलग चुनाव लडते हुए अपने विरोधी दलों के साथ-साथ मित्र दलों के साथ भी भिडने की पूरी तैयारी कर रहे है. जिसके चलते सभी दलों में चुनाव जीतने की क्षमता रहनेवाले प्रत्याशियों के नामों पर विचार-विमर्श करते हुए उन्हें दावेदार बनाकर मैदान में उतारने की तैयारियां चल रही है. परंतु ऐसा करने में सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं के जमकर पसीने छूट रहे है. क्योंकि सभी प्रमुख दलों के पास टिकट हेतु इच्छुकों की अच्छी-खासी भीडभाड है और सभी दलों को टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर असंतुष्टों द्वारा बगावत किए जाने का डर भी सता रहा है.
बता दें कि, अमरावती महानगर पालिका में सन 1992 से लेकर सन 2017 तक सर्वाधिक समय कांग्रेस की सत्ता रही. वहीं सन 2017 में हुए मनपा चुनाव में भाजपा ने पहली बार रिकॉर्ड 45 सीटें जीतकर मनपा की सत्ता कांग्रेस के हाथ से छीन ली. जबकि इससे पहले वर्ष 2012 में हुए मनपा चुनाव में भाजपा को केवल 7 सीटें मिली थी. ऐसे में महज 5 वर्षों के दौरान 7 सीटों से उछाल भरते हुए 45 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत के साथ मनपा की एकतरफा सत्ता हासिल करनेवाली भाजपा का प्रदर्शन सभी के लिए आकर्षण का केंद्र रहा. उस समय भाजपा तत्कालिन विधायक डॉ. सुनील देशमुख व विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे के पास भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान की कमान थी. जिसके चलते इन्हीं दोनों नेताओं को भाजपा की उस शानदार जीत का शिल्पकार माना गया.
परंतु वर्ष 2017 की तुलना में अब राज्य के साथ-साथ अमरावती जिले, विशेषकर अमरावती मनपा क्षेत्र में भी राजनीतिक हालात पूरी तरह से बदल गए है. वर्ष 2017 के मनपा चुनाव पश्चात वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के समय उस वक्त कांग्रेस में रहनेवाले संजय खोडके ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में प्रवेश कर लिया था और सुलभा खोडके अमरावती सीट से कांग्रेस की विधायक भी निर्वाचित हुई थी, जो आगे चलकर राकांपा में हुए दोफाड के बाद अपने पति संजय खोडके के साथ अजीत पवार गुट वाली राकांपा में शामिल हो गई. साथ ही संजय खोडके भी अजीत पवार गुट वाली राकांपा की ओर से विधान परिषद में सदस्य निर्वाचित हुए. जबकि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में हार जाने के बाद डॉ. सुनील देशमुख ने भाजपा छोडकर एक बार फिर कांग्रेस में प्रवेश कर लिया, तो दूसरी ओर लंबे समय तक अमरावती में भाजपा का प्रमुख चेहरा रहनेवाले पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता ने वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ बगावत करने के साथ ही पार्टी द्वारा निष्कासीत किए जाने के बाद शिंदे गुट वाली शिवसेना में प्रवेश कर लिया था. इसके साथ ही विधानसभा चुनाव के समय खुद भाजपा में हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर दो अलग-अलग गुट बन गए थे. जिसमें से पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल का गुट महायुति प्रत्याशी सुलभा खोडके के पक्ष में था. वहीं पूर्व सांसद नवनीत राणा के गुट ने हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा के बागी प्रत्याशी व पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता की दावेदारी का समर्थन किया था. इन तमाम बातों का असर अब मनपा के आगामी चुनाव पर दिखाई देने के पूरे आसार है. उधर दूसरी ओर महायुति में शामिल युवा स्वाभिमान पार्टी के विधायक रवि राणा भी अब शहर सहित जिले में बडी तेजी के साथ अपनी पार्टी का विस्तार करने हेतु पूरा जोर लगा रहे है. जिनकी भूमिका की ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है. वहीं शिवसेना के दोनों गुटों यानि एकनाथ शिंदे व उद्धव ठाकरे के गुटों सहित शरद पवार गुट वाली राकांपा भी इस समय अपनी-अपनी राजनीतिक ताकत का जायजा ले रहे है. जिसके चलते नगर पालिका चुनाव के परिणाम पश्चात मनपा चुनाव की सरगर्मीया बढने के पूरे आसार दिखाई दे रहे है.
बता दें कि, मनपा का चुनाव लडने के इच्छुकों ने वर्ष 2017 में निर्वाचित मनपा के सभी पार्षदों का कार्यकाल वर्ष 2022 के मार्च माह में खत्म हो गया था. जिसके बाद मनपा का अगला चुनाव कराया जाना अपेक्षित था. परंतु कोविड संक्रमण व लॉकडाउन सहित ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर चल रही सुनवाई के चलतेे मनपा सहित सभी निकायों के चुनाव लगातार आगे टलते रहे. हालांकि विगत 4 वर्षों के दौरान कई बार निकाय चुनाव होने को लेकर अलग-अलग तरह की चर्चाएं भी चली और ऐसी चर्चाओं को ध्यान में रखते हुए मनपा चुनाव लडने के इच्छुकों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां भी करनी शुरु की, परंतु इससे पहले उन्हें हर बार निराशा का ही सामना करना पडा. क्योंकि हर बार किसी न किसी वजह के चलते चुनाव आगे टलते रहे और अब जब वाकई चुनाव होने जा रहे है, तो इच्छुकों ने अब तक की पूरी ‘कसर’ निकालने के लिए अपने तैयारियों को मुकम्मल करना शुरु कर दिया है. जिसके चलते सभी राजनीति दलों के पास एक-एक सीट के लिए कई इच्छुकों की ओर से दावेदारी है. ऐसे में जहां एक ओर सभी राजनीतिक दल मनपा चुनाव में अपनी पार्टी की ताकत दिखाने की तैयारी में जुटे हुए है. वहीं दूसरी ओर दावेदारों की संख्या अधिक रहने के चलते टिकट बंटवारे के समय उन्हें टिकट कट जाने के चलते असंतुष्टों द्वारा की जानेवाली बगावत का भी डर सता रहा है. क्योंकि ऐसी बगावत की वजह से निश्चित तौर पर प्रतिस्पर्धियों व विरोधियों को ही ताकत मिलने की पूरी संभावना है.
खास बात यह भी है कि, सभी राजनीतिक दलों द्वारा दूसरे दलों के दमदार दावेदारों सहित आगे चलकर बगावत कर सकनेवाले इच्छुकों पर भी नजर रखी जा रही है और उन्हें अभी से अपने पाले में करने के प्रयास भी किए जा रहे है, ताकि अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके. जिसके चलते आनेवाले समय में बडे पैमाने पर दलबदल होने की पूरी संभावना है.

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