कोरोना सच नहीं यह अंतरराष्ट्रीय प्रशासकीय षडयंत्र है
जनता के प्रश्नों का जवाब देने से अधिकारी मुकर गए
प्रतिनिधि/ दि.२१ अमरावती– सत्याग्रह फोरम की ओर से जिलाधिकारी, निगमायुक्त, पुलिस आयुक्त, पुलिस अधिक्षक, जिला शल्यचिकित्सक, जिला स्वास्थ्य अधिकारी को कोरोना की हकीकत पूछने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था. सभी ने आने के लिए रजामंदी दी थी, जिसके कारण कई लोग उनकी राह देख रहे थे. परंतु कोरोना सत्य नहीं है, यह एक अंतरराष्ट्रीय प्रशासकीय षडयंत्र है. इसिलिए सभी संबंधित अधिकारी इस कार्यक्रम में आने से कतराते रहे, ऐसा स्पष्ट आरोप फोरम के प्रदेशाध्यक्ष धनंजय देशमुख ने जारी पत्र के माध्यम से लगाया है. उन्होेंने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि कोरोना के नाम के पीछे लॉकडाउन कर व्यवसायिक, किसान, मजदूर, छोटे-बडे व्यवसायी, कारीगर के पास रोजगार न होने के कारण भुखमरी आ रही है. सोशल मीडिया पर कई तज्ञों ने कहा है कि कोरोना नाम की बीमारी ही नहीं है. जो लोगों की मौत हुई वे भी कोरोना के कारण नहीं मरे. हमें भी समझता है कि कोरोना बीमारी की दवा नहीं है फिर मरीज ठिक कैसे होते है? उन मरीजों को सर्दी, खांसी बुखार की दवा देकर ठिक किया जा सकता है तो वह दवा हम घर में भी ले सकते है. इससे पहले भी घर में अगर एक व्यक्ति को सर्दी हुई तो दूसरे को भी होती थी. उस समय सर्दी के कारण कोई नहीं मरता था. आज कोरोना नाम की बडे पैमाने पर दहशत निर्माण कर कुछ मरीज सिर्फ दहशत के मारे मर रहे है. कोरोना यह सत्य नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र है, ऐसा भी किसान नेता कैलास फाटे ने कहा. विद्यार्थी, व्यापारी की भूमिका रखते हुए सत्याग्रह फोरम के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि कोेरोना की चेन तोडना है तो हमें एक महिने का अनाज हर घर में पहुंचाकर दें, पुलिस कर्मचारी, मनपा कर्मचारी, विभिन्न बाहर सेवा देने वाले कर्मचारी के घर भी अनाज पहुंचाए फिर देखों हम में से कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं जाएगा. परंतु इसके बाद हमारी उपजीविका के लिए हमें पूरी स्वतंत्रता दे, ऐसा कहते हुए अधिकारी उपस्थित न रहने के कारण कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया व यह लोकतांत्रिक नहीं बल्कि अधिकारियों का गुंडाराज है, ऐसा दिखाई दे रहा है, इसके लिए हम अब असहयोग आंदोलन करेंगे, ऐसा सत्याग्रह फोरम के अध्यक्ष डॉ.गौतमऋषि मोरे ने कहा. इस समय धनंजय देशमुख, गौतम मोरे, कलास फाटे, राजु तायडे, आनंद आमले, अमर मेसकर, अमीत राठोड, विजय उंबेकर, भय्यू हिरानी, जय लोटंगिया, किरण गुडधे, गणेश मुंद्रे, सतीेश ढोरे, संतोष सातपुते, गजेंद्र खंडारे, जहीर खान, अफसरभाई, शिवम गाढवे, चेतन पाटिल, रुपेश गणवीर, मजीद खान आदि उपस्थित थे.