बारिश के दिनों में बढ जाती है दमे की तकलीफ
अमरावती/दि.31 – बारिश वाले दिनों में बदरिले मौसम तथा उमस भरे वातावरण की वजह से हवा अशुद्ध रहने के चलते दमे की तकलीफ बढ जाती है. दमे की तकलीफ शुरु होने पर श्वासनलिका में सुजन आ जाती है और वह संकुचित हो जाती है. इससे कफ होने का प्रमाण बढ जाता है और सांस लेने में तकलीफ भी होती है. इसके साथ ही खांसी आना, दम फुलना, अस्वस्थ महसूस होना और सीने में भारीपन लगना जैसे लक्षण भी महसूस होते है.
* क्यों बढता है खतरा
बारिश वाले दिनों के दौरान आर्द्रता, नमी और उमस वाला मिश्रीत वातावरण रहता है. इसकी वजह से परागकण और फफुंद का प्रमाण बढ जाता है. नमी व आर्द्रता रहने वाले स्थान पर फफुंद लगने का प्रमाण अधिक दिखाई देता है. साथ ही वातावरण में रहने वाले परागकण श्वासनलिका के जरिए शरीर में प्रवेश करते है. जिसकी वजह से बारिश वाले दिनों में श्वसन संबंधित विकारों, विशेष कर दमा यानि अस्थमा की तकलीफ बढ जाती है.
* क्या हैं अस्थमा के लक्षण?
दमा यानि अस्थमा के मरीजों को बार-बार छींक आती है और उन्हें सांस लेेने में दिक्कत होती है. हमेशा सर्दी-खांसी होना, आंखों में जलन व खुजली होना, गले में खराश होना तथा बदनदर्द होना आदि को दमा का लक्षण कहा जा सकता है.
* साफ-सफाई जरुरी
– कई बार घर में जमा रहने वाली धुल और दीवार अथवा छत पर रहने वाली नमी की वजह से दमा की तकलीफ बढने की संभावना बन जाती है. अत: घर में हमेशा साफ-सफाई बनाई रखनी चाहिए.
– इसके साथ ही नियमित तौर पर श्वसन से संबंधित व्यायाम, योगासन व प्राणायाम भी करने चाहिए.
* यह सावधानी भी जरुरी
दमा के मरीजों ने हमेशा ताजे व गरम खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए. साथ ही ब्लैक टी व सुप जैसे गरम पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए. इसके अलावा भोजन में ब्राउन राइस, हरी साग-सब्जियां, गाजर, अंकुरित अनाज व अंडे का समावेश करना चाहिए.
* बारिश वाले दिनों के दौरान मौसम में काफी हद तक नमी व आर्द्रता रहती है. जिसके चलते फफुंदजन्य विषाणुओं व जीवाणुओं की वृद्धि काफी तेज गति से होती है. इस वजह से श्वसन संबंधी बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ जाता है. बारिश के मौसम में सर्दी, खांसी, टायफाइड, कॉलरा व हिपेटायटीस-ए के बीमारियों के मरीज बढ जाते है.
– डॉ. सतीश हुमणे,
फिजिशियन, जिला सामान्य अस्पताल.