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विदर्भ राज्य आंदोलन समिति ने जलाई नागपुर करार की होली

विदर्भ पर किये गये अन्याय का जताया निषेध

अमरावती/दि.28 – 18 सितंबर 1953 को पश्चिम महाराष्ट्र के नेता तथा विदर्भ के नेताओं के बीच नागपुर करार किया गया था. उस करार के अनुसार विदर्भ की जनता को विश्वास में लिये बगैर विदर्भ को महाराष्ट्र में शामिल कर लिया गया था और तभी से विदर्भ वासियों पर अन्याय का सिलसिला शुरु है. करार में विदर्भ की जनता का विचार नहीं किया गया. इतने साल बितने के पश्चात भी बेरोजगारी, उद्योग, कृषी के लिए सिंचाई योजना, बिजली का इस्तेमाल आदि क्षेत्रों में अन्याय शुरु ही है.
नागपुर करार के अनुसार विदर्भ के युवकों को जनसंख्या के अनुसार 23 प्रतिशत नौकरियां दी जानी थी. किंतु नहीं दी गई. पश्चिम विदर्भ में सर्वाधिक हालत खराब है. सर्वाधिक किसानों की आत्महत्या विदर्भ में हो रही है. शेष महाराष्ट्र की अपेक्षा विदर्भ के साथ दुजाभाव किया जा रहा है. 75 हजार करोड से अधिक विदर्भ का बैकलॉग तैयार हुआ है. इन सभी समस्याओं को लेकर विश्वासघाती नागपुर करार की होली इर्विन चौक पर आज विदर्भ राज्य आंदोलन समिति द्बारा जलाई गई. इस अवसर पर रंजना मामर्डे, राजेंद्र आगरकर, सरला सपकाल, डॉ. विजय कुबडे, सतीश प्रेमलवार, प्रकाश लढ्ढा, विजय मोहोड, अनिल वानखडे, डॉ. महेश बलांसे, सुभाष धोटे, धनराज गोटे, अरुण साकुरे, विनायक इंगोले, ज्ञानेश्वर गादे, सुधीर डांगे उपस्थित थे.

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