अमरावती/ दि.3 – अनुकंपा पर नियुक्ति यह कुछ बेशर्त व कायम स्वरुप में ंलागू रहने वाला निर्धारित अधिकार नहीं है, ऐसी नियुक्ति के बारे में उचित समयावधि में आवेदन करना जरुरी है. काफी देरी के बाद आवेदन करने पर इस अधिकार को मान्य नहीं किया जा सकता, ऐसा फैसला मुंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के (बीपीटी) एक मृत कर्मचारी के याचिका को खारीज करते हुए सुनाया.
बीपीटी में कर्मचारी के रुप में सेवा दे रहे सुखराज जयस्वाल का 1995 में दुर्घटना से निधन हो गया. उस समय उनका बेटा दिलीप नाबालिग था, वह 2004 में प्रोैढ हुआ, मगर उसने अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए करीब 11 वर्ष बाद याने 2015 में आवेदन किया. जिसे बीपीटी ने मान्य नहीं किया. इसपर दिलीप ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. दिलीप ने काफी देरी से आवेदन किया है. इसी तरह सुखराज की ड्युटी पर तैनात रहते समय मौत नहीं हुई, दुर्घटना में मौत हुई है, इस वजह से दिलीप अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए पात्र साबित नहीं होता. इस परिवार को 2007 में पेंशन मंजूर की गई थी और 2011 तक शुरु रखी गई थी, ऐसी दलीले पेश करते हुए बीपीटी ने अपने निर्णय का समर्थन किया.
अनुकंपा पर नियुक्ति यह कर्मचारी के निधन के कारण खतरे में आये परिवार को उससे उभरने के कारण जल्द से जल्द आधार देने के लिए की जाती है, जिसके कारण पिता का निधन दुर्घटना में हुआ, इस वजह से दिलीप अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं है. यह बीपीटी का युक्तिवाद मान्य नहीं हो सकता, दिलीप को आवेदन करने का अधिकार है, ऐसा न्यायमूर्ति संजय गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति आर. एन. लढ्ढा की खंडपीठ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया. परंतु उस वक्त आवेदन उचित समय पर करना जरुरी है, आवेदन करने में काफी ज्यादा देर लगाई, जिससे अधिकार नहीं रह जाता. 11 वर्ष की देरी काफी लंबी है. ऐसा फैसला सुनाते हुए अदालत ने याचिका खारीज कर दी