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अब भी अनसुलझी गुत्थी है मां-बेटी की आत्महत्या का मामला

गाडगे नगर पुलिस के हाथ अब तक नहीं लगा कोई महत्वपूर्ण सुराग

* लक्ष्मीपूजनवाले दिन मां-बेटी ने लगाई थी फांसी, दो दिन पहले उजागर हुआ था मामला
* मृतका सुवर्णा के पति प्रदीप वानखडे से नहीं मिली कोई खास जानकारी, पुलिस लगातार कर
रही पूछताछ
अमरावती/दि.27- स्थानीय गाडगेनगर पुलिस थाना क्षेत्र में स्थित आशियाड कालोनी के पास शिक्षक संमती कालोनी में रहनेवाली एक महिला शिक्षक सुवर्णा वानखडे व उसकी इंजीनियर बेटी मृणाल वानखडे ने लक्ष्मीपूजन वाले दिन अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. यह मामला इसके अगले दिन मंगलवार की शाम 7 बजे के आसपास उस समय उजागर हुआ, जब इन दोनों मां-बेटी द्वारा घर के पास ही स्थित मंदिर में छोडी गई करीब 16 तोले सोने के गहने और पौने दो लाख रूपये की रकम रहनेवाली पोटली के मामले की जांच करते हुए गाडगेनगर पुलिस वानखडे परिवार के घर पर पहुंची और घर का दरवाजा जबरन खुलने के बाद घर के भीतर हॉल में दोनों मां-बेटी की लाशें दो सिलींग फैन से फांसी के फंदे पर लटकी हुई दिखाई दी थी. यह मामला उजागर हुए अब करीब 48 घंटे का समय बीत चुका है. लेकिन इसके बावजूद पुलिस अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है. साथ ही यह अब तक पुख्ता तौर पर स्पष्ट नहीं हो पाया है कि, यह वाकई आत्महत्या का मामला है या इन दोनों मां-बेटी को मारकर फंदे पर लटकाया गया.
बता दें कि, इस मामले में पुलिस ने सुवर्णा वानखडे के पति प्रदीप वानखडे को जांच व पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में लेने के साथ ही उसका एक दिन का पीसीआर भी प्राप्त किया है. लेकिन एक दिन चली पूछताछ के बावजूद पुलिस को प्रदीप वानखडे से कोई खास जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी. बल्कि पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के दौरान प्रदीप वानखडे ने हर बार यही कहा कि, वह सोमवार 24 अक्तूबर को दीपावलीवाले दिन दोपहर करीब 2.30 बजे के आसपास अपने घर से शेगांव के लिए निकल गया था. जहां पर शाम 6.30 बजे पहुंचने के बाद उसने रात बिताने के लिए एक लॉज में कमरा लिया था. प्रदीप वानखडे ने अपने द्वारा बुक किये गये लॉज के कमरे की रसीद भी पुलिस के सामने पेश की है. जिससे उसके द्वारा कही गई बात को बल मिल रहा है. वहीं प्रदीप वानखडे ने यह भी कहा कि, उसके पीठ पीछे उसके घर में क्या हुआ, उसे कुछ भी नहीं पता और उसकी पत्नी व बेटी द्वारा आत्महत्या कर लिये जाने की खबर उसे मंगलवार की शाम 7 से 8 बजे के बीच पुलिस द्वारा की गई फोन कॉल के जरिये पता चली. ऐसे में पुलिस की जांच का पूरा दारोमदार पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर टीक गया था और आज जिला सामान्य अस्पताल के शवागार में कार्यरत डॉक्टरोें ने पुलिस को दी गई अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि, दोनों मां-बेटी की मौत फांसी के फंदे पर लटकने की वजह से हुई है. हालांकि इसमें मौत के समय को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है. ऐसे में अब भी थोडा-बहुत संभ्रम बना हुआ है.
उल्लेखनीय है कि, विगत मंगलवार की शाम जब गाडगेनगर पुलिस ने वानखडे परिवार के घर से सुवर्णा वानखडे और मृणाल वानखडे के शवों को बरामद किया था, तो घर में लक्ष्मी पूजन की तमाम तैयारियां पूरी हुई दिखाई दे रही थी. साथ ही रसोई घर में भी दीपावली पर्व के हिसाब से विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ व व्यंजन बने हुए थे. जिसका सीधा मतलब है कि, दीपावालीवाले दिन घर में त्यौहार की तैयारियां अच्छे से चल रही थी. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, त्यौहार की तैयारियों के बीच केवल तीन लोगों के इस परिवार में ऐसा क्या हुआ कि, पति अचानक दोपहर में घर से निकलकर शेगांव के रवाना हो गया और मां-बेटी ने घर में रखे 16 तोले सोने के आभूषण व कुछ चांदी के बर्तन एवं 1 लाख 75 हजार रूपये की नकद रकम मंदिर में ले जाकर छोड दी और फिर घर वापिस लौटकर दोनों मां-बेटी ने एकसाथ फांसी लगाते हुए आत्महत्या कर ली. इन सवालों का जवाब अब भी अनुत्तरीत है.
* पांच वर्ष पहले अमरावती आया था वानखडे परिवार
– डेढ वर्ष पहले ही बनाया था खुद का घर
जानकारी के मुताबिक यवतमाल जिले की घाटंजी तहसील अंतर्गत चातापुर गांव स्थित तुकडोजी महाराज शिक्षा संस्था द्वारा संचालित आश्रमशाला में मुख्याध्यापक के तौर पर काम करनेवाले प्रदीप वानखडे का परिवार करीब पांच वर्ष पहले अमरावती शहर में रहने आया था और इस परिवार ने लगभग एक-डेढ वर्ष पूर्व ही शिक्षक संमती कालोनी में 65 लाख रूपये की लागत से अपना खूद का घर बनाया था. प्रदीप वानखडे की पत्नी सुवर्णा वानखडे भी शहर की एक निजी शाला में शिक्षिका के तौर पर काम किया करती थी और इस दम्पति की बेटी मृणाल वानखडे ने नामांकित कॉलेज से अभियांत्रिकी की शिक्षा पूरी की थी और इस समय वह इन्फोसिस जैसी ख्यातनाम कंपनी में नौकरी कर रही थी. सुवर्णा वानखडे का मायका परतवाडा रोड पर वलगांव के पास ही स्थित आष्टी गांव का है और उनके एक भाई डॉ. विजय आखरे अमरावती के ही साईनगर स्थित पटेल नगर परिसर में रहते है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, यह परिवार अपने आप में बेहद पढा-लिखा और संभ्रांत है और परिवार में पैसे-लत्ते को लेकर कोई कमी नहीं थी, तो फिर एक बार यह सवाल पैदा होता है कि, आखिर ऐन दीपावली जैसे पर्व पर इस परिवार में ऐसा क्या हुआ कि, एक शिक्षिका मां और एक इंजिनिअर बेटी ने एक साथ आत्महत्या करने का फैसला किया.
* आये दिन पति-पत्नी में होता था झगडा
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मृतका सुवर्णा वानखडे के मायकेवालों ने पुलिस को बताया है कि, सुवर्णा और उसके पति प्रदीप वानखडे की विगत कुछ समय से आपस में नहीं बन रही थी. जिसके चलते प्रदीप वानखडे का आये दिन अपनी पत्नी सुवर्णा वानखडे के साथ झगडा व विवाद हुआ करता था और घर में अक्सर ही तनावपूर्ण हालात रहा करते थे. पति प्रदीप वानखडे ने भी पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में यह बताया कि, वह अपनी पत्नी और बेटी को दीपावलीवाले दिन अपने साथ शेगांव चलकर वहां संत गजानन महाराज के मंदिर में दीपावली मनाने हेतु कह रहा था. लेकिन उसकी पत्नी व बेटी इसके लिए तैयार नहीं थे. जिसकी वजह से वह सोमवार की दोपहर करीब ढाई बजे के आसपास अकेला ही शेगांव जाने के लिए निकल गया. वानखडे परिवार के रिश्तेदारों ने पुलिस को यह भी बताया कि, वानखडे दम्पति के बीच आपसी विवाद इतना अधिक था कि, यवतमाल में नौकरी करनेवाला प्रदीप वानखडे कई बार डेढ-दो माह तक वहां से वापिस अमरावती अपने घर नहीं आता था और जब कभी दो-चार दिन के लिए वापिस आता भी था, तो उसका अपनी पत्नी के साथ जमकर झगडा हुआ करता था. अनुमान लगाया जा रहा है कि, शायद दीपावलीवाले दिन त्यौहार के तैयारियों के बीच भी प्रदीप व सुवर्णा वानखडे का आपस में जमकर झगडा हुआ होगा. जिसके बाद प्रदीप वानखडे तैश व गुस्से में घर से निकल गया होगा और फिर घर में अकेली रह गई मां-बेटी ने आये दिन की झंझट से तंग आकर आत्मघाती कदम उठाया होगा.
* ऐसे घटित हुआ था पूरा घटनाक्रम
जानकारी के मुताबिक सुवर्णा व मृणाल वानखडे का हमेशा ही शाम के समय अपने घर के पास इंद्रप्रस्थ कालोनी स्थित हनुमान मंदिर में आना-जाना लगा रहता था. संभवत: सोमवार को दीपावलीवाले दिन जब प्रदीप वानखडे घर में विवाद करने के बाद शेगांव जाने हेतु निकल गया, तब उसके बाद शायद शाम के समय दोनों मां-बेटी ने घर के पास ही इंद्रप्रस्थ कालोनी स्थित हनुमान मंदिर में जाकर हमेशा की तरह दर्शन किये. साथ ही वहां पर अपने घर के 160 ग्राम सोने के आभूषण व चांदी के कुछ छोटे बर्तनों सहित 1 लाख 75 हजार रूपये की नकद रकम रहनेवाली कपडे से बनी पोटली को हनुमानजी की मूर्ति के पीछे रख दिया. जिसके बाद दोनों मां-बेटी वहां से अपने घर लौट आयी. इसके बाद दोनों मां-बेटी को किसी ने नहीं देखा.
पश्चात मंगलवार की शाम जब इस मंदिर के कोषाध्यक्ष निंबर्ते हमेशा की तरह मंदिर में दिया-बत्ती करने पहुंचे, तो उन्हें मूर्ति के पीछे तेल का डिब्बा रखनेवाली जगह पर एक पोटली रखी दिखाई दी. जिसे खोलकर देखने पर उसमें रखे गहने व पैसे भी दिखाई दिये. इस पोटली में सोने के आभूषणों से संबंधीत कुछ रसीदें भी रखी हुई थी, जो यवतमाल के किसी सराफा फर्म की थी और इन रसीदों पर प्रदीप रंगराव वानखडे तथा डॉ. विजय आखरे ऐसे दो नाम लिखे हुए थे. इसके बाद मंदिर के कोषाध्यक्ष निंबर्ते ने इसकी जानकारी परिसर में ही रहनेवाले रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक प्रल्हाद गिरी को दी. जिन्होंने तुरंत पूरे मामले से गाडगे नगर पुलिस को अवगत कराया. पश्चात पुलिस ने मामले की जांच शुरू करते हुए यवतमाल के सराफा व्यवसायी से प्रदीप वानखडे का पता व मोबाईल नंबर हासिल किया और फिर प्रदीप वानखडे से उसके मोबाईल क्रमांक पर संपर्क साधा, तो दूसरी ओर से प्रदीप वानखडे ने बताया कि, वह तो शेगांव में है और घर पर उसकी पत्नी सुवर्णा व बेटी मृणाल है तथा उसे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है.
वहीं इस दौरान गाडगेनगर पुलिस ने साईनगर परिसर के पटेल नगर में रहनेवाले डॉ. विजय आखरे से भी संपर्क कर लिया था और पुलिस ने डॉ. विजय आखरे को अपने साथ लेकर शाम करीब 8 बजे के आसपास वानखडे परिवार के घर पर दस्तक दी. लेकिन भीतर से कोई प्रतिसाद नहीं मिला. इस समय सुवर्णा और मृणाल वानखडे के मोबाईल पर अलग-अलग नंबरों से कई बार कॉल भी की गई, लेकिन दूसरी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. जिसके बाद पुलिस ने घर के दरवाजे को जबरन तोडने का निर्णय लिया और घर का दरवाजा तोडने के बाद भीतर जो दृश्य दिखाई दिया, उसे देखकर हर कोई बुरी तरह से दहल गया. घर के भीतर मुख्य हॉल में लगे दो अलग-अलग सिलींग फैन से सुवर्णा वानखडे व उनकी बेटी मृणाल वानखडे के शव फांसी पर लटके हुए थे. सुवर्णा ने साडी की सहायता से फांसी का फंदा बनाया था, वहीं मृणाल ने ओढनी से फंदा बनाकर फांसी लगायी थी. यहां पर एक सुसाईड नोट भी बरामद हुआ, जो मृणाल वानखडे ने लिखा था. छह पंक्तिवाले इस सुसाईड नोट में मृणाल ने लिखा था कि, उसके पिता को वे दोनों (सुवर्णा व मृणाल) नहीं चाहिए, अब बहुत हो चुका. हमारा अंतिम संस्कार आखरे परिवार द्वारा किया जाये. इस समय मुआयने के दौरान घर में लक्ष्मीपूजन की पूरी तैयारी दिखाई दी. साथ ही दीपावली पर्व के हिसाब से घर में भोजन भी तैयार दिखाई दिया. इस घटना से कुछ समय पहले तक दोनों मां-बेटी अपने रिश्तेदारों के संपर्क में भी थी. ऐसे में पुलिस ने तुरंत ही घटनास्थल पर फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट व फॉरेन्सीक लैब की टीम के साथ ही श्वान पथक को बुलवाया. साथ ही इस समय तक शेगांव से अमरावती वापिस लौटे प्रदीप वानखडे को तुरंत ही जांच व पूछताछ के लिए गाडगेनगर पुलिस ने अपनी हिरासत में लिया, जिसके खिलाफ धारा 498 (अ) व 306 के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया गया. पश्चात पुलिस ने बुधवार को प्रदीप वानखडे को स्थानीय अदालत में पेश किया. जहां से अदालत ने उसे एक दिन तक पुलिस कस्टडी रिमांड में रखने का आदेश दिया.
* आखरे परिवार ने किया बहन व भानजी का अंतिम संस्कार
वहीं दूसरी ओर गत रोज जिला सामान्य अस्पताल के शवागार में सुवर्णा वानखडे व मृणाल वानखडे के शवों का पोस्टमार्टम किया गया. पश्चात दोनों शव सुवर्णा के भाई डॉ. विजय आखरे के सुपुर्द कर दिये गये और फिर आखरे परिवार ने दोनों मां-बेटी के पार्थिव शरीरों पर एकसाथ अंत्येष्टि की. वहीं आज गुरूवार को दोनों मा-बेटी की प्राथमिक पीएम रिपोर्ट सामने आ गई. जिसमें कहा गया है कि, दोनों की मौत फांसी के फंदे पर लटकने की वजह से हुई थी. ऐसे में कुछ हद तक माना जा रहा है कि, यह आत्महत्या का ही मामला है. लेकिन अभी दोनों मां-बेटी की मौत का समय साफ तौर पर स्पष्ट नहीं हुआ है. जिसके चलते थोडा-बहुत संभ्रम बरकरार है. बहरहाल गाडगेनगर पुलिस हर एंगल को ध्यान में रखते हुए इस मामले की जांच कर रही है.

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