अमरावती

एफ.आर.पी. देने बाबत की सिफारिश गन्ना उत्पादकों के लिए घातक

पूर्व कृषिमंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने की सिफारिश पीछे लेने की मांग

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२५ – नीती आयोग ने महाराष्ट्र शासन को गन्ने की एफ.आर.पी. देने बाबत की सिफारिश मांगने के बाद राज्य सरकार ने किसानों की गर्दन पर छुरी रखकर सहकारी शक्कर कारखाने के फायदे की सिफारिश नीती आयोग को भेजी. यह सिफारिश राज्य सरकार व्दारा तुरंत पीछे ली जाए, ऐसी मांग पूर्व कृषिमंत्री व भाजपा नेता डॉ. अनिल बोंडे ने की है.
नीती आयोग ने एक मुश्त अथवा हफ्ते में एफ.आर.पी. बाबत सिफारिशें सभी राज्य सरकार की ओर से मांगी थी. नीती आयोग ने राज्य सरकार को भेजे पत्र में 60 प्रतिशत रकम कारखाने को गन्ना लेने के बाद 14 दिनों के भीतर, दूसरा चरण 20 प्रतिशत आगामी 14 दिनों में व तीसरा चरण 20 प्रतिशत आगामी दो महीने या शक्कर बिक्री होने के साथ ही इसमें शीघ्र एस.आर.पी. का वितरण करें, ऐसा सूचित किया था. इन हफ्तों के संदर्भ में राज्य शासन ने विचार मांगे थे, यह जानकारी भाजपा नेता डॉ. अनिल बोंडे ने दी. लेकिन राज्य सरकार ने संपूर्ण शक्कर सम्राट, वसंतदादा सहकारी शक्कर संघ का मत का विचार किया. गग्ना उत्पादकों से इस बाबत पूछताछ नहीं की. ऑनलाईन प्लाटफॉर्म भी मत नहीं मंगवाये और किसानों की गर्दन पर छुरी रखकर राज्य मंत्रिमंडल ने सुधारित सिफारिश नीती आयोग को भेजे जाने का आरोप भी डॉ. अनिल बोंडे ने किया है.
उद्धव ठाकरे सरकार ने भेजी सिफारिश में पहला चरण 60 प्रतिशत 14 दिनों में, दूसरा चरण 20 प्रतिशत हंगाम खत्म होने पर व तीसरा चरण आगामी हंगाम शुरु होने से पूर्व यानि एक वर्ष बाद ऐसा प्रस्ताव भेजा. नीती आयोग की सिफारिश के अनुसार 80 प्रतिशत रकम पहले 28 दिनों में प्राप्त होती थी व 100 प्रतिशत रकम 2 महीने में कारखानों ने देना बंधनकारक था. इस सिफारिश तुरंत पीछे लेने की मांग डॉ. अनिल बोंडे ने की है.

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