परतवाड़ा/अचलपुर दी १०-मेलघाट आदिवासी अंचल के प्रमुख बाजार माने जाते परतवाड़ा शहर को भी एसटी कर्मचारियो की हड़ताल ने प्रभावित किया है.करीब 40 दिनों से शुरू हड़ताल के चलते परतवाड़ा बस स्थानक को डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.बस स्थानक परिसर में सर्वत्र गंदगी और कचरे का आलम है.इसी बीच एक चालक और एक क्लर्क सहित दो कर्मियों के काम पर लौटने की भी जानकारी मिली है.
परतवाड़ा एसटी आगार व बस स्थानक पर 340 कर्मचारी और 6 अधिकारी कार्यरत है.इसमें चालक, वाहक,परिवहन नियंत्रक,क्लर्क, यांत्रिक कर्मी आदि का समावेश है.ताजा स्थिति में डिपो के 338 कर्मचारी आज भी हड़ताल पर ही है.
परतवाड़ा डिपो से औसतन 270 बस फेरिया आनाजाना करती है.डिपो से रोजाना 19हजार 200 किलोमीटर का सफर किया जाता है.हजारों मुसाफिर रोजाना परतवाड़ा डिपो से अपनी यात्रा करते है.विगत 40 दिनों से परतवाड़ा डिपो से एक भी बस नही दौड़ी है,इस कारण राज्य परिवहन निगम को सिर्फ परतवाड़ा में ही डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
-स्वच्छता के बजे बारह-:बस स्थानक परिसर में इन 40 दिनों में गंदगी की भरमार हो चुकी है.सर्वत्र कूड़ा करकट फैला हुआ नजर आ रहा है.पैसेंजर्स के बैठने व प्रतीक्षा करने के लिए लगाई स्टील की कुर्सियों पर धूल की मोटी परत चढ़ी दिखाई दे रही है.बस स्थानक की फर्श पर भी मिट्टी की चादर बिछी हुई नजर आ रही.पिछले 30 दिनों से बस स्थानक मव सफाई का कार्य भी ठप्प पड़ा हुआ है.इस बीच न तो कही झाड़ू लगाई गई और न ही पोछा किया गया है.बस स्थानक की छत पर बड़े आकार के जाले फैले हुए देखे जा सकते है.
बस स्थानक पर यात्रियों के न होने से खाली पीली लोगो द्वारा बस स्थानक पर महफ़िल सजाई जा रही.लोग गुटखा और पान खाकर दीवारों पर थूंकने लगे है.जगह-जगह पर सिगरेट के टुकड़े पड़े नजर आते.पान की पिचकारियों से डिपो की फर्श लाल हो चुकी है.
-इमारत का हस्तांतरण नही हुआ-:पिछले तीन वर्षों से बस स्थानक का दर्जा बढाने के लिए इसके नुतनीकरण का कार्य शुरू था.अभी तक अधिकृत रूप से नवनिर्मिति इमारत आगार व्यवस्थापक को नही सौपी गई है.इस कारण पुलिस चौकी,मातृत्व कक्ष और पूछताछ केंद्र का संचालन भी अधर में पड़ा है.
-सफाई कर्मियों की व्यथा-; पूरे बस स्थानक परिसर की नियमित साफ सफाई के लिए दिहाड़ी पर दो कर्मचारी रखे हुए है.पिछले काम की मजदूरी उन्हें पंद्रह दिनों से अप्राप्त है.इस कारण उन्होंने सफाई कार्य ही बंद कर रखा है.हमारीं कोई हड़ताल नही होने के बाद भी हम दुखी है.इस आशय की व्यथा सफाई कर्मियों ने कहकर सुनाई.उत्पन्न न होने से रोजनदारी सफाई कर्मियों को भी स्वच्छता के लिए मजदूरी देने के लिए निगम के पास पैसा नही है.