गन्ना उत्पादकों को नुकसानदायक है एफआरपी
डॉ.अनिल बोंडे ने की राज्य सरकार को सिफारिश पीछे लेने की मांग
अमरावती/प्रतिनिधि दि.२७ – नीति आयोग ने महाराष्ट्र शासन को गन्ने की एफआरपी देने बाबत की सिफारिश करने पश्चात राज्य सरकार ने किसानों की गर्दन पर छुरी रखकर सहकारी शक्कर कारखाने के फायदे की सिफारिश नीति आयोग को भेजी. राज्य सरकार यह सिफारिश तत्काल पीछे ले, ऐसी मांग पूर्व कृषिमंत्री व भाजपा नेता डॉ. अनिल बोंडे ने की है.
नीति आयोग व्दारा एकमुश्त तथा सप्ताह में एफआरपी बाबत सिफारिशें सभी राज्य सरकार की ओर से मांगी थी. नीति आयोग ने राज्य सरकार को भेजे पत्र में 60 फीसदी रकम कारखाने व्दारा गन्ना लेने के बाद 14 दिनों के भीतर दूसरा चरण 20 फीसदी आगामी 14 दिनों के भीतर दूसरा चरण 20 फीसदी आगामी 14 दिनों में व तीसरा चरण 20 फीसदी आगामी दो महिने या शक्कर बिक्री होने के साथ ही इसमें शीघ्र एसआरपी का वितरण करें, ऐसा सूचित किया था. इन सप्ताहों के संबंध में राज्य शासन ने विचार मांगे थे, यह जानकारी भाजपा नेता डॉ.अनिल बोंडे ने दी, लेकिन राज्य सरकार ने संपूर्ण शक्कर सम्राट, वसंतदादा सहकारी शक्कर संघ के मत का विचार किया गया. गन्ना उत्पादकों से इस बाबत पूछताछ नहीं की. ऑनलाइन प्लाटफॉर्म से भी मतों को आवंटीत नहीं किया और किसानों की गर्दन पर छुरी रखकर राज्य मंत्रिमंडल ने सुधारित सिफारिश नीति आयोग को भेजे जाने का आरोप भी डॉ.अनिल बोंडे ने किया है. उध्दव ठाकरे सरकार ने भेजी सिफारिश में पहला चरण 60 फीसदी 14 दिनों में, दूसरा चरण 20 फीसदी हंगाम खत्म होने पर व तीसरा चरण आगामी हंगाम शुरु होने से पूर्व यानि एक साल बाद ऐसा प्रस्ताव भेजा है. नीति आयोग की सिफारिश के अनुसार 80 फीसदी रकम पहले 28 दिनों में प्राप्त होती थी व 100 फीसदी रकम 2 महीने में कारखानों ने देना बंधनकारक था. इस सिफारिश को तत्काल पीछे लेने की मांग डॉ.अनिल बोडे ने की.