अमरावती/दि.20- विगत वर्ष औसत से अधिक बारिश होने के चलते खरीफ फसलों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ था. लेकिन इसका रबी फसलों का फायदा हुआ. वहीं झमाझम हुई बारिश की वजह से जमीन में पानी का पुनर्भरण भी हुआ. जिसके चलते जिले की 14 में से 12 तहसीलों के भूगर्भ जलस्तर में एक मीटर तक की वृध्दि हुई. हालांकि दो तहसीलों में भूगर्भ जलस्तर कुछ हद तक घटा है.
भूजल सर्वेक्षण विभाग द्वारा मार्च माह के पश्चात जिले के 150 निरीक्षण कुओं में स्थिर जलस्तर की जानकारी दर्ज करने के बाद जिले में भूगर्भ जलस्तर को लेकर राहतवाली खबर सामने आयी है. इस सर्वेक्षण में पाया गया कि, चांदूर बाजार व अचलपुर तहसील में भूगर्भ जलस्तर का असीमित दोहन होने के चलते यहां पर भूगर्भिय जल का स्तर डेढ से दो मीटर तक घट गया है. ऐसे में भूजल पुनर्भरण हेतु इन दोनों तहसीलों में बडे पैमाने पर जनजागृति व उपाय योजनाओं पर अमल करना जरूरी है. इसके अलावा भूजल कानून पर भी कडाई से अमल करना बेहद महत्वपूर्ण रहेगा.
बता दें कि, गत वर्ष औसत की तुलना में 133.8 प्रतिशत अधिक बारिश हुई. जून से सितंबर माह के दौरान जिले में 805 मिमी औसत बारिश होने की अपेक्षा रहती है और इस दौरान विगत वर्ष 1,076.90 मिमी पानी बरसा. जिसमें मेलघाट क्षेत्र की चिखलदरा व धारणी तहसीलों को छोडकर अन्य 12 तहसीलों में औसत से कहीं अधिक बारिश हुई. साथ ही अक्तूबर माह के अंत तक झमाझम बारिश का दौर चलता रहा. ऐसे में जमीन में पानी का पुनर्भरण होकर भूजल स्तर में वृध्दि हुई है. किंतु यह वृध्दि केवल एक मीटर तक ही हुई है. अत: अब भी पानी का बेहद संभालकर प्रयोग किये जाने की जरूरत है.
* तहसीलनिहाय भूजलस्तर की स्थिति
जिले में औसत 0.54 मीटर से भूजल स्तर बढा है. जिसमें अमरावती तहसील में 0.45 मीटर, भातकुली में 0.05 मीटर, नांदगांव खंडेश्वर में 1.67 मीटर, चांदूर रेल्वे में 0.90 मीटर, तिवसा में 1.06 मीटर, मोर्शी में 0.99 मीटर, वरूड में 1.36 मीटर, अचलपुर में 0.81 मीटर, दर्यापुर में 0.21 मीटर, धारणी में 1.99 मीटर, चिखलदरा में 0.98 मीटर व धामणगांव रेलवे तहसील में 0.69 मीटर से भूगर्भ जलस्तर बढा है. वहीं चांदूर बाजार तहसील में 2.18 मीटर तथा अंजनगांव सूर्जी तहसील में 1.44 मीटर से भूगर्भ जलस्तर घटा है. जो इन दोनों तहसीलों के लिए चिंताजनक स्थिती है.
जिले की मोर्शी व वरूड तहसीलें भूगर्भिय जल के लिहाज से रेड झोन में है. इन तहसीलों में बेतहाशा होनेवाली बोरींग की वजह से जमीन पूरी तरह से छलनी हो गई है और इस जरिये पानी का बेतहाशा दोहन किये जाने के चलते इन दोनों तहसीलों में भूगर्भिय जल की स्थिति काफी चिंताजनक है. जिसके मद्दनेजर इन दोनों तहसीलों में नई बोरींग करने से मना करते हुए कई तरह के प्रतिबंध प्रशासन द्वारा लगाये गये थे. जिसके परिणाम स्वरूप अब भूजल के स्तर में काफी हद तक वृध्दि देखी जा रही है. ऐसे ही प्रतिबंधों को जिले के अन्य तहसील क्षेत्रों में लागू किये जाने की जरूरत है.