अमरावतीमहाराष्ट्र

फॅकल्टी डेव्हलपमेंट प्रोग्रॅम और होलिस्टिक हेल्थ प्रोग्रॅम उत्साह में

श्री हव्याप्र डिग्री कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन और आईकेएस सेंटर संयुक्त उद्यम

अमरावती दि.22- भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र, अमरावती के सहयोग से श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल द्वारा संचालित डिग्री कॉलेज शारीरिक शिक्षा अमरावती, आचार्य त्र्यंबक गुरुजी जोशी स्मृति प्रियार्थ 43वीं योग व्याख्यान श्रृंखला एवं डाॅ. एनवी करबेलकर (नानासाहेब) की स्मृति में 24वीं योग कार्यशाला के लिए योग और समग्र स्वास्थ्य विषय पर पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय फॅकल्टी डेव्हलोपमेंट प्रोग्रॅम का आयोजन किया गया था.

कार्यक्रम का उद्घाटन 8 फरवरी से 12 फरवरी, 2024 के बीच किया गया था. 8 फ़रवरी संचालन आचार्य श्रेयश कुरहेकर ने किया, कार्यक्रम की अध्यक्षता डी. की. सी. पी. ई के प्राचार्य. मुख्य अतिथि के रूप में श्रीनिवास देशपांडे, पूर्व प्रिंसिपल डीसीपीई और अंतरराष्ट्रीय योग गुरु डॉ. अरुण खोडस्कर, साथ ही पोलैंड के क्रिस्टोप स्टेक और योग विभाग के प्रमुख डॉ. सुनील लाबाडे मंच पर मौजूद थे. कार्यक्रम प्रबंधन प्रो पुष्पक खोंडे ने धन्यवाद ज्ञापन दिया .

पहले दिन के दूसरे सत्र में डॉ. ब्रिजेश सिंह, केजे सोमैया इंस्टीट्यूट ऑफ धर्म स्टडीज, सोमैया विद्याविहार यूनिवर्सिटी, मुंबई ने योग चिकित्सा के जैव-दर्शन पर मार्गदर्शन दिया. दूसरे दिन की कार्यशाला में डॉ. सूर्यकांत पाटिल ने ‘डिस्कवरी’ परसेप्शन एंड स्टडी विषय पर कार्यशाला आयोजित की. स्टीव थेलरमोंट, योग एसोसिएशन, सेशेल्स द्वारा पहला सत्र – क्या योग आपको खुश करता है? इस मामले पर मार्गदर्शन किया. दूसरे सत्र में डॉ. प्रसाद पी. देशपांडे, एसोसिएट प्रोफेसर, कल्याण और योग विभाग, सरकारी आयुर्वेद कॉलेज, नांदेड़ ने डोर्सोपैथी में चिकित्सीय योग पर गहन मार्गदर्शन दिया.

10 फरवरी को सुबह 7 बजे डॉ. सूर्यकांत पाटिल ने ‘योगासन’ धारणा और अभ्यास पर एक कार्यशाला का आयोजन किया. इसके बाद प्रथम सत्र में डाॅ. ईश्वर वी बसारेड्डी, पूर्व निदेशक, अध्यक्ष, अप्पा योग अकादमी, नई दिल्ली ने ब्रीथ वेल टू लिव वेल: ए कंपाउंड अप्रोच पर व्याख्यान दिया. दूसरे सत्र में डाॅ. ईश्वर भारद्वाज, डीन शिक्षा विभाग, पूर्व डीन देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार उत्तराखंड, चिकित्सा विज्ञान और स्वास्थ्य के प्रोफेसर, योग विभाग, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड, 11 फरवरी सुबह में डॉ. सूर्यकांत पाटिल ने ‘प्राणायाम’ धारणा और अभ्यास पर एक कार्यशाला का आयोजन किया. पहला सत्र डॉ. इंदिका निरंजला देवी बुलांकुलमे, प्रमाणित योग प्रशिक्षक, कोलंबो, श्रीलंका , क्या योग सहानुभूतिपूर्ण और पैरासिम्पेथेटिक (स्वायत्त) तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है? इस मामले पर मार्गदर्शन किया.

दूसरे सत्र में डॉ. मधुसूदन पेन्ना, पूर्व कुलपति, केकेएसयू, रामटेक, डीन भारतीय धर्म, दर्शन और संस्कृति संकाय, केकेएसयू रामटेक ने योग और समग्र स्वास्थ्य पर मार्गदर्शन दिया. प्रथम सत्र में डॉ. गणेश शंकर गिरि, पूर्व विभागाध्यक्ष योग विभाग, शिक्षा एवं डीन-स्कूल ऑफ एजुकेशनल स्टडीज डाॅ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (एमपी) ने योग और समग्र स्वास्थ्य को आधुनिक दृष्टिकोण से पेश किया. समापन समारोह दोपहर 2:00 बजे संपन्न हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता आईकेएस, इंस्टीट्यूट ऑफ डिस्टेंस एंड ओपन लर्निंग की समन्वयक डॉ. माधुरी चेंडके, मुंबई विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकाय के प्रमुख डॉ. मंदार भानुशे, आचार्य श्रेयश कुरहेकर ने की. योग विभाग के प्रमुख डॉ. सुनील लाबाड़े उपस्थित थे कार्यक्रम की रिपोर्ट डॉ. सुनील लाबड़े ने प्रस्तुत की तथा संचालन डा. गिरिजा भारतीया ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डा. सुनील लाबड़े ने किया. इस कार्यक्रम में देश-विदेश से 435 योग साधकों ने भाग लिया.

कार्यक्रम की सफलता के लिए पद्मश्री प्रभाकररावजी वैद्य के आशीर्वाद से डॉ. एस.पी. देशपांडे, डॉ. माधुरी चेंडके, योग विभाग के प्रमुख डॉ. सुनील लाबड़े, प्रो. नितिन काले, आचार्य श्रेयश कुरहेकर, डॉ. मयूरेश शिंगरूप, प्रो. संदीप मांडले, डॉ. गिरिजा मराठे, प्रो. प्रतीक पठारे, प्रो. अर्चना देशपांडे, प्रो. आशीष हटेकर, प्रो. प्रवीण अनासने, प्रो. पुष्पक खोंडे, मयूर दलाल, सुमेध पाठक, अमोल ढोले, प्रमोद शिरभाटे, नरेश बाखले ने कड़ी मेहनत की.

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