अमरावती/ दि.16– अमरावती के नाट्य जगत में ध्रुव तारा समझे जाने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी इसी तरह बुधवारा स्थित आजाद हिंद मंडल के कार्याध्यक्ष राजाभाऊ मोरे को राज्य नाट्य प्रतियोगिता में नाटक देखते समय तीव्र दिल का दौरा पडा. उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, परंतु तब तक काफी देर हो गई थी. जिन्होंने अपना जीवन रंगभूमि के लिए अर्पित कर दिया, उनका निधन भी रंगभूमि के सामने ही होना इससे बडी बात क्या हो सकती है.
अमरावती के संगीतसूर्य केशवराव भोसले सभागृह में महाराष्ट्र राज्य सांस्कृतिक विभाग की ओर से राज्य नाट्य प्रतियोगिता शुरु थी. इस प्रतियोगिता का नाटक देखने के लिए राजाभाऊ मोरे गए थे. कल गुरुवार की रात 8 बजे उन्हें तीव्र दिल का दौरा पडा. उन्हें तत्काल उपस्थितों ने इलाज के लिए निजी अस्पताल लाया, परंतु इससे पहले ही उनकी जीवन ज्योत बुझ चुकी थी. खास बात यह है कि, पिछले कुछ दिन पहले ही इसी नाट्य प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में राजाभाऊ को नाट्य क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने के लिए राज्य शासन के जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उसी नाट्यगृह में राजाभाऊ ने अंतिम सांस ली. रंगदेवता के दरबार में जाने के लिए उन्होंने इस रंगमंच से ‘एक्झिट’ ले ली.
78 वर्षीय राजाभाऊ मोरे बुधवार के अंदर एक कलंदर व्यक्तिमत्व थे. विलास उर्फ राजाभाऊ तुकारामपंत मोेरे यह उनका पूरा नाम है. परंतु पूरे महाराष्ट्र में वे राजाभाऊ मोरे के रुप में पहचाने जाते थे. महाराष्ट्र शासन के कृषि विभाग में कार्यरत रहने वाले राजाभाऊ अविवाहित थे. उन्हें बचपन से ही सामाजिक व नाट्य क्षेत्र पसंद था. इसके कारण सेवानिवृत्ति के पहले ही उन्होंने विभाग से सेवानिवृत्ति ले ली थी. बुधवारा के आजाद हिंद मंडल के माध्यम से उन्होंने कई नाटक के दिग्दर्शन, नेपथ्य, कलाकार व सभी जिम्मेदारियां अच्छे ढंग से संभाली. कई नाटक रंगमंच पर निर्माण किये. उन्होंने कई नाटक का लेखन भी किया. उन्होंने तैयार किये नाटक को राज्य नाट्य प्रतियोगिता, इसी तरह अन्य स्थानों पर पुरस्कार मिला है. अखिल भारतीय नाट्य परिषद की शाखा अमरावती में स्थापित करने का पूरा श्रेय राजाभाऊ को जाता है. नाट्य परिषद के वे संस्थापक अध्यक्ष थे. इसके साथ ही अमरावती नाट्यगृह बने इसके लिए वे प्रयासरत थे. उन्हीं के परिणाम स्वरुप अमरावती में भव्य-दिव्य ऐसे संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन का निर्माण किया गया है.
राजाभाऊ केवल नाट्य क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सामाजिक व अध्यात्मिक क्षत्र में कार्यरत रहते थे. उनका सक्रीय सहभाग होता था. निलकंठेश्वर मंदिर, निलकंठ चौक, सार्वजनिक हनुमान मंदिर, इसी तरह गुरुसेवा समाज के वे विश्वस्त के रुप में कार्यरत थे. इस जगह राज्य व राज्य के बाहर के विख्यात कीर्तनकारों को आमंत्रित कर उन्होंने अमरावती के श्रोताओं को इसका लाभ दिलाया है. बुधवारा की मिट्टी में तैयार हुए राजाभाऊ का आजाद हिंद मंडल के सभी कार्यक्रमों में सक्रीय योगदान रहता था. फिर चाहे गणेश उत्सव हो या अन्य कार्यक्रम हमेशा सामने रहते थे. पायजामा शर्ट ऐसा साधारण पोषाख में रहने वाले राजाभाऊ आजाद हिंद मंडल के कार्याध्यक्ष के रुप में कार्यरत थे. नाट्य क्षेत्र के योगदान के बारे में संगीतसूर्य केशवराव भोसले सभागृह में राज्य नाट्य प्रतियोगिता में हाल ही में उन्हें जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उसी नाट्यगृह में नाटक देखते हुए इस रंगकर्मी ने दुनिया से बिदाई ली. उनके पश्चात नाना व अरुण यह दो छोटे भाई, तीन बहन, भतीजे, भतीजी, नाती, पोते, रिश्तेदार ऐसा भरापुरा परिवार हेै. उनकी अंत्ययात्रा आज शुक्रवार की दोपहर 12 बजे उनके बुधवारा स्थित निवास स्थान से निकाली गई. स्थानीय मोक्षधाम में उनके पार्थिव पर अंत्यसंस्कार किया गया. इस समय कई रंगकर्मी समाज के प्रसिध्द मान्यवर आदि ने उपस्थित रहकर अंतिम बिदाई देते हुए नम आँखों से श्रद्धांजली अर्पित की.
हौसी रंगकर्मियों का आधार चला गया- मुनगंटीवार
अमरावती के वरिष्ठ रंगकर्मी राजाभाऊ मोरे के निधन से होैसी रंगकर्मियों का आधार गुम हो गया है, ऐसी शोक भावना संस्कृति कार्यमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने व्यक्त की. रंगदेवता का वास रहने वाले नाट्यगृह में उन्होंने अंतिम सांस ली. दिग्दर्शक, नेपथ्यकार के रुप में लंबे समय तक हौसी व प्रायोगिक रंगभूमि की सेवा राजाभाऊ ने की. अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद के अमरावती शाखा की स्थापना कर उस माध्यम से उन्होंने खुलकर रंगसेवा की. गणेशोत्सव में उनके व्दारा निर्माण की गई आकर्षक झांकियां अमरावतीवासियों के जेहन में हमेशा बनी रहेगी. राज्य नाट्य प्रतियोगिता यह उनकी सांस थी. लंबे समय तक उन्होंने नाट्य प्रतियोगिताएं ली. इस निष्ठावान रंगकर्मी के निधन से नाट्य क्षेत्र को भारी हानी हुई है, ऐसा भी संस्कृतिक कार्यमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने शोक संदेश में कहा हेै.
अमरावती के नाट्यसम्राट परदे के पीछे गए- अनंत गुढे
प्रसिध्द नाट्य कलाकार, नाट्य निर्माता, दिग्दर्शक, नाट्य लेखक, आजाद हिंद मंडल के आधार स्तंभ, कार्याध्यक्ष, सार्वजनिक जीवन में अपना जीवन लगाने वाले पूरे महाराष्ट्र में परिचित एक सामाजिक कार्यकर्ता राजाभाऊ मोरे के निधन से हमारा मार्गदर्शक परदे के पीछे चला गया, ऐसी भावना पूर्व सांसद आजाद हिंद मंडल के कार्यकर्ता अनंत गुढे ने व्यक्त करते हुए राजाभाऊ मोरे को श्रद्धांजली अर्पित की.
राजाभाऊ … एक पारस स्पर्श
एक बहुत ही साधे परंतु उतने ही ताकतवर और अद्भूत जादू से लबालब भरे व्यक्ति लोहे को क्षणभर में सोने के रुप में परिवर्तित करने वाले, इसके बाद भी उसका श्रेय न लेने वाले ऐसे पारस जैसे व्यक्ति साधा जीवन जीते हुए निस्वार्थ रुप से रहने वाले… सही मायने में ग्रेट राजाभाऊ तुम्हारे जैसा कौन है, हमारे जैसे कई लोगों को तुमने निर्माण किया. तुम्हारा पारस स्पर्श हम हुआ, सही मायने में हम खुदको भाग्यवान समझते है. नाटक याने क्या? स्टेज पर कैसे खडा रहना, कैेसे बोलना यह तुम्हने हमें उगली पकडकर सिखाया. तुम्हारे हाथ के नीचे मुझे 40 वर्ष काम करने का मौका मिला. अब जाकर थोडा बहुत नाटक समझ आने लगा और तुमने धीरे से हमारे हाथ से तुम्हारी उंगली निकाल ली. हाल ही में तुम्हारा जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मान हुआ. अगले वर्ष निश्चित ही प्रतियोगिता में नाटक करेंगे, ऐसा तुम हमेशा कहते थे, परंतु नियती मंद-मंद मुस्कुराती थी. आज तुम्हारा जाना हमें काफी लंबे समय तक आघात पहुंचायेगा. यमराज को भी पक्का पता था कि, यह नाट्य के लिए घडे व्यक्ति को लाने के लिए रंगमंदिर ही जाना पडेगा और ऐसा ही हुआ. तुम जिंदगीभर जहां रहे वहीं थमे… सही में तुम ही पुण्यत्मा थे. तुम्हे शांति मिले, काफी भारी मन से लिख रहा हूं. निशब्द हो गया…
– अजित वडवेकर, अमरावती