स्विजरलैंड की चार युवतियों ने फहराया तिरंगा
दो अमरावती की है, भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य ओर नीति प्रकल्प को द्वितीय स्थान
अमरावती दि. ४ – स्विजरलैंड में जिनेव्हा स्थित ‘ग्रॅज्युएशन इन्स्टीट्यूट ’ में हाल ही में हुए जिनिव्हा चॅलेंज इस वैश्विक, सामाजिक आव्हान परिषद में भारत के चार संशोधक युवतियों ने वैश्विक क्रमवारी में द्वितीय स्थान प्राप्त किया. विशेष बात यह कि इन चारों में से दो अमरावती की है. यह परिषद स्विस राजदूत जेनो स्टेहेलीन की अध्यक्षता में हुई.
सामाजिक समावेशन और समाज में होनेवाली उलझने तथा समस्याओं का आंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास समस्या पर सैध्दांतिक और व्यावहारिक निराकरण के लिए सखोल संशोधन करनेवाले विद्वान पदव्युत्तर नवसंशोधको के लिए ‘जिनिव्हा चैलेंज’ यह वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित संशोधन मंच है. भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य और नीति’ इस विषय पर मनील मदनकर और डॉ. हर्षल शिरोडकर इन चार भारतीय संशोधको की टीम ने प्रकल्प प्रस्तुत किया.
अरण्य फाऊंडेशन के संस्थापक
मीनल मदनकर और डॉ. पूजा सावले यह अमरावती स्थित फाऊंडेशन के संस्थापक कार्यकारी सदस्य है. यह सामाजिक संस्था देश की १७ और विदेश की ६ ऐसे कुल २३ शीर्ष विद्यापीठ के १६० से अधिक संशोधक और प्राध्यापकों ने बनाई जानेवाली सेवाभावी संस्था है. संयुक्त राष्ट्र के शाश्वत विकास, उद्देश्य इस विषय अंतर्गत भौगोलिक द़ृष्टि दुर्गम क्षेत्र के समकालीन सामाजिक समस्या पर संशोधन करते है.
एशिया खंड से हुआ चयन
जिनेव्हा चैलेंज में शामिल होने के लिए दुनियाभर से कुल ३६६ टीम का पंजीयन किया गया. दुनियाभर से कुल ५५८ स्वास्थ्य विद्वानों ने १४५ प्रकल्प प्रस्तुत किए. उसमें से शैक्षणिक सुकाणू समिति ने १६ उपात्य फेरी की टीम का चयन किया. जिसमें से भारतीय संशोधक टीम को द्वितीय पुरस्कार देकर गौरवान्वित किया.