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संभाग में 10 हजार विद्यार्थी 3 माह से दूध से वंचित

समाज कल्याण छात्रावासों व आश्रम शालाओं की भोजन आपूर्ति में हो रहा घोटाला

* भीमशक्ति संगठन ने दोषियों पर फौजदारी कार्रवाई करने की उठाई मांग
अमरावती/दि.21 – सामाजिक न्याय विभाग द्वारा राज्य में पिछडा वर्गीय विद्यार्थियों हेतु 441 सरकारी छात्रावास तथा अनुसूचित जाति व नवबौद्ध छात्र-छात्राओं हेतु 100 निवासी आश्रम शालाएं बनाये गये है. जिसके तहत अमरावती संभाग के 5 जिलों मेें 87 छात्रावास व 26 निवासी आश्रम शालाओं का भी समावेश है. जिनमें करीब 10 हजार छात्र-छात्राएं रहकर पढाई करते है. परंतु यह 10 हजार पिछडावर्गीय छात्र-छात्राएं विगत तीन माह से दूध से वंचित है तथा इन छात्र-छात्राओं को पौष्टिक भोजन देने के नाम पर खुलेआम घोटाला हो रहा है. इस आशय का आरोप भीमशक्ति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पंकज मेश्राम द्वारा लगाया गया है. साथ ही घोटाले में लिप्त दोषियों के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई की मांग भी उठाई गई है.
इस संदर्भ में जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, सरकारी नियमानुसार अमरावती संभाग के कुल 113 छात्रावासों व निवासी आश्रम शालाओं में 16 नवंबर 2023 से कैलास फ्रूट एण्ड किराणा जनरल स्टोअर व जेवी ब्रिक्स इंडिया प्रा.लि. कंपनी द्वारा भोजन आपूर्ति किये जाने की बात सामाजिक न्याय विभाग ने राज्य सरकार को बतायी है. साथ ही कहा है कि, सरकारी निर्णयानुसार इन छात्रावासों का आश्रम शालाओं में प्रवेशित विद्यार्थियों को रोजाना शक्करयुक्त 200 मिली शुद्ध का पौष्टिक दूध देने की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर समाज कल्याण के सहायक आयुक्त पर रहेगी. परंतु 16 नवंबर 2023 से लेकर अब तक विद्यार्थियों को दूध की आपूर्ति करने का आदेश ही जारी नहीं किया गया है. जिसके चलते इन छात्रावासों व आश्रम शालाओं में रहने वाले अनुसूचित जाति के विद्यार्थी दूध मिलने से वंचित है. यह एक तरह से अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का शोषण है तथा दूध की आपूर्ति आवश्यक रहने के बावजूद दूध नहीं मिलने के चलते विद्यार्थियों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड रहा है. वहीं दूसरी ओर दूध आपूर्ति का आदेश नहीं रहने के बावजूद कुछ छात्रावासों में विद्यार्थियों पर दबाव डालते हुए उनसे दूध नियमित मिलने की बात लिखवाकर ली जा रही है. जबकि छात्रावासों व आश्रम शालाओं के गृह प्रमुख व गृहपाल ने सूचना अधिकार के तहत पूछे गये सवाल के जवाब में लिखित तौर पर स्वीकार किया है कि, उन्हें विद्यार्थियों को दूध आपूर्ति करने का कोई आदेश नहीं दिया गया है. ऐसे में यह पूरा मामला बेहद गंभीर है. जिसकी सरकारी स्तर पर जांच की जानी चाहिए तथा दोषिय

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