कुल्हाडी से हत्या का प्रयास करने वाले को 10 वर्ष सश्रम कारावास
सबूत के अभाव में दो आरोपी बाईज्जत बरी
* जिला व सत्र न्यायालय के आदेश
अमरावती/ दि.15– माहुली जहांगीर पुलिस थाना क्षेत्र के ब्राह्मणवाडा गोविंदपुर निवासी तंटामुक्ति अध्यक्ष नितीन भुयार पर कुल्हाडी से हमला कर हत्या के प्रयास के अपराध में दोष सिध्द होने पर जिला न्यायालय क्रमांक 1 व अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायमूर्ति एस. एस. अडकर की अदालत ने ब्राह्मणवाडा गोविंदपुर निवासी संजय तायडे नामक आरोपी को 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई. इस मामले में शामिल आरोपी सुधाकर उईके व संजय खुले को सबूतों के अभाव में बाईज्जत बरी कर दिया.
संजय अजाबराव तायडे (32, ब्राह्मणवाडा गोविंदपुर) यह सजा पाने वाले आरोपी व सुधाकर डोमाजी उईके (50), संजय नारायण खुले (40) यह दोनों बाईज्जत बरी होने वाले व्यक्तियों के नाम है. जानकारी के अनुसार नितीन भुयार 24 अगस्त 2018 की दोपहर 1.30 बजे खेत से वापस आते समय ब्राह्मणवाडा गोविंदपुर के समाज मंदिर के पास स्थित खुले मेैेदान में आरोपी संजय तायडे की नितीन भुयार ने अवैध शराब पकडाकर दी थी, उस गुस्से में संजय तायडे ने कुल्हाडी से नितीन भुयार के सिर पर, गाल पर हमला कर गंभीर रुप से घायल कर दिया. इस समय सुधाकर उईके, संजय खुले भी उपस्थित थे. इस हमले में नितीन बेहोश हो गया. उसे गंगाधर भुयार ने अमरावती जिला अस्पताल में भर्ती किया. घटना की जानकारी मिलने पर नितीन के पिता ज्ञानेश्वर भुयार अमरावती अस्पताल पहुंचे. नितीन भुयार की हालत चिंताजनक होने के कारण उसे तत्काल नागपुर इलाज के लिए ले जाया गया और घायल नितीन के पिता ज्ञानेश्वर भुयार ने माहुली जहांगीर पुलिस थाने मेें शिकायत दी. पुलिस अधिकारी संतोष बोयने ने मामले की तहकीकात कर 22 नवंबर 2018 को अदालत में दोषारोपपत्र दायर किया. सरकारी पक्ष की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील दिलीप तिवारी ने 10 गवाहों के बयान लिये. अपराध सिध्द होने पर आरोपी को उपरोक्त सजा सुनाई गई. सरकारी पक्ष की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील दिलीप तिवारी ने दलीले पेश की. पैरवी अधिकारी के रुप एनपीसी हटवार ने सहयोग किया.
ऐसी सुनाई सजा
जिला व न्यायालय क्रमांक 1 व अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायमूर्ति एस. एस. अडकर की अदालत ने गवाहों के बयान और सबुतों के बीना पर आरोपी संजय अजाबराव तायडे को 10 वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना और जुर्माना न भरने पर छह माह अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई. जबकि इस मामले में शामिल आरोपी सुधाकर उईके व संजय फुले को सबूत के अभाव में बाईज्जत बरी कर दिया.