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100 बरस के मेहता ने की वोट डालने की अपील

आज लिया गृह मतदान सुविधा का लाभ

* स्मरणशक्ति तेज, किया है प्रत्येक चुनाव में वोटिंग
* युवाओं के लिए आदर्श है दिनचर्या
अमरावती/दि. 14 – 55 वर्षों तक देश की अग्रणी कॉटन कंपनी लक्ष्मी कॉटन में सेवा देने के पश्चात अपनी संयुक्त घर गृहस्थी भी यथावत और अनुशासन से संभालते 100 बरस के रमणिकलाल गंगादास मेहता के चेहरे पर लोकतंत्र का प्रहरी होने का तेज देखते ही बना. उन्होंने श्रीकृष्णपेठ में नेमाणी हॉल के पीछे स्थित निवास पर आज गृह मतदान सुविधा का लाभ लिया और अपना बेश कीमती मतदान किया. उनके चेहरे पर बेशक खुशी और संतोष का तो भाव था ही वे युवाओं को अवश्य मतदान करने के आवाहन भी करते रोल मॉडल नजर आए. उनकी दिनचर्या युवाओं के लिए आदर्श होने की बात उनसे मिलने पर सहज पता चल जाती है.
* तीन पुत्र, चार पौत्र
रमणिकलाल मेहता के तीन पुत्र शैलेशभाई, नितिनभाई और सीए मनीष मेहता है. चार पौत्र जय, रशेस, वरुण और सीए साकेत हैं. सभी इसी भवन में एक साथ रहते हैं. रमणिकभाई ने ऐसे संस्कार दिए हैं कि, तीनों पुत्र, पुत्रवधू और पौत्रवधू उनका बराबर ध्यान रखते हैं. खुद रमणिकभाई आज भी फीट और फाइन है. वे कहते है कि, सबेरे 5.30 बजे जाग जाता हूं. अपनी दिनचर्या शुरु करने के पश्चात भावभक्ति और पाठपूजा करता हूं. आज भी घर का मुखिया होने का फर्ज वे पूरे मनोयोग से निभाते हैं.
* डायट कंट्रोल का नुस्खा
रमणिकभाई ने अमरावती मंडल से बातचीत में बताया कि, उनकी पूरी तरह फीट शरीरयष्टि के लिए उनका सादा, सात्विक आहार है. वे नियंत्रित खुराक लेते हैं. उनका दीर्घायु जीवन का यही फंडा है कि, तीन रोटी की भूख है तो आधी रोटी कम खाएं. उसी प्रकार जल्दी सोए, जल्दी जागे.
* जबरदस्त स्मरणशक्ति, कई प्रांतों के दौरे
रमणिकभाई मेहता ने बताया कि, उन्हें दो और भाई थे. बडे रसिकभाई एवं छोटे वरजीवनदास. उनकी पत्नी रमाबेन मेहता का 1998 में स्वर्गवास हो गया. आज भी गजब की स्मरणशक्ति के धनी रमणिकभाई बताते हैं कि, 1943 में मैट्रीक्युलेशन होते ही वे लक्ष्मी कॉटन ट्रेडर्स लि. में सेवारत हो गए थे. तब से 1998 तक वे कराची से लेकर अमरावती तक कंपनी के काम में सक्रिय रहे. उसी प्रकार पासपडोस के जिलो और नगरो में कॉटन सेल परचेस में उनका काम रहा. कई प्रांतों कर्नाटक, गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश में भी कंपनी के काम से जा चुके हैं. वहीं परिवार के संग तीर्थयात्राएं भी की है. यह कहते हुए रमणिकभाई धारा प्रवाह एक-एक ग्राम, नगर का नाम बोलते हैं. 1949 में अमरावती आकर बसे रमणिकभाई ने विभाजन आंखो से देखा. उस समय वे कराची में कार्यरत थे. बाद में मुंबई और फिर अमरावती आए. हाल ही में मेहता परिवार ने उनका 100 वां जन्मदिन उत्साह से मनाया. यह पल बेशक उनके लिए बडा आनंदमय रहा. तीसरी-चौथी पीढी को अपने ईर्द-गिर्द खेलते, काम करते देखकर आनंदित होते रमणिकभाई ने पुन: अमरावती के लोगों से शत-प्रतिशत मतदान की अपील की. उन्होंने 1952 से लेकर अब तक प्रत्येक आम चुनाव, विधानसभा और मनपा चुनाव में उत्साह से मताधिकार का प्रयोग किया है.

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