अमरावतीविदर्भ

मौत के दरवाजे से लौटे 1069 संक्रमित मरीज

साढे पांच माह से डॉक्टर लगातार कर रहे प्रयास

  • संक्रमित मरीजों से भी मिल रहा सकारात्मक प्रतिसाद

अमरावती/दि.23 – कोरोना संक्रमण काल के दौरान यद्यपि इस समय तक सभी मंदिर बंद है और स्वयं भगवानों की प्रतिमाएं लॉकडाउन में है. लेकिन ऐसे विपरित काल में डॉक्टरों के रूप में मानो देवदूत ही मरीजों की फिक्र और इलाज कर रहे है. ऐसा विगत कुछ दिनों के अनुभवों को देखकर कहा जा सकता है. बीते साढे पांच के दौरान जहां एक ओर 11 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके है, और करीब 250 लोगों की इस संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है, वहीं 1 हजार 69 मरीज ऐसे भी रहे, जिन्हें डॉक्टरों ने मौत के दरवाजे से सकुशल बचाकर वापिस ला लिया. सुपर स्पेशालीटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ द्वारा किये गये महत प्रयास, अत्याधूनिक चिकित्सा सुविधा तथा मरीजों की सकारात्मक वृत्ति की वजह से यह संभव हो पाया है.
बता दें कि, अमरावती जिले में कोरोना का पहला संक्रमित मरीज 3 अप्रैल को पाया गया था. जिसकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आने से पहले ही उसकी इर्विन अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी और मृत्यु पश्चात उसकी रिपोर्ट पॉजीटिव आयी थी. इसके बाद 7 अप्रैल को पहली बार कोरोना संक्रमण से ग्रस्त गंभीर स्थितिवाला मरीज सुपर स्पेशालीटी के कोविड हॉस्पिटल के आयसीयू में भरती कराया गया और कोरोना संक्रमण से ग्रस्त इस बुजुर्ग महिला को डॉक्टरों ने महत प्रयास करते हुए मौत के मुंह से बचा लिया. जिसके चलते 17 दिनों बाद यह महिला अब उसके परिवार के अन्य लोग कोविड मुक्त होकर अस्पताल से डिस्चार्ज प्राप्त करते हुए अपने घर लौटे. इस समय इन मरीजों सहित अपने प्राणों को खतरे में डालकर मरीजों का इलाज करनेवाले डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ का उत्साह बढाने हेतु खुद जिलाधीश शैलेश नवाल कोविड अस्पताल में उपस्थित हुए थे और सभी अधिकारियों ने तालियां बजाकर कोविडमुक्त हो चुके मरीजों व उनका इलाज करनेवाले डॉक्टरों का स्वागत किया था. 7 अप्रैल से 20 सितंबर के दौरान कोरोना सहित विविध संक्रामक व गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 1 हजार 69 मरीजों को कोविड अस्पताल के जिगरबाज डॉक्टरों ने आयसीयू वॉर्ड यानी मौत के मुंह से निकालकर सुरक्षित बाहर लाया. यह अपने आप में एक बडी उपलब्धि है.
बता दें कि, सरकारी कोविड अस्पताल में डॉक्टरों सहित 80 लोगों की टीम कार्यरत है. जो महिनाभर अपने परिवार से दूर रहते हुए अपनी जान का खतरा लेकर मरीजों की सेवा का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है. इसमें फिजीशियन, एनस्थेशिया विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ और सर्जन का समावेश है. साथ ही अस्पताल के महिला व पुरूष नर्स एवं सफाई कर्मचारी भी कोरोना संक्रमण काल के दौरान पूरे समर्पित भाव से मरीजों की सेवा कर रहे है.

780 अति गंभीर मरीज हुए कोरोना मुक्त

कोरोना संक्रमण काल में विगत पांच माह के दौरान कोरोना सहित विभिन्न गंभीर बीमारियों से संक्रमित अति गंभीर स्थितिवाले 1 हजार 69 मरीज 20 सितंबर तक कोविड अस्पताल में भरती हुए. जिसमें से 780 मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज करते हुए उन्हें संक्रमणमुक्त किया गया और अस्पताल से डिस्चार्ज दिया गया. अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने के बाद संबंधित मरीजों को अगले 14 दिनों तक होम आयसोलेशन में रहना होता है. इस दौरान भी यदि उन्हेें कोई तकलीफ होती है, तो उन्हें इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी गयी. वहीं इस समय आयसीयू में 114 संक्रमितों का इलाज जारी है.

58 गर्भवति महिलाओं की सफलतापूर्वक शल्यक्रिया

कोरोना काल के दौरान करीब 63 गर्भवति महिलाएं कोरोना संक्रमण का शिकार हुई. ऐसे मरीजों हेतु कोविड अस्पताल में 50 बेड का स्वतंत्र वॉर्ड तथा ऑपरेशन थिएटर तैयार किये गये है. इसमें से 58 गर्भवति महिलाओं पर यहां के डॉक्टरों ने शल्यक्रिया की. वहीं पांच महिलाओें की प्रसूति सामान्य ढंग से हुई. ये सभी महिलाएं और उनके नवजात बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ व सुरक्षित है. साथ ही नवजात बच्चों की ओर समूचित ध्यान दिये जाने के चलते इनमें से किसी को भी कोरोना की संक्रामक बीमारी नहीं है.

  • डॉक्टरों द्वारा किये जा रहे महत प्रयास, अत्याधूनिक चिकित्सा पध्दति तथा मरीजों की सकारात्मक प्रवृत्ति के चलते अति गंभीर स्थिति में रहनेवाले मरीजों के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ. इसकी हमें बेहद खुशी है कि हम ऐसे विपरित काल के दौरान भी सैंकडों लोगों की जिंदगियां बचा पाये है. साथ ही सरकारी कोविड अस्पताल में और भी 100 बेड की सुविधा बढाने का काम प्रस्तावित है, ताकि यहां सभी मरीजों के लिए इलाज की सुविधा उपलब्ध हो सके.
    – डॉ. श्यामसुंदर निकम
    जिला शल्य चिकित्सक, अमरावती.

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