अमरावती

पांच वर्ष में 1 हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या हुई 1,090

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट

  • लड़कों की तुलना में लड़कियों के जन्म का प्रमाण बढ़ा

अमरावती/दि.4 –लड़कियां लड़कों की अपेक्षा किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. यह अब प्रत्येक क्षेत्र में साबित हुआ है. बेटा व बेटी में न होने वाला भेदभाव, समाज में बढ़ती साक्षरता, गत कुछ वर्षों से लड़कियों के जन्म बाबत समाज में हुई जागरुकता आदि सहित अन्य कुछ महत्वपूर्ण कारणों के कारण गत पांच वर्षों में जिले में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या बढ़ी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार जिले में गत पांच वर्ष में 1 हजार लड़के से पीछे लड़कियों की संख्या करीबन 1090 से अधिक पर पहुंची है. यह काफी समाधानकारक बात है. इसी समय सद्यस्थिति में जिले में 1 हजार पुरुषों के पीछे महिलाओं की संख्या 994 तक पहुंची है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की पांचवीं रिपोर्ट हाल ही में घोषित की गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार जिले में सद्यस्थिति में 6 वर्ष से अधिक आयु के 86.2 प्रतिशत लड़की, युवती शाला, महाविद्यालय में जाकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. पांच वर्ष पूर्व यह प्रमाण 83 प्रतिशत था. आज की स्थिति में जिले में महिलाओं की साक्षरता का प्रतिशत 87.8 है. फिलहाल 20 से 24 आयु वाली विवाहित महिलाओं में 9.8 प्रतिशत महिलाओं का विवाह यह उनकी उम्र के 18 वर्ष से कम आयु में हुआ है. पाच वर्ष पूर्व यह प्रमाण 14 प्रतिशत था. जिले में कुल लोकसंख्या की तुलना में 15 वर्ष से कम आयु के लड़के-लड़कियों का प्रतिशत फिलहाल 21.1 है. यह प्रतिशत पांच वर्ष पूर्व 22.9 था. इस पर से गत पांच वर्ष में इस संख्या में करीबन 1.8 प्रतिशत कमी हुई है. आज की स्थिति में जिले में 99.1 प्रतिशत घरों में बिजली आपूर्ति पहुंची है. पांच वर्ष पहले 93 प्रतिशत घरों में ही बिजली आपूर्ति थी. लेकिन अब भी जिले में 100 प्रतिशत घरों में बिजली आपूर्ति नहीं हुई है.

जिले के 4.2% नागरिक अब भी पीने के स्वच्छ पानी से वंचित

पांच वर्ष पूर्व राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण के अनुसार जिले के 95.3 प्रतिशत घरों में पीने का शुद्ध पानी पहुंचा था. लेकिन गत पांच वर्षों में इस काम में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है. इस कारण पांच वर्षों बाद सिर्फ 95.8 प्रतिशत नागरिकों तक पीने का शुद्ध पानी पहुंचा है. पीने के शुद्ध पानी के क्षेत्र में पांच वर्ष में केवल 0.5 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है. जिले के 4.2 प्रतिशत नागरिकों को अब भी पीने के लिए अशुद्ध पानी ही मिलने की बात सर्वेक्षण में सामने आयी है.
तनाव बढ़ने से ज्ञात होती है रक्तदाब की तकलीफ,मात्र जिले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को रक्तदाब की तकलीफ अधिक है

रक्त की शक्कर
पुरुष        महिला
13.1%     10.3%

10.3 प्रतिशत महिला व 13.1 प्रतिशत पुरुष रक्त की शुगर नियंत्रण के लिए लेते हैं दवा

जिले की 5.1 प्रतिशत महिलाओं के खून में शुगर का प्रमाण (141 से 160एमजी/डीएल) इतना है. 160 एमजी/डीएल या उससे अधिक शुगर का प्रमाण वाली महिलाओं का प्रतिशत 4.5 है. इसी समय करीबन 10.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं कि रक्त की शक्कर को नियंत्रण में रखने के लिए उन्हें नियमित औषधोपचार लेना पड़ता है. वहीं शक्कर नियंत्रण में रखने के लिए 13.1 प्रतिशत पुरुषों को औषधोपचार लेना पड़ता है.

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में रक्तदाब की समस्या अधिक

तनाव अधिक बढ़ने के कारण रक्तदाब की तकलीफ अनेकों में दिखाई देती है. मात्र जिले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को रक्तदाब की तकलीफ अधिक होकर यह तकलीफ नियंत्रण में रखने के लिए या बंद हो इसलिए करीबन 19.8 प्रतिशत महिला तो 18.7 प्रतिशत पुरुष नियमित औषधोपचार ले रहे हैं.

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