मेलघाट के 75 हजार मजदूरों के 11 करोड रुपए अटके!
मग्रारोगायो : प्रशासन के आश्वासन पर हतरु के पटवारी कार्यालय का खोला ताला
अमरावती /दि. 6– महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत पिछले ढाई माह से मेलघाट के धारणी और चिखलदरा तहसील के करीबन 75 हजार मजदूरों के 11 करोड रुपए का वेतन अटका हुआ है. पूरा दिन मेहनत करने के बाद और शाम को पेट भरनेवाले आदिवासियों को मेहनत का पैसा मिलने के लिए आंसू बहाना पड रहा है. यह काफी निंदनीय है.
लाडली बहनों का दुलार करने के साथ ही आदिवासियों को उनके अधिकार के पैसे देने की मांग गुरुवार को हतरु में पटवारी कार्यालय को ताला लगाकर की गई. यह ताला प्रशासन द्वारा आश्वासन देने के बाद रात खोला गया. मेलघाट के धारणी और चिखलदरा तहसील में राज्य में सर्वाधिक महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के काम किए जाते है. अब तक चिखलदरा तहसील में 44 हजार 406 तथा धारणी तहसील में 31 हजार 331 ऐसे कुल 75 हजार मजदूर सीटीसी दगडी बांध, घरकूल, मवेशियों का कोठा, पौधारोपण आदि विविध कामों पर विविध यंत्रणा की तरफ से काम कर रहे है. इन मजदूरों की पिछले ढाई माह से मजदूरी चिखलदरा तहसील में 6 करोड रुपए और धारणी तहसील में 5 करोड रुपए ऐसे कुल 11 करोड रुपए शासन की तरफ बकाया है. मजदूरी तत्काल देने की मांग तहसील सरपंच संगठना के अध्यक्ष अल्केश महल्ले ने की है.
* हतरु का ताला खोला
हतरु ग्राम पंचायत अंतर्गत आनेवाले चिलाटी गांव के 300 से अधिक मजदूरों को पांच सप्ताह रोगायो के काम का वेतन मिला नहीं है, इस कारण गुरुवार को पटवारी कार्यालय को ताला लगा दिया गया था. देर रात को तहसीलदार जीवन मोराणकर और अधिकारियों ने आदिवासियों को समझाकर ताला खोला.
* पेट के लिए मग्रारोगायो ही पर्याय?
मेलघाट में उद्योगधंधे नहीं है. बंजर खेती में मेहनत कर फसल निकाली जाती है. इस कारण बडे शहरों में मजदूरी के काम पर जाना अथवा मेलघाट में रोगायो के काम पर, यही एकमात्र पर्याय हजारों मेलघाट के आदिवासियों के सामने है.
* लाडली बहनों का दुलार और आदिवासियों के हाल?
मेलघाट के आदिवासी सर्वाधिक प्रमाण में रोगायो काम पर रहते पूर्ण वर्ष उनके वेतन की चर्चा रहती है. होली यह उनके सबसे बडे त्यौहार में भी मजदूरी नहीं दी जाती है. लाडली बहन की किश्त भेजने के आश्वासन पर कायम रहनेवाली सरकार ने गरीब आदिवासियों का वेतन पिछले ढाई माह से नहीं दिया है. उनपर भूखमरी की नौबत बकाया वेतन न मिलने से आन पडी है. इस समस्या का हल कौन निकालेगा, ऐसा सवाल गौरखेडा बाजार के सुभाष भास्कर नामक मजदूर ने किया. नकद मजदूरी के लिए अनेक मजदूरों ने रोगायो की बजाए खदान के काम पर जाना शुरु किया है.
* जल्द मजदूरी देने का प्रयास
कार्यालय पर लगा ताला गुरुवार की रात आदिवासियों से मुलाकात कर खोला गया. जल्द से जल्द मजदूरी देने का प्रशासन का प्रयास शुरु है.
– जीवन मोरोणकर, तहसीलदार, चिखलदरा.