संभाग के 11 गांवों को बाढ का खतरा, 1438 अस्थाई निवास उपलब्ध

अमरावती/दि.29 – इस समय पश्चिम विदर्भ यानि अमरावती संभाग के पांचों जिलो में मानसूनपूर्व बारिश हो रही है और मानसून के सक्रिय होने पर नदी-नालों के उफान पर आने की संभावना बनी हुई है. संभाग के 1097 गांव संभावित बाढ प्रभावित क्षेत्र में रहने का प्राथमिक अनुमान आपत्ति व्यवस्थापन विभाग द्वारा व्यक्त किया गया है. इसमें से 615 गांव बडी नदियों तथा 475 गांव छोटे नदी-नालों में आनेवाली बाढ की वजह से प्रभावित होने की संभावना है. ऐसे में संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने नागरिकों के लिए 1438 अस्थाई निवास की व्यवस्था की है.
प्रति वर्ष औसत से अधिक बारिश होने के चलते नदी-नालों में बाढ आने तथा गांवों में बारिश का पानी घूस जाने की घटनाएं घटित होती है और ऐसी घटनाओं में जीवित एवं वित्तहानी होने के साथ-साथ खेतीकिसानी व फसलों का भी बडे पैमाने पर नुकसान होता है. इस वर्ष भी संभाग में औसत की बजाए 105 फीसद बारिश होने की संभावना भारतीय मौसम विभाग द्वारा दर्शायी गई है. जिसके मद्देनजर आपत्ति व्यवस्थापन विभाग पूरी तरह से तैयारी में जुट गया है. जिसके तहत विभागीय आयुक्त श्वेता सिंघल ने सोमवार को ही सभी संबंधित महकमों की समीक्षा करते हुए उन्हें तैयार रहने का निर्देश दिया है.
जानकारी के मुताबिक संभाग में अमरावती जिले के ही सर्वाधिक 482 गांवों को नदी-नालों में आनेवाली बाढ का खतरा है. इसके अलावा यवतमाल के 169, अकोला के 77, बुलढाणा के 286 एवं वाशिम के 83 गांव बाढ के खतरे में बताए जाते है. जो 35 बडी नदियों एवं 264 छोटे नदी-नालों के किनारे बसे हुए है.
* गाज को रोकने 859 अरेस्टर
बारिश के मौसम दौरान आसमानी गाज गिरने की वजह से भी बडे पैमाने पर नुकसान होता है. जिसके चलते संभाग की सरकारी इमारतों व बीएसएनएल के टॉवर पर 859 लायटनिंग अरेस्टर लगाए गए है. जिसके तहत अमरावती जिले में 462, यवतमाल जिले में 153, अकोला जिले में 12, बुलढाणा जिले में 145 व वाशिम जिले में 87 स्थानों लायटनिंग अरेस्टर लगाए गए है. इसके अलावा 390 राजस्व मंडलों में लगाए गए वेदर स्टेशन मौसम को लेकर अलर्ट देते है.
* 2874 प्रशिक्षित मनुष्यबल
संभाग में प्राकृतिक आपदा वाली स्थिति का सामना करने हेतु 2874 प्रशिक्षित मनुष्यबल को तैयार किया गया है. जिसके तहत खोज व बचाव पथक में 1018, आपदा मित्र पथक में 1200, प्रथमोपचार हेतु 322, मास्टर ट्रेनर के तौर पर 221 लोगों को तैयार करने के साथ ही चार रेडिओ ऑपरेटर, 8 स्कुबा डाइवर एवं एनजीओ के 101 लोगों को भी तैयार रखा गया है. इसके अलावा 29 रबर बोट, 2 फाइबर बोट व 1869 लाइफ जैकेट सहित अन्य जरुरी साहित्य को भी पहले से उपलब्ध करा लिया गया है.