अमरावतीमहाराष्ट्र

आसमानी व सुलतानी संकट के 1140 शिकार

हर 8 घंटे में हो रही एक किसान आत्महत्या

* पश्चिम विदर्भ में बदस्तूर जारी है किसान आत्महत्याओं का सिलसिला
अमरावती /दि.12– महाराष्ट्र को किसान आत्महत्या मुक्त करने की घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी सरकार स्थापित करते समय अपने कार्यकाल के पहले ही दिन की थी. लेकिन किसान आत्महत्याओं का सिलसिला अब तक रुका नहीं है. वर्ष 2023 के दौरान 365 दिनों में पश्चिम विदर्भ के करीब 1140 किसानों ने अपने ही हाथो अपनी जान दे दी. समूचे राज्य में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में ही हुई है और यह सभी किसान आसमानी व सुलतानी संकट का शिकार हुए है.

आंकडों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, पश्चिम विदर्भ में रोजाना 3 यानि हर 8 घंटे में एक किसान द्वारा आत्महत्या की जा रही है. किसान आत्महत्याओं के कारणों को खोजने हेतु मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्कालीन कृषि मंत्री अब्दूल सत्ता ने अमरावती जिले के आदिवासी बहूल मेलघाट क्षेत्र में अपना पूरा एक दिन एक आदिवासी किसान के घर पर रहकर बिताया था. जिसके बाद उन्होंने किसान आत्महत्याग्रस्त 14 जिलों के जिलाधिकारियों व अन्य अधिकारियों को ‘एक दिन किसानों के लिए’ नामक कार्यक्रम दिया. साथ ही किसान आत्महत्याओं के पीछे रहने वाली वजहों को खोजकर उसके बारे में उनसे रिपोर्ट भी मांगी. यद्यपि इन सबके पीछे सरकार का उद्देश्य बेहद शानदार था. लेकिन इसके बावजूद यह अभियान केवल फोटो सेशन तक ही मर्यादित होकर रहे गये. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता.

पक्षिम विदर्भ में विगत एक वर्ष के दौरान 1140 किसान आत्महत्याएं हुई है. जिसमें से सरकारी सहायता के लिए केवल 517 मामले ही साबित हो गये. इसके अलावा 317 मामलों को सरकारी सहायता के लिए अपात्र ठहराया गया. वहीं विगत 11 माह से करीब 245 मामले जांच के नाम पर विचाराधीन रखे गये है. जिसके चलते किसान आत्महत्याओं को लेकर सरकार पर असंवेदनशीलता का आरोप भी लगाया जा रहा है.

* वर्ष 2001 से अब तक की स्थिति
किसान आत्महत्या – 20,006
सहायता पात्र मामले – 9,373
अपात्र मामले – 10,398
प्रलंबित मामले – 235

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