अमरावती

1197 अंगनवाडी हैं अंधेरे में

डीपीसी से चाहिए निधि, ‘आकार’ पाठ्यक्रम कैसे हो पुरा

अमरावती/ दि.21 – जिले की 2 हजार 346 अंगनवाडियों में से केवल 1 हजार 476 अंगनवाडियों में विद्युत आपूर्ति उपलब्ध है. वहीं शेष 1 हजार 197 अंगनवाडियों में विद्युत आपूर्ति का अभाव रहने के चलते अंधेरा कायम है. जिसके परिणाम स्वरुप प्राथमिक स्तर पर ‘आकार’ पाठ्यक्रम कैसे पढाया जाए और अंगनवाडियों को डिजीटल कैसे कराया जाए, यह सवाल पूछा जा रहा है. ऐसे में अब जिला नियोजन समिति की निधि के जरिये अंगनवाडियों को अपारंपारिक पध्दति से विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराये जाने की जरुरत है.
एकात्मिक बालविकास सेवा योजना अंतर्गत जिले में 2 हजार 646 अंगनवाडियां कार्यरत है. ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में काम करने वाली इन अंगनवाडियों में लाखों बच्चे शिक्षा प्राप्त करते है. जिन्हें अंगनवाडियों के जरिये पोषण आहार दिया जाता है. साथ ही कुपोषित बच्चों की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है. इसके अलावा अंगनवाडी में आने वाले बच्चों को पूर्व शालेय शिक्षा प्रदान की जाती है और इस जरिये बच्चों के सर्वांगिन विकास का प्रयास किया जाता है. इसके तहत आकार नामक पाठ्यक्रम भी पढाया जाता है और इस पाठ्यक्रम की सामग्री प्रतिमा वरिष्ठ कार्यालय व्दारा दी जाती है. जिसके अनुसार बच्चों को समझ में आने लायक तरीके से उन्हें पढाया जाता है, लेकिन जिले की जिन आंगनवाडी केंद्रों में विद्युत आपूर्ति नहीं है, वहां पर बच्चों के सर्वांगिन विकास के लिए गीत, बालचित्र व बाल शैक्षणिक पाठ्यक्रम का प्रयोग कैसे किया जाए, यह सवाल पैदा हो गया है. हालांकि कुछ स्थानों पर विपरित स्थितियों पर मात करते हुए बच्चों को पढाया जा रहा है.
विद्युत आपूर्ति के लिए निधि का प्रावधान ही नहीं
अंगनवाडियों के लिए विद्युत आपूर्ति करने अथवा उनके विद्युत देयक अदा करने के लिए केंद्र सरकार व्दारा किसी भी तरह की निधि का कोई प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में विद्युत कनेक्शन लेने के बाद प्रतिमाह आने वाले विद्युत देयक की अदायगी कैसे की जाए, यह प्रश्न अंगनवाडी स्तर पर उपलब्ध कराया जा रहा है. ऐसे में अंगनवाडी केेंद्रो पर विद्युत सुविधा उपलब्ध कराने हेतु सबसे पहले निधि उपलब्ध कराये जाने की जरुरत है.
आकार में संख्या ज्ञान सहित अन्य जानकारी
अंगनवाडियों के जरिये आकार पाठ्यक्रम में बच्चों को संख्या ज्ञान, मुलाक्षर, प्राणी व पक्षियों के नाम आदि की जानकारी दी जाती है. जिसके लिए अलग-अलग तरह के चार्ट तैयार किये जाते है और ईमारत की दीवारों पर कला चित्र साकार किये जाते है, ताकि इस जरिये विद्यार्थियों को जानकारी मिल सके.
दत्तक आंगनवाडियों को प्रतिसाद नहीं
एकात्मिक बालविकास सेवा योजना आयुक्तालय ने दत्तक आंगनवाडी उपक्रम चलाने का निर्देश दिया था. जिसके लिए गांव के सधन, संपन्न व दानी व्यक्ति को खोजकर उनके जरिये अंगनवाडी हेतु आवश्यक साहित्य उपलब्ध करवाने कहा गया था, लेकिन इस योजना को गांव स्तर पर कोई प्रतिसाद नहीं मिला. जिसके चलते दानवीरों की खोजबीन करने में प्रकल्प कार्यालय के अधिकारियों की अच्छी-खासी दौडभाग हुई.
प्रत्येक ग्रामपंचायत व्दारा अंगनवाडी केंद्रों में शौचालय की व्यवस्था अपनी निधि से करना जरुरी है. क्योंकि अंगनवाडी गांव में ही स्थित है और इसमें पढने वाले बच्चे भी गांव के ही है. अत: ग्रामपंचायतों ने अपने ही गांव के बच्चों हेतु यह इंतजाम करना चाहिए. इसके लिए मुख्यकार्यकारी अधिकारी के मार्गदर्शन में ग्रामपंचायतों को विद्युत आपूर्ति कनेक्शन व अन्य सुविधाएं देने का पूरा प्रयास किया जाएगा.
– डॉ. कैलाश घोडके,
डेप्युटी सीईओ, अमरावती जिप
बिजली नहीं रहने वाले तहसील निहाय केंद्र
अचलपुर – 147
दर्यापुर – 144
अंजनगांव – 97
चांदूर बाजार – 122
नांदगांव खंडे – 111
धामणगांव – 46
चांदूर रेलवे – 43
वरुड – 133
धारणी – 186
चिखलदरा – 168

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