अप्रैल की गर्मी का 120 वर्ष पुराना रिकार्ड टूटा !

आगे भी भीषण दौर का अंदाज

* हीट डिस्कंफर्ट लगातार बढ रहा
अमरावती/दि. 22– इस बार अप्रैल माह गत 120 वर्षो में सर्वाधिक गर्म रहने जा रहा है. यह अंदाज मौसम वैज्ञानिकों ने व्यक्त किया है. 2024 वर्ष सर्वाधिक गर्म रहा था.् ग्रीष्मकाल में इस बार औसत बारिश नहीं होने से तापमान हमेशा जैसा रहेगा. किंतु कुल गर्मी टोटल हिट कन्टेंट काफी बढ गई है. उष्णता और वाष्पीकरण के कारण हीट डिस्कंफर्ट बढता जा रहा है. इसलिए सर्वत्र उष्ण लहर रहने से घर में रहने पर भी लोगों को गर्मी के विकार अपनी चपेट में ले रहे हैं.
पश्चिम विदर्भ सहित राज्य और प्रदेश के अनेक भागों में अप्रैल माह गर्म लहर से त्रस्त दिखाई दे रहा है. बाहर निकलना दुश्वार हो रखा है. घर में भी पंखे और कूलर शुरू रहने पर भी राहत नहीं मिल रही हैं. इतना तेज गर्मी पड रही है. ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार फरवरी में ही पहली उष्ण लहर का अहसास हो गया था. अब तक 2024 का अप्रैल सर्वाधिक गर्म रहा था. लग रहा है कि 2025 यह रिकार्ड तोड देगा. फरवरी से अप्रैल लगातार तीन महीने उष्ण लहर की अवधि काफी रही है.
अत्यंत तेज धूप के कारण पानी का वाष्पीकरण अधिक प्रमाण में हो रहा है. जिससे गर्मी और वाष्प का संगम हीट डिस्कंफट्र का सामना लोगों को करना पड रहा हैं. पहले केवल विदर्भ और कोकण में गर्मी का त्रास माना जाता था. अब तो पुणे, नाशिक, संभाजीनगर, सांगली, कोल्हापुर, सातारा सोलापुर आदि शहरोंं में भी परेशानी हो रही है. कूलर और पंखे शुरू करने पर भी राहत नहीं मिल रही. जिससे माना जा रहा है कि आनेवाले दशक में देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या को अति उष्णता का सामना करना पडेगा. अप्रैल से जून तीन माह गर्मी के रहते हैं. किंतु सितंबर माह तक उमस के कारण बिजली की डिमांड बढती रहती हैं. इसे वैज्ञानिकों ने वेट बल्ब इफेक्ट संज्ञा दी है. कर्म और उमस के वातावरण को ऐसा कहा जाता है.
ऐसे वातावरण में मानव का शरीर शीतल होना मुश्किल है. शहरों के कांक्रीट के जंगल में तब्दील होने से और देहाती भागों में काली जमीन दिन भर उष्मा सोख लेती हैं. जिससे शहरों के साथ साथ देहातों में भी गर्मी, भीषण असर बता रही है.

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