अमरावती

संभाग की 122 पशुपालन संस्थाएं बंद पडी

पूरे विदर्भ में यही हाल

अमरावती/दि.17– पश्चिम विदर्भ की किसान आत्महत्या रोकने के लिए जोडधंधे को प्रोत्साहन देने के लिए करोडो रूपए खर्च किए गए. परंतु पशुपालन सहकारी संस्थाओं का नुकसान हो गया. अमरावती विभाग के लगभग 35 % संस्था बंद पडने का खतरनाक जानकारी है.
अमरावती विभाग के कुल 192 मुर्गीपालन, बकरी, भेड पालन और वराहपालन सहकारी संस्थाओं में 122 संस्था बंद पडी हैे मार्केटिंग संबंध में योग्य मार्गदर्शन का अभाव , चिकित्सकीय सुविधा की कमी, पूंजी का अभाव, ऐसे विविध कारणों के कारण इस संस्था पर यह स्थिति निर्माण हो गई है.
किसानों को पूरक व्यवसाय खडे करने के लिए किसान आत्महत्याग्रस्त 6 जिले में बडे प्रमाण में सहायता की गई.े जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी., ऐसा चित्र दिखाया गया था. परंतु सरकारी योजना पर अमल नहीं होने के कारण किसान निराश हो गया है.
संभाग में 22 लाख 48 हजार गाय, बैल, 4 लाख 53 हजार भैस, 13 लाख 38 हजार भेड बकरियां और अन्य 44 हजार पशुधन है. संभाग में 5 जिला कृत्रिम रेतन केंद्र, 572 पशु वैद्यकीय अस्पताल, 17 मोबाइल अस्पताल, 27 लघु बहु चिकित्सालय हैं. फिर भी पशुधन विकास में अमरावती पिछड गया है.
किसानों को अकेले व्यवसाय करनेवाली अडचने दूर हो, इस उद्देश्य से संबंधित व्यवसाय के लिए सहकारी संस्था स्थापित की गई है. अनुदान और कर्ज देकर इन सरकारी संस्थाओं ने काम करने की जिम्मेदारी निभाई. किंतु उचित मार्गदर्शन व व्यवस्था के अभाव में वह जल्द ही ठप्प हो गई.उन्हें सरकारी कार्यालय में चक्कर न लगाना पडे. इस उद्देश्य से राजनीतिक हित संबंध के लिए सहकारी संस्थाओं का उपयोग हुआ, ऐसा आरोप अब होने लगा है. पशुसंवर्धन दुग्धव्यवसाय और मत्स्य व्यवसाय यह कृषिपूरक व्यवसाय समझे जाते हैं. संपत्ति रोजगार निर्माण द्बारा कृषि आय में वे पूरक निर्धारित होते हैं.

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