प्रतिनिधि/दि.१
वरुड- वरुड नगर परिषद पर भाजपा का वर्चस्व होने के बावजूद भी पार्टी अंतर्गंत चल रहे कलह से भाजपा के १६ में से ११ पार्षदों ने नगराध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ आवाज उठायी है. चार दिनों पहले विरोधियों के साथ मिलकर सत्तारुढ पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर जिलाधिकारी को प्रस्ताव भेजा है. वहीं ३० जुलाई को विषय समिती के सभापति और सदस्यों में नगराध्यक्ष के पास अपने पदों के इस्तिफे सौंप दिए है. जिससे यहां की राजनीतिक खेमें में हलचल मच गई है. नगराध्यक्ष के अकेले बल पर किए जाने वाले कामकाज से परेशान होकर बगावत किए जाने की चर्चाएं राजनीतिक खेमें में चल रही है. इससे पूर्व मंत्री अनिल बोंडे को तगडा झटका लगा है. यहां बता दे कि पूर्व नगरपरिषद ने पक्ष बलाबल के अनुसार भाजपा १६, कांग्रेस ४, राष्ट्रवादी कांगे्रस २, वरुड विकास आघाडी १, प्रहार १ का समावेश है. वहीं नगराध्यक्ष भाजपा का है. यहां पर भाजपा बहुमत में होने से सत्ता उनकी बनी है. साढेतीन वर्षो तक कामकाज बेहतर ढंग से चल रहा था. लेकिन अचानक इसमें दरार पड गई. भाजपा के ११ पार्षदों ने गुट नेता सहित नगराध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ बगावत करते हुए जिलाधिकारी के पास अविश्वास प्रस्ताव भेज दिया है. नप के सत्तारुढ व विरोधी पार्षदों ने अपनी आघाडी तैयार कर नगराध्यक्ष स्वाती आंडे व उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने के खिलाफ गैर जिम्मेदाराना कामकाज और एकाधिकार का आरोप लगाया है. जिसके बाद भाजपा गुट नेता नरेंद्र बेलसरे के नेतृत्व में विषय समिती की सदस्यों सहित सभापतियों ने अपने पद का इस्तिफा दिया है. इनमें जलापूर्ति सभापति भारती मालोदे, महिला बाल कल्याण सभापति रेखा काले, निर्माण कार्य सभापति राजू सूपले, स्थायी समिती सहित विषय समिती सदस्य रहने वाले महेंद्र देशमुख, प्रशांत धुर्वे, छाया दुर्गे, पुष्पा धकिते, फिरदोस जहाँ अंसार बेग, शाहदा बेगम मो.अशफाक , कांता गवई, नूरोन्निसा मोबिनोद्दिन काजी, सुर्वण तुमराम, अर्चना आजनकर, उमेश यावलकर, किशोर भगत, नलिनी रक्षे, देवेंद्र बोडखे का समावेश है.