अमरावती/दि.15 – प्यार मोहम्मब में जिने मरने की कसम खाई जाती है. अपना प्यार पाने के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते है. माता-पिता को छोडकर प्रेमी के साथ लडकियां घर से भाग जाती है, ऐसे कई मामले उजागर हुए है और यह मामले पुलिस थाने पहुंचते है तो अपहरण बन जाते है. अमरावती जिले में पिछले 3 वर्ष में 1265 नाबालिग लडकियां किडनैप किये जाने के मामले दर्ज हुए. इसमें घर से भागी 835 लडकियों का समावेश है. जबकि घर वापस लौटी नाबालिगों में 430 का समावेश बताया गया हैं.
उल्लेखनीय है कि पिछले ढाई वर्ष में कोरोना के चलते स्कूल, महाविद्यालय बंद है. घर में कैद रहने के कारण कई नाबालिग अपराधिक मार्ग या नशाखोरी में लिप्त हो रहे है. अपराधिक घटनाओं के अध्ययन के अनुसार यह भी घटना सामने आयी है कि, ऑनलाइन पढाई के बहाने बच्चों को मोबाइल का जमकर चस्का लगा हुआ है कि उनके भविष्य के लिए घातक भी साबित हो सकता है. आपत्तिजनक साइड और फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि मीडिया प्लेटफॉर्म का जमकर उपयोग किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर केवल लडके ही नहीं बल्कि लडकियां भी आसानी से शिकार हो रही हैं. उन्हें सोशल मीडिया पर अंधे प्यार के जाल में बदनाम करने के नाम पर ब्लैकमेल किया जा रहा है, ऐसे कई मामले सामने आ चुके है.
वहीं प्यार में पागल होकर नाबालिग घर से प्रेमी के साथ भाग जाती है. सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार पुलिस नाबालिग के लापता होने पर अपहरण का अपराध दर्ज करती है, लेकिन जब वे पकडे जाते है, तब सच्चाई सामने आती है. पुलिस हमेशा अपहरण के मामले को काफी गंभीरता से लेती है, लेकिन ऐसे मामलों में कई बार दुष्कर्म की घटनाएं भी उजागर होते देखी गई है. घर से लापता हुए लोगों के लिए पुलिस व्दारा मुस्कॉन ऑपरेशन चलाया जाता है. इसमें पुलिस को लगातार कामयाबी मिलती रही है, लेकिन ऐसे मामलों में उन नाबालिगों को सही और गलत रास्ते का महत्व समझाने के लिए उचित मार्गदर्शन भी जरुरी है. ताकि किसी भी तरह की बडी घटना होने से रोका जा सके. पिछले तीन वर्षों में जिले में 1265 किडनैप होने की शिकायतें संबंधित पुलिस थानों में दर्ज हो गई. जबकि कई ऐसे मामले के चलते कई बार संगीन अपहरण के मामलों को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे कई बडी गलती सकती है.