अमरावती

जिले में लम्पी से 13 जानवरों की मौत

1,345 जानवर संक्रमण की चपेट में

प्रशासन चल रहा हाई अलर्ट पर
अमरावती-/दि.20   इन दिनों जानवरों में होनेवाली लम्पी स्कीन डीसीज नामक संक्रामक बीमारी जिले में बडी तेजी के साथ पांव पसार रही है और अब तक समूचे जिले में 1,345 जानवर इस बीमारी की चपेट में आ चुके है. जिसमें से 13 जानवरों की मौत हो चुकी है. वही राहतवाली बात यह है कि, 416 जानवर इस बीमारी की चपेट में आने के बाद संक्रमण मुक्त होकर ठीक हो गए है. इस बीमारी से मृत हुए जानवरों में 1 गाय, 1 बछडे व 11 बैलों का समावेश है.
जानकारी के मुताबिक इस समय जिले की 14 तहसीलों के 94 गांवों में अब तक लम्पी स्कीन डीसीज अपने पांव पसार चुकी है. इसमें सर्वाधिक संक्रमण बैल वर्गीय जानवरों को हुआ है. इसके साथ ही कई गाय व बछडे भी इस बीमारी की चपेट में आये है. संक्रमित जानवरों पर पशु संवर्धन विभाग द्वारा तत्काल इलाज शुरू किया गया है. ऐसी जानकारी पशु संवर्धन उपायुक्त डॉ. संजय कावरे तथा जिला पशु संवर्धन अधिकारी डॉ. पुरूषोत्तम सोलंके द्वारा दी गई है. इसके अलावा जिले में अब तक कुल 2 लाख 50 हजार प्रतिबंधक वैक्सीन का स्टॉक उपलब्ध कराया जा चुका है. जिसके जरिये अब तक करीब 1 लाख जानवरों का टीकाकरण किया जा चुका है. साथ ही टीकाकरण के लिए पशु संवर्धन विभाग के पास मनुष्यबल कम रहने की वजह से इस काम में आनेवाली दिक्कतों को दूर करने हेतु जिले में 168 निजी पशु चिकित्सकों की सहायता ली जा रही है. इसके अलावा जिला परिषद के पशुसंवर्धन विभाग द्वारा राज्य सरकार के पशुसंवर्धन विभाग से इस संदर्भ में टीकाकरण सहित अन्य आवश्यक उपायों को लेकर जरूरी सहायता प्राप्त की जा रही है. ऐसी जानकारी देते हुए सहायक उपायुक्त डॉ. राजू खेरडे ने बताया कि, बावजूद इसके रोजाना संक्रमित जानवरों की बढती संख्या चिंता पैदा करनेवाली है.

संसर्गजन्य बीमारी है लम्पी
लम्पी स्कीन डीसीज बीमारी केवल गोवंश व भैस वर्ग के जानवरों को होनेवाला विषाणुजन्य चर्मरोग है. यह बीमारी कीटनाशकों की वजह से फैलती है. परंतु जानवरों से इस बीमारी का संक्रमण इन्सानों को नहीं, बल्कि इस बीमारी की चपेट में पशुधन ही आता है. फिलहाल इस बीमारी की वजह से जिले में जानवरों की मौत होने का प्रमाण बेहद अत्यल्प है और जिला परिषद प्रशासन इसके लिए तमाम आवश्यक उपाय कर रहा है.

क्या कहते है आंकडे
14 संक्रमित गांव
13 पशुधन की मौत
1,345 पशुधन संक्रमित
416 पशुधन संक्रमण मुक्त
916 पशुधन आयसोलेट

जिले की 14 तहसीलोें के 94 गांवों में लम्पी स्कीन डीसीज का संक्रमण देखा जा रहा है. जिसमें 1,345 जानवर संक्रमित हुए है. इसमें से 400 से अधिक जानवर ठीक हुए है. वहीं संक्रमित जानवरों पर पशुसंवर्धन विभाग द्वारा इलाज किया जा रहा है. साथ ही टीकाकरण का काम युध्दस्तर पर किया जा रहा है. बीमारी के संक्रमण को रोकने व खत्म करने के लिए हम पूरे प्रयास कर रहे है. इस हेतु चलाये जा रहे उपायों में निजी पशु चिकित्सकों की भी सहायता ली जा रही है.
बॉक्स, फोटो लोकमत से
टेंभुरखेडा में लम्पी प्रतिबंधक टीकाकरण
– 450 पशुधन को लगाये गये टीके
वरूड के पशु वैद्यकीय दवाखाने तथा टेंभुरखेडा ग्राम पंचायत के संयुक्त प्रयासों से टेंभुरखेडा गांव में लम्पी स्कीन डीसीज प्रतिबंधात्मक टीकाकरण शिबिर का आयोजन किया गया. जिसमें 450 जानवरों को प्रतिबंधात्मक टीके लगाये गये. इस समय 3 से 4 जानवरों के शरीर पर लम्पी स्कीन डीसीज के लक्षण दिखाई दिये. जिनका तुरंत ही इलाज भी किया गया. साथ ही उपस्थित पशुपालकों और किसानों का मार्गदर्शन किया गया.
इस समय सरपंच रोशनी निंभोरकर, उपसरपंच राजेंद्र सोनुले, ग्रापं सदस्य मनोज माहुलकर व अशोक पंडागले सहित डॉ. शशीभूषण उमेकर, रविंद्र निंभोरकर, पशु वैद्यकीय दवाखाने के सहायक आयुक्त डॉ. बी. बी. खान, एलडीओ डॉ. अर्चना नायर, गौसेवक सुधीर शिवणकर, संजय पोकले, ऋत्विक सांबरतोडे, रत्नाकर देशमुख, आनंदराव कोचे, सचिन सोलोडे व तुषार लुंगे आदि उपस्थित थे.

गलत इंजेक्शन से जानवरों की तबियत बिगडी
– गर्दन पर बनी गांठ, दूध देने का प्रमाण भी घटा
वहीं इससे पहले चांदूर बाजार तहसील अंतर्गत टाकरखेडा पूर्णा में पशु वैद्यकीय अधिकारी ने जानवरों को लम्पी प्रतिबंधात्मक वैक्सीन का टीका लगाने की बजाय ब्रूसेला नामक गर्भ निरोधक वैक्सीन का टीका लगा दिया था. जिसका अब जानवरों के स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम पडता दिखाई दे रहा है. जिसके तहत कई जानवरों की गर्दन पर उस इंजेक्शन की वजह से गांठ बन गई है और कई जानवरों ने दूध देना बेहद कम कर दिया है. जिसकी वजह से अब पशुपालकों में काफी हद तक चिंता का माहौल दिखाई दे रहा है.
बता दें कि, टाकरखेडा पूर्णा स्थित पशु वैद्यकीय दवाखाने के सहायक पशुधन विकास अधिकारी डॉ. एस. आर. सातव ने टाकरखेडा पूर्णा में गाय, बैल व भैस जैसे कुल 110 जानवरों को लम्पी प्रतिबंधक वैक्सीन की बजाय गर्भ निरोधक टीकेे का इंजेक्शन लगा दिया था. इस जानकारी के सामने आते ही डॉ. सातव के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई. लेकिन उनके द्वारा लगाये गये गलत इंजेक्शन के परिणाम अब परिसर के जानवरों पर दिखाई दे रहे है. साथ ही कई पशुपालकों ने आरोप लगाया कि, उनके जानवरों की गर्दन पर इंजेक्शन लगाये जानेवाले स्थान पर गांठ बन गई है. साथ ही कई गायों व भैसों ने दूध देना बेहद कम कर दिया है.

Related Articles

Back to top button