* शहर व ग्रामीण क्षेत्र में फैल रहा संक्रमण
अमरावती/दि.21- इस समय जहां एक ओर जानवरों में लंपी स्कीन डीसीज नामक बीमारी का संक्रमण फैल रहा है. जिसकी वजह से पशु संवर्धन विभाग के साथ ही स्वास्थ्य महकमा पहले ही अलर्ट पर चल रहा है. वहीं दूसरी ओर अब जिले में स्क्रब टाईफस के करीब 13 पॉजीटीव मरीज पाये गये है. जिसकी वजह से स्वास्थ्य को लेकर चिंताए और अधिक बढ गई है.
जानकारी के मुताबिक अगस्त से सितंबर के दौरान डेढ माह की कालावधि में स्वास्थ्य विभाग ने शहर सहित जिले से 48 सैम्पलों को जांच के लिए भिजवाया था. जिनमें 13 मरीज स्क्रब टाईफस की बीमारी से संक्रमित रहने की बात सामने आयी है. जिनमें शहरी क्षेत्र के 4 व ग्रामीण क्षेत्र के 8 मरीजों सहित बाहरी जिले से वास्ता रखनेवाले 1 मरीज का समावेश रहने की बात पता चली है. यह जानकारी सामने आते ही स्वास्थ्य सेवा संचालनालय के स्वास्थ्य संचालक डॉ. नितीन अंबाडकर ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी तथा जिला मलेरिया अधिकारी को स्क्रब टाईफस नामक बीमारी को ध्यान में रखते हुए कीटक शास्त्रीय सर्वेक्षण व प्रतिबंधात्मक उपाय करने के निर्देश जारी किये है और स्क्रब टाईफस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य महकमे को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है.
* ऐसे होती है बीमारी
– ट्रॉम्बिक्यूलिड माइटस् लारवा, जिसे चिगर माइटस् भी कहा जाता है के ओरएन्शिया सुसुगामुशी नामक जंतु की वजह से स्क्रब टाईफस होता है.
– गंभीर स्थितिवाले 30 फीसद मरीजों की मौत का खतरा रहता है.
* कहां पैदा होता है कीटक
स्क्रब टाईफस की बीमारी फैलानेवाले कीटक अमूमन घास-फूस, खेत, जंगल, लॉन सहित नदी-नालों व तालाबों के किनारे स्थित झाडियों में पाये जाते है.
– यह कीटक लाल, केसरी व पीले रंग के होते है.
– पूर्णत: विकसित कीटक दंश नहीं करते, बल्कि लारवा स्वरूप में रहनेवाले कीटकों द्वारा ही दंश किया जाता है.
* पांच से बीस दिन बाद दिखाई देते है लक्षण
चिगर माईटस् द्वारा दंश किये जाने के बाद पांच से बीस दिन पश्चात रोग के लक्षण दिखाई देने शुरू होते है. इसके तहत शुरूआत में बूखार, सिरदर्द, हाथ-पैर दुखने, जी मचलाने, उल्टी होने व अन्य तरह के बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते है. ऐसे में कई बार मरीजोें में मलेरिया, विषमज्वर तथा डेंग्यू रहने की संभावना जताई जाती है. इसके अलावा जिस स्थान पर चिगर द्वारा डसा जाता है, वहां पर एक लाल चट्टा बन जाता है. जिससे इशर कहा जाता है. यह चट्टा या निशान दिखाई देते ही स्क्रब टाईफस संक्रमण की बात तुरंत समझ में आती है. परंतु 40 फीसद मरीजों में यह चट्टा दिखाई ही नहीं देता.
फिलहाल स्क्रब टाईफस की बीमारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है. जिसके चलते खेत में काम करते समय पूरे शरीर को कपडे से ढांक कर काम किया जाना चाहिए. साथ ही झाड-झंकाड वाले परिसर में काम करना टालना चाहिए और बूखार सहित अन्य लक्षण दिखाई देते ही तुरंत अपने नजदिकी अस्पताल में जाकर इलाज करवाना चाहिए.
– डॉ. शरद जोगी
जिला मलेरिया अधिकारी