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* वन्यजीव प्रेमियों की चिंता बढ़ी
अमरावती/दि.9- केवल आठ माह में देशभर में 132 तथा विदर्भ में 28 बाघों की मृत्यु हुई है. यह पिछले 18 वर्षों में सर्वाधिक आंकड़ेवारी रहने की जानकारी सामने आयी है. देशभर में वर्ष 2022 में व्याघ्र गणना के मुताबिक 3,167 बाघ रिकॉर्ड हुए हैं. बाघों की बढ़ती संख्या का आशादायी चित्र इस निमित्त दिखाई दिया. लेकिन वन्यजीवों के संघर्ष में, दुर्घटना में शिकार और नैसर्गिक रुप से बाघों की मृत्यु की संख्या भी बढ़ी है.
मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 31 तथा महाराष्ट्र में 28 बाघों की मृत्यु हुई है. इसके पूर्व वर्ष 2021 में सर्वाधिक 127 बाघों की मृत्यु हुई थी. इस बार पहली बार यह संख्या केवल 8 माह में ही आगे चली गई है और तीन माह अवधि शेष रहने से यह मृत्यु संख्या और बढ़ने का खतरा विशेषज्ञ की तरफ से व्यक्त किया जा रहा है.
राज्य में कुल 444 बाघ है. सर्वाधिक ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में 97 तथा मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में 57 बाघ है. केवल विदर्भ के बाघों की संख्या 440 है. लेकिन इसमें से 28 बाघों की मृत्यु दर्ज होने से चिंता व्यक्त की जा रही है. बाघ के शिकार के विरोध में स्वाधीनता के बाद 70 के दशक में आवाज उठाई गई. वन्यजीव प्रेमी और पर्यावरणवादी संस्थाओं ने पहली बार एकजुट होकर बाघ के शिकार के विरोध में आवाज उठाना शुरु किया. पश्चात सरकार ने कदम उठाना आरंभ किया. परिणामस्वरुप बाघ के शिकार की घटनाओं में पिछले कुछ साल में कमी आयी है. फिर भी शिकार की घटना जारी ही रहने से यह चिंता का विषय माना जा रहा है.
चार शिकार उजागर
राज्य में चालू वर्ष में चार बाघों का शिकार होने की जानकारी सामने आयी है. अंतरराज्यीय शिकारियों की गतिविधियां गढ़चिरोली और चंद्रपुर में थी. गिरफ्तार गिरोह के खुलासे से यह गंभीर बात सामने आयी है. सावली वनपरिक्षेत्र के राजोलीफाल और गढ़चिरोली जिले के आंबेशिवनी में प्रत्येकी दो बाघों का शिकार हुआ था. राज्य में यह स्थिति रहते हुए भी पिछले तीन साल में मध्यप्रदेश के काम में थोड़ा सुधार हुआ है.
व्याघ्र मृत्यु की संख्या
वर्ष संख्या
2018 101
2019 96
2020 106
2021 127
2022 121
2023 132 (अब तक)