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अमरावती/ दि. 11-एट्रासिटी के विगत 5 वर्षो में 13251 केसेस प्रलंबित हो गये हैं. उस पर हल नहीं खोजा जा सका है. एट्रासिटी संदर्भ में प्रलंबित प्रकरणों की समीक्षा हेतु मुख्यमंत्री द्बारा वर्ष में दो बार बैठके लेना आवश्यक है. किंतु सिस्टम की अनदेखी का मामला चल रहा है. राज्य में अंतिम बैठक 30 अगस्त 2018 को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने ली थी. यह जानकारी सूचना का अधिकार अर्जी में सामने आयी है.
प्रगतिशील महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों पर अत्याचार बढे हैं. लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा. इसलिए राज्यस्तर पर बैठक लिया जाना आवश्यक है. फिर भी कैसेस का अवलोकन नहीं किया जा रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मेश्राम ने कहा कि सरकार को इस मामले में गंभीर होकर उपाय योजना करनी पडेगी. जबकि आंकडों से स्पष्ट है कि प्रत्येक दिन 10 घटनाएं हो रही है. कानून के प्रावधानों के अनुसार आर्थिक मदद ही नहीं दी जा रही.
सेवानिवृत्त अधिकारी ई. झेड. खोब्रागडे ने कहा कि राजकीय नेता और अधिकारी अपने आपको संविधान का संरक्षक बताते हैं. किंतु पिछडा वर्ग पर होनेवाले अत्याचारों की रोकथाम हेतु एट्रासिटी कानून के क्रियान्वयन में प्रचंड उदासीन हैं.
नियमानुसार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में साल में दो बार जनवरी तथा जुलाई में बैठक लेना बंधनकारक हैं. 2019 से 2024 दौरान 12 बैठके होनी चाहिए थी. सामाजिक न्याय विभाग ने समय- समय पर सीएम के पास बैठक के लिए समय मांगा. वह नहीं मिल पाया.