
* आरोपियों के साथ विदेशों से जुडे रहने से जांच में मर्यादा
अमरावती /दि. 15– राज्य में वर्ष 2024 के दौरान केवल एक साल में ही सायबर अपराधियों द्वारा करीब 7634 करोड रुपयों की ऑनलाइन जालसाजी आम नागरिकों के साथ किए जाने की जानकारी मुख्यमंत्री व गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा हाल ही में विधानसभा में दी गई. जिसके जरिए यह जानकारी भी सामने आई कि, ऐसे अपराधों में केवल 11 फीसद आरोपियों को ही गिरफ्तार किया गया है. इसी आधार पर जब अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र अंतर्गत हुई आर्थिक जालसाजी की वारदातों का जायजा लिया गया तो पता चला कि, विगत तीन वर्षों के दौरान बेहद शातीर रहनेवाले सायबर अपराधियों ने अमरावतीवासियों की जेब पर करीब 14 करोड रुपए का ऑनलाइन डाका डाला है.
जानकारी के मुताबिक सन 2022 से फरवरी 2025 इन तीन वर्षों के दौरान शहर पुलिस आयुक्तालय के सायबर पुलिस थाने में कुल 166 अपराधिक मामले दर्ज किए गए है. जिसमें जालसाजी की रकम 13 करोड 80 लाख 76 हजार 732 रुपए रही. इन 166 में से 16 मामलो का सफलतापूर्वक पर्दाफाश करते हुए 24 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और 11 मामलो में जांच पूरी कर चार्जशीट भी पेश की गई.
पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी, पुलिस उपायुक्त कल्पना बारवकर के मार्गदर्शन में सायबर सेल प्रमुख आसाराम चोरमले, तत्कालीन थाना प्रमुख सीमा दातालकर तथा एपीआई रवींद्र सहारे व अनिकेत कासार की सायबर टीम ने 13.80 करोड रुपयों में से 1.34 करोड रुपए को फ्रीज व होल्ड करने में सफलता भी प्राप्त की.
* ऐसे रहे आंकडे
सायबर अपराधो में वर्ष 2022 से 2024 के दौरान तीन गुना वृद्धि हुई तथा ऐसे अपराधों में होनेवाली जालसाजी की रकम में 21 गुना वृद्धि हुई. ऐसे आंकडे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए. इसके अलावा सायबर क्राईम को-ऑर्डीनेशन सेंटर ने 3962 स्थायी पार्टी व 83668 वॉटस्ऐप अकाउंट की पहचान करते हुए उन्हें ब्लॉक कर दिया.
* सन 2022 से 2025 तक हुए सायबर अपराध
वर्ष अपराध डिटेक्ट गिरफ्तारी
2022 37 04 04
2023 52 05 09
2024 70 07 11
2025 07 00 00
कुल 116 16 24
* ऐसे हुई जालसाजी
वर्ष जालसाजी की रकम फ्रीज/होल्ड रकम
2022 83,77,908 11,39,555
2023 3,91,76,822 51,77,616
2024 8,17,59,196 71,48,874
2025 87,62,746 00
कुल 13,80,76,732 1,34,66,043
* गुगल सर्च इंजीन का हो रहा दुरुपयोग
कई लोग गुगल सर्च इंजीन पर जानकारी खोजते समय जालसाजी का शिकार होते है. गुगल ने संबंधित यूजर्स को आस्थापनाओं का ब्यौरा बदलने का अधिकार दिया है. जिसका फायदा उठाते हुए सायबर अपराधियों द्वारा फर्जी वेबसाईट तैयार करते हुए लोगों के साथ जालसाजी की जा रही है. वे विविध आस्थापनाओं, बैंकों व ग्राहक सेवा केंद्रों के संपर्क क्रमांक बदलकर अपने खुद के संपर्क क्रमांक दर्ज कर देते है. जिससे जालसाजी के मामले लगातार बढ रहे है.