अमरावती/दि.18– दो दशक से जारी किसान आत्महत्या की श्रृंखला अभी भी नहीं रुकी है. जिले में हर दिन एक किसान की मृत्यु होती रहने की कडवी सच्चाई है. राज्य में सर्वाधिक किसान आत्महत्या अमरावती जिले में हो रही है. इस बार पांच माह में 143 किसानों ने आत्महत्या की है. शासन-प्रशासन इस बाबत गंभीर न रहने से किसान नैसर्गिक व आर्थिक संकट के शिकार हो रहे है, जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 2001 से किसान आत्महत्या का स्वतंत्र रिकॉर्ड रखा जा रहा है. अब तक करीबन 5319 किसान आत्महत्या हुई है. इसमें से शासन सहायता के लिए 2774 प्रकरण पात्र साबित हुए है. तथा मृत 2702 किसानों के वारिसो को प्रत्येकी 70 हजार रुपए की रकम बैंक में पांच साल के लिए जमा की गई तथा 30 हजार रुपए नकद सहायता दी गई है. इस सहायता के मानक में भी 18 साल से बढोतरी नहीं की गई है, यह विशेष. अतिवृष्टि, नैसर्गिक आपदा, सूखा आदि से किसान संकट में झुलते जा रहे है. इस कारण बढा हुआ बैंक का और नीजि साहुकारों का कर्ज, कर्ज के लिए दबाव, बेटी का विवाह, बीमारी सहित अन्य कारणो से जिले के किसानों की आत्महत्या में बढोतरी होती रहने की जिले की कडवी सच्चाई है. यह श्रृंखला अभी भी जारी है.
* शासन की योजना का नहीं मिल रहा लाभ
किसान आत्महत्या प्रकरणो में जिले के लिए शासन की विविध योजना है. लेकिन इस योजना का लाभ जरुरतमंद किसानों को नहीं मिल रहा है. विश्व बैंक के सहयोग से निर्मित ‘केम’ प्रकल्प ‘सफेद हाथी’ साबित हुआ. किसानों का समुपदेशन नहीं हो पा रहा है. विभागीय आयुक्त की सूचना के मुताबिक किसान आत्महत्य के क्लस्टर में कहीं भी काम शुरु नहीं हुआ है.
* किसान आत्महत्यामुक्त केवल घोषणा
किसान आत्महत्यामुक्त महाराष्ट्र यह केवल घोषणा ही साबित हुई है. शासन-प्रशासन इस ओर गंभीरता से नहीं देखता. इस कारण यह सभी किसान नैसर्गिक व विविध संकटो के शिकार हुए है.
– प्रवीण राऊत
किसान अभ्यासक.