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भारत जोडो यात्रा में राहुल गांधी के संग 15 किमी. चले डॉ. देशमुख

सर बडे लेवल पर कुछ ठोस होना चाहिए

किसान आत्महत्या और सिंचाई, उद्योग धंधो पर चलते-चलते बातचीत
राहुल गांधी का रुख सकारात्मक और भावनात्मक
वाशिम-/दि.16  कन्याकुमारी से कश्मीर की तरफ पैदल भारत जोडो यात्रा पर निकले राहुल गांधी के विदर्भ में दूसरे दिन अमरावती के पालकमंत्री रह चुके डॉ. सुनील देशमुख ने यहां की सबसे बडी किसान आत्महत्या की समस्या को लेकर करीब आधा घंटा बात की. राहुल गांधी इस पूरी चर्चा के समय न केवल गौर से सुनते रहे अपितु बीच-बीच में उन्होंने प्रश्न भी किए और भावनात्मक तथा सकारात्मक रुख बतलाया. पूर्व विधायक डॉ. देशमुख के साथ अनुशेष विशेषज्ञ तथा विदर्भ विकास बोर्ड के अध्यक्ष रहे डॉ. संजय खडक्कार, किसान नेता जगदीश बोंडे, अमरावती फसल मंडी के पूर्व सभापति किशोर चांगोले, दर्यापुर के प्रगतीशील युवा किसान एड. अभीजीत देवके भी न केवल मौजूद थे अपितु उन्होंने भी राहुल गांधी के साथ कदम ताल की.
किसान आत्महत्या की जड
डॉ. देशमुख ने राहुल गांधी को बताया कि, अमरावती समूचा संभाग ही किसान आत्महत्या की केपिटल बना हुआ हैं. देश में सर्वाधिक किसान आत्महत्या का प्रमाण यहीं हैं. इसके लिए मुख्य रुप से सिंचाई सुविधा न होना जवाबदार हैं. साथ ही औद्योगिक विकास भी यहां नहीं हो पाया हैं. मूलभूत सुविधाओं का अभाव हैं. डॉ. देशमुख के अनुसार राहुल गांधी ने उनसे किसान आत्महत्या के आंकडे भी लिए. डॉ. देशमुख ने तुरंत पीछे-पीछे चल रहे और किसानों के भले के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले जगदीश बोंडे को आगे बुलाकर राहुलजी से मिलवाया. बोंडे ने भी क्षेत्र में किसानों की दुर्दशा को बयां किया. मंडी के पूर्व सभापती किशोर चांगोले ने भी जानकारी दी.

सिंचाई व्यवस्था बढाना आवश्यक
डॉ. देशमुख ने वर्ष 2006 से लेकर आज तक के हालात बताए. उन्होंने कहा कि, अमरावती, अकोला, वाशिम, यवतमाल जिले किसान आत्महत्या के कारण बदनाम हो रहे हैं. सिंचाई की सुविधा नहीं होने से क्षेत्र के किसान पूरी तरह बरसात पर निर्भर हैं. ताजा वर्ष का उदाहरण है कि, अत्यधिक बरसात के कारण सोयाबीन और कपास जैसी फसलें चौपट हो गई. उत्पादन नहीं समान होने से अभी भी यहां का किसान संकट में हैं. इसके लिए क्षेत्र में सिंचाई सुविधा बढाना नितांत आवश्यक हैं. जब राहुल गांधी से डॉ. देशमुख की वॉकिंग चर्चा हो रही थी तो, पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले भी साथ चल रहे थे. पटोले ने भी डॉ. देशमुख की बातों और आंकडों का तथा सिंचाई सुविधा बढाने की मांग का समर्थन किया.

औद्योगिक बैकलॉग
पूर्व पालकमंत्री ने अमरावती और क्षेत्र में यहां की फसलों पर आधारित उद्यम स्थापित नहीं होने की समस्या का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, औद्योगिक विकास नहीं हो सका हैं जिससे युवा पीढी को डिग्री प्राप्त करने के बाद भी रोजगार के लिए दूसरे शहरों की ओर ताकना पडता हैं. एैसे में यहां बडी उद्योग परियोजना लगाना जरुरी हैं. इस बारे में भी डॉ. खडक्कार ने बैकलॉग के आंकडे दिए. डॉ. खडक्कार विदर्भ विकास बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य रहे हैं. उसी प्रकार पूर्व की बजाए पश्चिम विदर्भ में बडे उद्यम और प्लांट लगाने पर उनका जोर रहता आया हैं. डॉ. देशमुख ने राहुल गांधी से विस्तृत चर्चा में एक और बडे किसान पैकेज की आवश्यकता का भी उल्लेख किया. उच्च स्तर पर एैसे निर्णय की अपेक्षा व्यक्त की.

सेवा निवृत्तों के शहर
सुनील देशमुख ने कांगेे्रस के बडे नेता राहुल गांधी को बताया कि, अमरावती संभाग के सभी प्रमुख शहरों को अब सेवानिवृत्तों का शहर कहा जा सकता हैं. अमरावती हो या अकोला अथवा यवतमाल. सभी जिलों में पढे लिखे युवक और युवतियां मुंबई, पुना, नाशिक, बैंगलोर जैसे शहरों का रुख कर रहे हैं. क्योंकि यहां उनकी क्वालिफिकेशन के हिसाब से रोजगार नहीं हैं. उद्योग धंधे नहीं हैं. एैसे में परिस्थिति भीषण हो रही हैं. विदर्भ विकास के लिए उद्योगों हेतु पोषक वातावरण और सुविधाएं होनी चाहिए.

बडे किसान पैकेज की जरुरत
सुनील देशमुख ने 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह व्दारा घोषित 3750 हजार करोड के किसान पैकेज की याद दिलाई. उन्होंने राहुल गांधी को बताया कि, उपरोक्त पैकेज के कारण टैक्टिकली किसान आत्महत्या में कमी आई थी. अभी भी एैसा ही कोई पैकेज उच्च स्तरीय रुप से घोषित होने की प्रबल आवश्यकता हैं. डॉ. देशमुख ने अमरावती मंडल को बताया कि, राहुलजी ने न सिर्फ उनकी पूरी बात सुनी बल्कि समय-समय पर प्रश्न किए. साफ है कि राहुल गांधी यहां के लोगो की समस्याओं को लेकर सकारात्मक हैं. इस बारे में वे पार्टी स्तर पर बडे डिसिजन ले सकते हैं.

15 किमी. चले साथ-साथ
डॉ. सुनील देशमुख और उनके साथ विशेषज्ञ सदस्य रहे डॉ. खडक्कार, जगदीश बोंडे, किशोर चांगोले आदि भी राहुल गांधी के साथ वाशिम से मालेगांव 15 किमी. कदम ताल की. उन्होंने बताया कि, सुबह सवेरे काफी ठंड के बावजूद भारत जोडो यात्रा में सहभागी प्रत्येक में गर्मजोशी नजर आ रही थी. एक दूसरे का उत्साह बढा रहे थे.

सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद
राहुल गांधी की सुरक्षा व्यवस्था कडी हैं. उनके आस-पास सदैव विशेष कमांडो चलते हैं. सुरक्षा पास के बगैर उनके करीब कोई नहीं जा सकता. भारत जोडो में भी राहुल जी का सुरक्षा घेरा कायम हैं. गले में पास लटकाने और सुरक्षा गार्ड व्दारा सहमति के बाद ही राहुल गांधी के कोई करीब जा सकता हैं. अमरावती के नेताओं को भी विशेष पास दिए गए थे. पांच लोगों को अलाउ किया गया था.

जोश से लबालब
डॉ. देशमुख ने भारत जोडो यात्रा का अनुभव साझा करते हुए बताया कि, वाशिम में अमरावती की तुलना में ठंड का काफी एहसास रहने के बावजूद उन्होंने देखा कि, कांगे्रसजन और सभी भारत जोडो यात्री उत्साह से परिपूर्ण हैं. समय-समय पर नारे लगाए जाते हैं. भारत माता की जयकार करते हुए तिरंगा लहराने वाले युवक-युवतियों का जोश अदभुत हैं.

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