150 करोड की टैक्स डिमांड से मनपा में बरसेगा पैसा
टैक्स असेसमेंट के काम को मिली रफ्तार
* पदभरती पर लगी बंदी भी हटेगी
अमरावती/दि.30 – विगत करीब 19 वर्षों से अटके पडे संपत्ति सर्वेक्षण व कर निर्धारण प्रक्रिया के काम में अब तेज रफ्तार पकड ली है. जिसके चलते महानगरपालिका की कुल टैक्स डिमांड करीब 140 से 150 करोड रुपयों के आसपास जाने वाली है. इसके अलावा जो संपत्तियां इससे पहले कर के दायरे में नहीं आती थी और जिन पर विगत 6 वर्षों का कर लागू होता है, उन संपत्तियों से मिलने वाली रकम को टैक्स डिमांड में शामिल करने पर यह आंकडा 200 करोड के आसपास जाने के संकेत दिखाई दे रहे है. ऐसे में इस वृद्धिंगत संपत्ति कर की मांग के चलते मनपा की तिजोरी से ठन ठन गोपाल वाली स्थित खत्म होगी और मनपा की तिजोरी में पैसा बरसेगा.
नये सिरे से तय किये जाने वाले कर निर्धारण के देयक सन 2023-24 इस आर्थिक वर्ष के लिए दिये जाएंगे. मनपा को संपत्ति कर से होने वाली आय अगर 35 करोड से बढकर 150 करोड के आसपास पहुंच जाती है, तो पदभरती पर लगाई गई बंदी भी हट सकती है. जिसके चलते ठेका नियुक्त मनुष्यबल की जरुरत नहीं पडेगी. उल्लेखनीय है कि, मनपा की आय का सबसे प्रमुख स्त्रोत संपत्ति कर ही है, जो विगत कई वर्षों से 35 से 37 करोड रुपयों के आसपास स्थित है. वहीं विगत कुछ वर्षों के दौरान मनपा के आस्थापना खर्च में कई गुना अधिक वृद्धि हो गई है. जो 65 फीसद के आसपास जा पहुंचा है. जिसके चलते राज्य सरकार ने नई पद भरती पर प्रतिबंध लगा दिया है. क्योंकि फिलहाल मनपा की सेवा में रहने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन व निवृत्त लाभ ही समय पर नहीं दिया जा रहा. ऐसे में नये कर्मचारियों का भुगतान कैसे होगा, यह सवाल उठाते हुए वर्ष 2008 के बाद मनपा की आस्थापना में पदभरती नहीं हुई. जिसकी वजह से ठेका नियुक्त कर्मचारियों की भरती होनी शुरु हुई. परंतु अब संपत्ति निरीक्षण एवं कर निर्धारण जैसे कामों के रफ्तार पकडने और उससे 150 करोड रुपए की वार्षिक आय अपेक्षित रहने के चलते मनपा की आर्थिक स्थिति तो सुधरेंगी ही साथ ही नये सिरे से पदभरती भी की जाएगी.
* आष्टीकर साबित हुए ‘प्रवीण’ प्रशासक
ज्ञात रहे कि, विगत 8 मार्च को मनपा पदाधिकारियों व सदन का कार्यकाल समाप्त हुआ. जिसके चलते 8 मार्च से मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर को मनपा के प्रशासक पद का जिम्मा भी सौंपा गया. ऐसे में प्रशासन चलाने मेें बेहद ‘प्रवीण’ रहने वाले आयुक्त आष्टीकर ने कई प्रलंबित प्रकल्पों को गति प्रदान की और उन्हें पुरा करने के लिए सकारात्मक पहल इसके तहत 19 वर्षों से अटके संपत्ति सर्वेक्षण व कर निर्धारण के लिए निविदा से लेकर कार्यारंभ आदेश तक काम पूरा करने का पूरा श्रेय कुशल प्रशासक के तौर पर आयुक्त आष्टीकर को दिया जा सकता है.
* आर्थिक स्थिति सुधारने सकारात्मक पहल
मनपा के विविध कार्य ठेकेदारों द्बारा किये जाते है. उनके देयक समय पर अदा करने के साथ-साथ छटवे वेतन आयोग का बकाया अदा करने तथा शहर के विकास हेतु निधि उपलब्ध कराने के लिए मनपा की आर्थिक स्थिति को सुधारने के अलावा और कोई पर्याय नहीं है. इस बात को ध्यान में रखते हुए आयुक्त आष्टीकर ने प्रशासक पद का जिम्मा संभालते ही मनपा की आय को बढाने के लिए अपने सहयोगी के साथ प्रयास करना शुरु किया. इसके तहत विगत अनेक वर्षों से अधर में लटके पडे संपत्ति सर्वेक्षण व कर निर्धारण के काम को गति दी गई.
* फिलहाल मनपा में है ठन ठन गोपाला
15वें वित्त आयोग की निधि प्राप्त नहीं होने के चलते मनपा के निर्माण व स्वच्छता ठेकेदारों सहित इंधन आपूर्ति करने वाले पंप संचालकों का भुगतान बकाया है. वहीं दूसरी ओर अब तक संपत्ति कर के रुप में केवल 4 से 5 करोड रुपए की वसूली हुई है, जो कुल अपेक्षित वसूली की तुलना में केवल 10 फीसद के आसपास है. ऐसे में मनपा के पास बकाया भुगतान अदा करने के लिए पैसा ही नहीं है. उधर दूसरी ओर लेनदार लगातार मनपा के चक्कर काट रहे है. क्योंकि बकाया भुगतान नहीं मिलने की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति भी डामाडोल हो गई है. अत: वे अपना भुगतान अदा किये जाने को लेकर बार-बार तगादा लगा रहे है. इन सभी स्थितियों को देखते हुए प्रशासन ने मनपा की आय बढाने का नियोजन किया है और प्रशासन को उम्मीद है कि, अगर मनपा की आय बढकर 150 करोड के आसपास पहुंच जाती है, तो मनपा की कई समस्याओं का निपटारा हो जाएगा.