अमरावती

नौ दिनों में १६ लोगों की डूबने से जान गयी

नदी और तालाब लगातार लील रहे जिंदगिया

  • रेती तस्करों ने नदियों में कर रखा है अवैध उत्खनन

  • सुरक्षा उपायों को लेकर प्रशासन की अनदेखी

  • खतरनाक स्थानों पर सूचना फलक भी नहीं

अमरावती प्रतिनिधि/दि.७ – विगत २५ सितंबर से ३ अक्तूबर के दौरान नौ दिनों की कालावधी में अमरावती जिले के नदियों और खेत तालाबों में डूब जाने की वजह से करीब १६ लोगों की जाने गयी. जिनमें १ महिला सहित ६, १०, ११, १२, १५ व १७ वर्ष आयुवाले बच्चों का भी समावेश है. १ अक्तूबर को यदि छोड दिया जाये, तो लगातार आठ दिन जिले के किसी न किसी इलाके से नदी व खेत तालाबों में डूब जाने की वजह से किसी न किसी व्यक्ति के मारे जाने की खबर मिलती रही. ऐसे में अब सबसे बडा सवाल यह है कि, इतनी बडी संख्या में हुई मौतों के लिए हकीकत में जिम्मेदार कौन है? उल्लेखनीय है कि, नदी, झरने, नहर, गांव तालाब, खेत तालाब, सिंचाई प्रकल्प जैसे जलसंग्रहवाले स्थानों पर खतरे की सूचना देनेवाले सूचना फलक लगाये जाने के निर्देश जिला प्रशासन की ओर से जारी किये गये है और फलक लगाने की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर सरपंच, सचिव, सिंचाई विभाग के अभियंता की ओर दी गई है, लेकिन जिले में एक-दो मामलों को छोडकर किसी भी नदी पात्र, सिंचाई प्रकल्प व झरने के पास खतरे की चेतावनी, पानी की गहरायी और नदी पात्र में रहनेवाले गड्ढों के बारे में जानकारी देनेवाले फलक नहीं लगाये गये है. जिसकी वजह से शहरी अथवा ग्रामीण क्षेत्र में तैरने या नहाने के लिए नदी या खेत तालाब के जलपात्र में उतरनेवाले लोगों की बडे पैमाने पर जानेें गयी है. वहीं दूसरी ओर चंद्रभागा, शहानूर, पूर्णा व पेढी नदी के जलपात्र में रेत तस्करों द्वारा बडे पैमाने पर अवैध तरीके से उत्खनन किया गया है. जिसकी वजह से नदियों में पानी के बडे-बडे डोह बन गये है.

  • ऐसे घटित हुई घटनाएं

  • २५ सितंबर – अपरान्ह २ बजे के आसपास खोडगांव स्थित शहानूर नदी के जलपात्र में दो अल्पवयीन बच्चे डूब गये. नदी में तैरने के लिए उतरे इन दोनों चचेरे भाईयों के शव बाद में बरामद हुए.
  • २६ सितंबर – अपरान्ह ४ बजे के आसपास अंजनगांव बारी स्थित खेत तालाब में डूब जाने की वजह से दो बच्चों की मौत हुई.
  • २७ सितंबर – निंभोरा राज (धामणगांव रेल्वे) स्थित चंद्रभागा नदी में ३२ वर्षीय महिला सहित ३ छोटे बच्चों की डूब जाने से मौत हुई.
  • २८ सितंबर दर्यापुर के नरदोडा व उपराई गांव में १७ वर्ष आयुवाले दो लडकों की चंद्रभागा व पूर्णा नदी में डूब जाने से मौत हुई.
  • २९ सितंबर – असदपुर के पास निम्भारी गांव स्थित सापन नदी में डूब जाने से कोल्हा गांव निवासी बाप-बेटे की मौत हुई.
  • ३० सितंबर – दर्यापुर के थिलोरी गांव स्थित गांव तालाब में डूब जाने से २३ वर्षीय युवक की मौत हुई.
  • २ अक्तूबर – अचलपुर के वडगांव फत्तेपूर गांव निवासी ४० वर्षीय पुरूष की चंद्रभागा नदी में डूब जाने से मौत हुई.
  • ३ अक्तूबर – भातकुली के धामोरी कसबा गांव निवासी १८ वर्षीय युवक की गांव तालाब में तथा पथ्रोट के पास रामापुर गांव निवासी ४३ वर्षीय व्यक्ति की शहानूर नदी में डूब जाने से मौत हुई.
  • नदी पात्र के गड्ढों ने ली जान

अंजनगांव सूर्जी तहसील के खोडगांव स्थित शहानूर नदी में डूब जाने से दर्शन व दिवेश गायगोले इन दो अल्पवयीन चचेरे भाईयों की मौत होने के बाद ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि, रेती तस्करों द्वारा नदी में की गई अवैध खुदाई की वजह से बने गड्ढों के चलते इन दोनों बच्चों की जानें गयी है. इसी तरह धामणगांव रेल्वे तहसील के निंभोरा राज की एक महिला सहित तीन बच्चों की चंद्रभागा नदी में डूब जाने से मौत हुई. यहां पर भी ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि, रेती तस्करों के साथ राजस्व एवं पुलिस महकमे की मिलीभगत रहने के चलते नदी में काफी गहरी खुदाई की गई है. जिसकी वजह से यहां ४ लोगों की मौत हुई है. निंभोरा राज में ग्रामीणों ने हादसे के बाद भूमिका अपनायी थी कि, जब तक संबंधितों के खिलाफ सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज नहीं होता, तब तक मृतकों के शवों का स्वीकार नहीं किया जायेगा.

  • तैराकी का शौक और अधिक मास का स्नान पडा महंगा

विगत नौ दिनों के दौरान घटित ८ में से ६ घटनाओें में सभी व्यक्ति बालक व युवक तैरने व स्नान करने हेतु नदी, खेत तालाब व गांव तालाब में उतरे थे. वहीं ६ लोगों की मौत अधिक मास के निमित्त नदी पात्र में उतरकर स्नान करने के चक्कर में हुई. जिनमें कोल्हा निवासी बाप-बेटों सहित निंभोरा राज निवासी महिला तथा ११, १२ व १५ वर्षीय बच्चों का समावेश है.

 

  • आपत्ती व्यवस्थापन पथक का उपयोग

घटनाओें के बाद ही सितंबर माह के अंतिम सप्ताह तथा जारी माह की शुरूआत में घटित घटनाओें के चलते डूब गये कुछ लोगों के शव जिला आपत्ती व्यवस्थापन कक्ष के खोज व बचाव पथक ने बाहर निकाले. उनका कार्य काबिले तारीफ निश्चित तौर पर है. लेकिन सवाल और समस्या उपाययोजनाओं को लेकर है. ऐसी घटनाएं घटित ही ना हो, और नदी, खेत तालाबोें व गांव तालाबों में डूबने की वजह से किसी की मौत ना हो. इसके लिए शाश्वत उपाय योजना किये जाने की जरूरत है. जिसके लिए जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रयास किये जाने चाहिए. बॉ्नस नदियों के किनारे बाढ की स्थिति और पानी की गहरायी दर्शानेवाले सूचना फलक हो. ऐसे निर्देश पहले से दिये गये है. वहीं अब नये सिरे से सभी तहसीलदारों को आदेश जारी किये गये है. – डॉ. नितीन व्यवहारे निवासी उपजिलाधीश

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