कोरोना मरीजों की जांच, उपचार व दवाईयों पर 163 करोड खर्च
आपदा प्रबंधन के तहत खर्च की जिला प्रशासन द्बारा दी गई जानकारी
अमरावती/दि.3 – पिछले एक साल से कोरोना मरीजों पर अब तक 163 करोड रुपए आपदा प्रबंधन के तहत खर्च किए जाने की जानकारी जिला प्रशासन के अलग-अलग विभागों द्बारा प्राप्त हुई है. जिले में 4 अप्रैल 2020 को कोरोना संक्रमण का पहला मरीज पाया गया था. तब से प्रशासन की ओर से जांच के लिए पहला स्वैब सैम्पल 22 मार्च 2020 को नागपुर भिजवाया गया था. तब से लेकर अब तक कुल 5 लाख 77 हजार 249 स्वैब नमुने जांच किए जा चुके है. इनमें से 92 हजार 486 मरीज पाए गए थे तथा 1461 मरीजों की जान जा चुकी है.
इसके अलावा अब भी करीब 4 हजार 568 मरीजों का उपचार चल रहा है. इन मरीजों पर अब तक 163 करोड रुपए खर्च किए जा चुके है. यह जानकारी जिला प्रशासन के अलग-अलग विभागों द्बारा प्राप्त हुई है. जिला प्रशासन द्बारा दिए गए आंकडो के अनुसार कोरोना के चलते जान गवाने वाले मरीजों के अंतिम संस्कार व दफन विधि में प्रशासन की ओर से 1 करोड 9 लाख रुपए खर्च किए जा चुके है.
स्वैब नमूनों की जांच पर 43 करोड रुपए खर्च किए गए है. अमरावती जिले में संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में सबसे अधिक नमूनों की जांच की गई. एक स्वैब नमूने की जांच पर प्रशासन को 300 रुपए से अधिक का खर्च उठाना पडता है जबकि रैपिड टेस्ट का खर्च 90 रुपए होता है. जिले मे करीब 59 प्रतिशत मरीजों का उपचार सरकारी कोविड अस्पतालों में किया गया था. जबकि 8 प्रतिशत मरीजों ने निजी अस्पतालों में उपचार करवाया था.
इसके अलावा 34 प्रतिशत मरीज होम आयसोलेशन में रहकर स्वस्थ्य हुए. एक मरीज के उपचार में प्रशासन को 70 हजार रुपए खर्च आया. जबकि कम लक्षण वाले संक्रमितों पर यह खर्च कम बताया गया. इसके अलावा उपचार संबंधित गतिविधी तथा ठेकेदारी तौर पर रखे गए कर्मचारियों पर भी काफी खर्च किया गया. इसके अतिरिक्त जिला प्रशसन की ओर से स्थानीय संस्थाओं से भी खर्च की गई राशि का विवरण मांगा गया है.
खर्च के संपूर्ण आंकडे उपलब्ध नहीं
कोरोना महामारी पर पिछले एक वर्ष में अनेकों खर्च किए गए. अब तक केवल जो प्रमुख खर्च किए गए थे उसका ही आंकलन किया जा सका है. इसके अलावा स्थानीय संस्थाओं व अन्य गतिविधियों पर हुए खर्च का हिसाब जुटाया जा रहा है.
– डॉ. दिलिप रणमले, जिला स्वास्थ्य अधिकारी