जिले में 168 अस्पताल के रहते
अदृश्य बीमारी से तीन गायों की मृत्यु, पशुपालकों को कौन देगा नुकसान भरपाई?
अमरावती दि.6 – अचानक सुस्त होकर चारा-पानी की ओर दुर्लक्ष और बाद में सीधे मृत्यु ऐसी अद़ृश्य बीमारी के कारण पशुधन मुसीबत में आये हैं. जिले में 168 स्थानों पर पशु चिकित्सालय हैं. लेकिन इतनी बड़ी यंत्रणा उपलब्ध रहने पर भी पशुधन खोना पड़े तो यह व्यवस्था किस काम की? ऐसा सवाल इस निमित्त से सामने आया है. दरमियान पशुपालकों द्वारा नुकसान भरपाई की मांग की गई है.
यहां के एमआइडीसी परिसर के एक पशुपालक की तीन गायों की लगातार एक के बाद एक मृत्यु हो गई. गाय बीमार होने पर उन्होंने अनेक प्रयास किए. लेकिन समय पर मदद व औषधोपचार न मिलने से गाय की मौत हो गई. अस्पताल से संपर्क साधने पर डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं हुए और शहर के पशु चिकित्सकों के पास एम्बुलेन्स उपलब्ध न होने से गाय को सीधे अस्पताल नहीं ले जा सके. इसलिए पहले दो गायों की जगह पर ही मृत्यु हो गई. तीसरी गाय की इसी तरह मौत होने से डॉक्टरों से विनती कर शवविच्छेदन करवा लिया. इसलिए मृत्यु का ठोस कारण मिलने पर उन्हें अब मदद मिलने वाली है. दरमियान इसी पशुपालक की चौथी गाय भी बीमार होने से उस पर वहां के जिला पशु वैद्यकीय चिकित्सालय में उपचार जारी है.
दरमियान डॉक्टरों ने उनके पास के अन्य बछड़ों के रक्त नमूने लिए है व जांच के लिए वे अकोला की प्रयोगशाला में भेजने की तैयारी शुरु है. उनके द्वारा गोधन प्लास्टिक पन्नी के सेवन व वायरल इन्फेक्शन के कारण मृत होने का प्राथमिक निष्कर्ष व्यक्त किया गया है.
यातायात का साधन व तज्ञ डॉक्टर्स उपलब्ध न होने से ग्रामीण भाग की क्या स्थिति होगी, ऐसा विचारनीय मुद्दा भी इस निमित्त से सामने आया है.
जिले में इस तरह है यंत्रणा
– राज्य शासन के अस्पताल : 68
– जिला परिषद अस्पताल : 100
-डॉक्टर्स (मंजूर संख्या): 200+
– अस्पतालों की वर्गवारी : श्रेणी एक व श्रेणी दो
– औषधी की उपलब्धता : 50 हजार से 3 लाख प्रति दवाखाना