अमरावती/प्रतिनिधि दि.30 – जिले के सुपरस्पेशालिटी अस्पताल के निर्माण के पश्चात अब तक यहां सात किडनी गंवा चुके मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण कर उन्हें जीवनदान दिया गया है. किंतु पिछले डेढ साल से कोरोना के चलते स्वास्थ्य विभाग व्दारा अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण को अनुमति नहीं दी जा रही है. जिसके चलते 18 मरीज अब भी इंतजार में है और यह सभी 18 मरीज अनुमति की प्रतिक्षा कर रहे है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर के सुपरस्पेशालिटी अस्पताल में नैफरालॉजी विभाग के ट्रांसप्लांट कॉआर्डिनेटर को किडनी प्रत्यारोपण के कुल सात आवेदन प्राप्त हुए है. जबकि गत वर्ष इस विभाग में कुछ नए कर्मचारियों की भी नियुक्ति की गई थी. इसके बावजूद भी जिले में प्रत्यारोपण को लेकर कोई भी पहल नहीं की जा रही है. जबकि नैफरालॉजी विभाग के रखरखाव और कर्मचारियों के वेतन पर प्रतिमाह लाखों रुपए खर्च हो रहे है. इसके बावजूद भी किडनी की समस्या से त्रस्त मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा है इसका जिम्मेदार कौन है? इस सवाल का कोई जवाब प्रशासन के पास नहीं है.
जिले में जो 18 किडनी प्रत्यारोपण के मरीज प्रत्यारोपण की अनुमति का इंतजार कर रहे है उन सभी मरीजों के परिवार के सदस्यों व्दारा किडनी उपलब्ध करवाए जाने का निर्णय लिया गया है. 2016 में यहां पहला सफल प्रत्यारोपण किया गया. इसके बाद शहर में सिर्फ सात ही प्रत्यारोपण किए जा चुके है. पिछले वर्ष कोरोना मरीजों की बढती संख्या को देखकर प्रत्यारोपण की प्र्रक्रिया रोक दी गई थी. जबकि इस दौरान कुल 4 बे्रनडेड मरीजों व्दारा भी किडनी दान की जा चुकी है. शहर के निजी अस्पतालों में अव्ययव दान करने वाले व्यक्ति के महत्वपूर्ण अवशेष निकाले जाने की व्यवस्था मौजूद है. किंतु किडनी ट्रांसप्लांट किए जाने की व्यवस्था सिर्फ सुपरस्पेशालिटी अस्पताल में उपलब्ध है.
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ब्रेनडेड दो मरीजों के अंगदान से मिली चार किडनीयां
अमरावती जिले में इस साल दिमागी तौर पर मृत घोषित किए गए दो मरीजों के परिवार व्दारा अंगदान का निर्णय लिया गया था. जिसमें चार किडनियां प्राप्त हुई है. इसके बावजूद भी किसी स्थानीय मरीज को इसके जरिए जीवनदान दिए जाने की पहल नहीं की गई है.
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किडनी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया काफी जटिल
किडनी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया काफी जटिल होती है. इसके लिए बहुत सी मंजूरियों की आवश्यकता पडती है.कोरोना संक्रमण के कारण आवश्यक विभागों की ओर से मंजूरी न मिल पाने के कारण प्रत्योरोपण के कार्य रुके हुए है.
– डॉॅ. श्यामसुंदर निकम, शल्य चिकित्सक