21 वर्ष में 18 हजार किसानों ने की आत्महत्या
तमाम सरकारी प्रयास साबित हो रहे असफल व अपर्याप्त
आधे से भी कम किसान परिवारों को मिली है सरकारी सहायता
अमरावती – /दि.9 पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला करीब 21 वर्ष पहले शुरु हुआ था और इन 21 वर्षों के दौरान क्षेत्र के 18 हजार 595 किसानों द्बारा आत्महत्या किए जाने की जानकारी सामने आई है. बता दें कि, सरकार एवं प्रशासन के स्तर पर वर्ष 2021 से किसान आत्महत्याओं की जानकारी दर्ज करनी शुरु की गई है. जिसके मुताबिक वर्ष 2006 में सर्वाधिक 1295 किसानों द्बारा आत्महत्या की गई थी. वहीं विगत वर्ष 2021 के दौरान संभाग में 1 हजार 179 किसान आत्महत्याएं हुई थी. साथ ही जारी वर्ष के दौरान अक्तूबर माह के अंत तक 930 किसान आत्महत्याओं की जानकारी सामने आई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, इन 21 वर्षों के दौरान किसान आत्महत्याओं को रोकने हेतु सरकार द्बारा उठाए गए सभी कदम एवं शुरु की गई योजनाएं पूरी तरह से असफल व अपर्याप्त साबित हुए है.
बता दें कि, दिनोंदिन खेती किसानी में लागत बढ गई है और कडी मेहनत करने के बावजूद भी फसल बेचने के बाद किसानों के साथ खाली के खाली रह जाते है. इन दिनों अनियमित बारिश और प्रतिकुल मौसम की वजह से खेती-किसानी और फसलों का काफी बडे पैमाने पर नुकसान होता है. ऐसे में प्रतिवर्ष कर्ज लेकर अच्छी फसल होने की उम्मीद के साथ बुआई करने वाले किसानों के सिर पर कर्ज का बोझ लगातार बढता चला जाता है और बच्चों की पढाई-लिखाई व शादी-ब्याह के साथ ही परिवार की दैनिक जरुरतों को पूरा करने के लिए पैसा कहा से लाया जाए. इस चिंता और परेशानी की वजह से किसानों द्बारा अपने ही हाथों अपनी जिंदगी खत्म कर ली जाती है. ऐसे किसानों के परिवारों को सहारा व सहायता देने हेतु सरकार द्बारा विभिन्न मानकों के आधार पर आत्महत्याग्रस्त किसान परिवारों को सानुग्रह राशि प्रदान की जाती है. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि, यद्यपि सन 2001 से जारी वर्ष 2022 के अक्तूबर माह तक अमरावती संभाग में कुल 18 हजार 595 किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन इसमें से आधे से भी कम यानि 8 हजार 576 किसानों के परिवारों को ही सरकारी सहायता मिल पाई. वहीं करीब 9 हजार 820 मामलों को सरकारी सहायता मिलने हेतु अपात्र घोषित कर दिया गया.
बता दें कि, राजस्व विभाग के वर्ष 2005 के सरकारी निर्णयानुसार फसलों की बर्बादी, राष्ट्रीयकृत या सहकारी बैंक अथवा मान्यता प्राप्त साहुकार से लिए गए कर्ज का बोझ बढ जाने और कर्ज अदायगी के तगादे से परेशान होने इन तीन मानकों के आधार पर आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता देने की बात तय की गई है. इन तीन कारणों के चलते किसान द्बारा आत्महत्या किए जाने की बात साबित होने पर जिलास्तरीय समिति द्बारा पात्र ठहराए गए मामलों में संबंधित किसान के परिवार को 1 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाती है. इन मानकों में और सहायता राशि में विगत 16 वर्षों से कोई बदलाव नहीं किया गया है. ऐसे में 16 वर्ष पहले तय की गई 1 लाख रुपए की सहायता राशि आज के दौर में बेहद अत्यल्प साबित हो रही है. अत: किसान आत्महत्याओं के मानकों और आत्महत्या पश्चात प्रभावित परिवार को दी जाने वाली सहायता राशि में तुरंत बदलाव किए जाने की मांग की जा रही है.