अमरावती

एक साल में काटे गये 18,154 हेक्टेयर जंगल

महाराष्ट्र के 593 हेक्टेयर का समावेश

खदानों व रास्तों के लिए गई सबसे अधिक जमीन
अमरावती-दि.23 देश के अलग-अलग वन क्षेत्रों में करीब 18,154.41 हेक्टेयर वन जमीन अलग-अलग प्रकल्पों के लिए दी गई है. जिसमें महाराष्ट्र की भी 593.93 हेक्टेयर वन जमीन का समावेश है. विशेष उल्लेखनीय है कि, इसमें से सर्वाधिक जमीनें खदान एवं महामार्गों के काम हेतु दी गई है और इन कामों के लिए 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2021 के दौरान 18,154 हेक्टेयर जंगलों का अधिग्रहण किया गया.
केंद्रीय वन, पर्यावरण व मौसम में बदलाव मंत्रालय द्वारा आर्थिक वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट हाल ही में जारी की गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में सभी राज्यों में 1,731 विकास प्रकल्पों के प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रालय को प्राप्त हुए थे. लेकिन इससे अधिक प्रस्ताव मंत्रालय द्वारा स्वीकृत किये गये. मंत्रालय ने 2,078 प्रकल्पों को मंजुरी देते हुए इन प्रकल्पों हेतु 18,154.41 हेक्टेयर वन जमीन दी. गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा मध्यप्रदेश इन राज्यों में मांग से अधिक प्रकल्पों को मंजुरी दी गई और इन चारों राज्यों में भी सबसे अधिक वन जमीन अधिग्रहित की गई. इसमें भी मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 4,150.36 हेक्टेयर वन जमीन अधिग्रहित किये जाने के आंकडे सामने आये है.

* मांग की तुलना में आपूर्ति अधिक
– गुजरात में 188 प्रकल्पों के लिए 217 हेक्टेयर वन जमीन की मांग थी. लेकिन यहां पर 358 प्रकल्प मंजुर करते हुए 2132.92 हेक्टेयर वन जमीन का अधिग्रहण किया गया.
– पंजाब में 121 प्रकल्पों का ही प्रस्ताव था. लेकिन यहां पर 340 प्रकल्पों को अंतिम मंजुरी मिली और 576.33 हेक्टेयर वन जमीन उपलब्ध करायी गई.
– हरियाणा में 272 प्रस्ताव आये थे. लेकिन अंतिम मंजुरी 418 प्रकल्पों को मिली और 527 हेक्टेयर वन जमीन अधिग्रहित की गई.
– मध्य प्रदेश में 96 प्रकल्पों के लिए 2143.85 हेक्टेयर की मांग थी. लेकिन 190 प्रकल्प मंजुर करते हुए 4150.36 हेक्टेयर वन भूमि का अधिग्रहण किया गया.
– उत्तर प्रदेश में 127 प्रस्ताव थे. जहां पर 279 प्रकल्पों को मंजुरी देने के साथ ही 1794 हेक्टेयर वन जमीन आवंटित की गई.

रास्ते व खदानोें के लिए 9 हजार हेक्टेयर, महामार्ग विकास के लिए सबसे अधिक 4972.16 हेक्टेयर जमीन दी गई है. इसके साथ ही खदानों के लिए 4334.36 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई. साथ ही ट्रान्समिशन लाईन के लिए 2925.36 हेक्टेयर, सिंचाई के लिए 1982.33 हेक्टेयर तथा रेल्वे के लिए 909.88 हेक्टेयर वन जमीन अधिग्रहित की गई है. मंजूरी दिये गये अन्य प्रकल्पोें में बांध, संरक्षण, जलापूर्ति, शाला, उद्योग, पुनर्वसन, पाईप लाईन, सौर उर्जा, थर्मल पॉवर, ऑप्टीकल फाईबर केबल आदि विकास कामों के प्रकल्पों का समावेश है.

जनसंख्या वृध्दि की वजह से लगनेवाले साधन, मुलभूत विकास कार्य, रास्ते, रेलमार्ग, खदान व बांध जैसे अनेक कामों के लिए वन जमीनोें की जरूरत पडती है. वन संरक्षण कानून अंतर्गत सभी जंगलों का समावेश किया गया है. ऐसे में वन क्षेत्र में शामिल होनेवाली जमीनों को वन विभाग की अनुमति से हासिल किया जाता है और अब तक कई विकास कामों के लिए देश में बडे पैमाने पर वन जमीनों का अधिग्रहण होकर वन्य क्षेत्रों की कटाई की जा चुकी है. शहरी वनीकरण और सामाजिक वनीकरण जैसी योजनाओं के तहत किया जा रहा वनीकरण बेहद अपर्याप्त है. अत: सरकार ने वन जमीनों पर किसी भी तरह के नये प्रकल्प को अनुमति नहीं देनी चाहिए.
– प्रा. सुरेश चोपने
पर्यावरण अभ्यासक

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