अमरावती /दि.14- जिले में बेमौसम बारिश सहित मानसून पूर्व बारिश का दौर चल रहा है और बारिश के मौसम दौरान ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में सांप निकलने के मामले बढ जाते है. साथ ही इन दिनों रिहायशी बस्तियों में भी सांप दिखाई देने लगे है. जिसके चलते सर्पदंश की घटनाएं बढने लगी है. विगत एक वर्ष के दौरान जिले में सर्पदंश की 1 हजार 877 घटनाएं सामने आयी है. चूंकि आगामी दिनों में बारिश का जोर बढने वाला है. ऐसे में सभी नागरिकों ने सर्पदंश से बचने हेतु आवश्यक सावधानी व सतर्कता बरतनी चाहिए, ऐसा आवाहन सर्प मित्रों द्बारा किया गया.
उल्लेखनीय है कि, विगत कुछ दिनों से चल रही बारिश की वजह से बिल में रहने वाले सांप व बिच्छू निकलकर बाहर आने लगे है और रिहायशी बस्तियों के आसपास भी सांप दिखाई देने लगे है. अमूमन सांप किसी आड वाले स्थान पर छिपे रहते है. जिसकी वजह से वे एकदम से दिखाई नहीं देते. परंतु अगर कोई भी व्यक्ति उनके बेहद पास पहुंचा जाता है, तो वे इसे खुद के लिए खतरा मानकर उस व्यक्ति को डंस लेते है. ऐसे में बारिश के मौसम दौरान अपने घर व आसपास के परिसर को पूरी तरह से साफ-सूथरा रखा जाना चाहिए. ताकि सांप व बिच्छू को वहां पर छिपने के लिए कोई जगह न मिले. इसके साथ ही इन दिनों किसी भी अंधेरे वाले स्थान पर एकदम से हाथ नहीं डालना चाहिए. बल्कि पहले टॉर्च की रोशनी डालते हुए ऐसे स्थानों को ध्यान से देख लेना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती जिले का अधिकांश इलाके में खेती-बाडी व पहाडिया है. ऐसे स्थानों पर सांपों की मौजूदगी बडे पैमाने पर होती है. जिनमें नाग, घोनस, मन्यार व फुरसे जैसे जहरिले सांपों के साथ-साथ अन्य प्रजातियों के सांप भी पाए जाते है. यह सभी सांप खेतों में अथवा किसी कोने कपारे में छिपकर बैठे होते है. जिन पर गलती से पांव पड जाने या उनके छिपने की जगह को धक्का लगने पर वे डंस लेते है. विगत एक वर्ष के दौरान अमरावती जिले में 1 हजार 877 लोगों को सांपों द्बारा डंसा गया. जिसमें से 16 लोगों की सर्पदंश के चलते मौत भी हुई. ज्ञात रहे कि, सर्पदंश के बाद तुरंत ही योग्य इलाज नहीं मिलने पर मरीज की मौत भी हो सकती है. ऐसे में सभी सरकारी अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सर्पदंश पर त्वरित उपचार के लिए सुविधा उपलब्ध है. जहां पर सर्पदंश पश्चात नागरिकों ने तुरंत ही जाकर अपना इलाज कराना चाहिए, ऐसा आवाहन भी सर्पमित्रों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्बारा किया गया है.