अमरावती

1978 में हुई थी छह दिन की हड़ताल

ऐतिहासिक साबित हो रही एसटी की हड़ताल

-न निगलते बने न उगलते समान सरकार की हालत

परतवाड़ा/अचलपुर/दी ९- महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के 73 वर्षो के कार्यकाल में ताजा हो रही बेमियादी हड़ताल अब ऐतिहासिक साबित होने लगी है.इससे पूर्व तीन मर्तबा एसटी कामगार संघटना द्वारा आंदोलन-हड़ताल की गई थी,इसमें सर्वाधिक 6 दिन की हड़ताल 1978 में होने की जानकारी मिली है.विशेष यह कि पूर्व में कई गई सभी हड़ताल आर्थिक मुद्दों को लेकर की गई थी.उस वक्त अपवाद स्वरूप ही कर्मियों पर कार्रवाई  की गई थी.हाल-फिलहाल में शुरू एसटी कर्मियों के अनशन-आंदोलन और हड़ताल का विषय ही हटकर है.उन्हें राज्य शासन में विलीनीकरण चाहिए.इस मुद्दे पर सरकार खुद अधमरी दिखाई पड़ रही है.न निगलते बने और न उगलते समान राज्य सरकार की मजबूरी के स्पष्ट दर्शन होने लगे है.अपनी मांग को लेकर हड़ताल कर रहे कर्मचारियो को आज 37 दिन पूर्ण हो चुके है.बावजूद हड़ताल को समाप्त करने की दिशा में अभी तक कोई सरकारी प्रयास नहीं हुए है.सरकारी तंत्र के पास हड़ताल खत्म करने का कोई पर्यायी विकल्प भी देखने को नही मिल रहा है.इसके उलट किसान आंदोलन की तर्ज पर अब एसटी कर्मियों का यह आंदोलन भी उग्र होता जा रहा है.निगम की ओर से कर्मचारियो का निलंबन,सेवा से बर्खास्त, सेवा समाप्त,तबादला जैसी द्वेषपूर्ण कार्रवाइयों को अंजाम दिया जा रहा.इसके बाद भी एसटी कर्मचारी संघटना अपनी मांग पर मुस्तैदी से डटी नजर आती है.
निगम की ओर से नाममात्र कर्मचारियो के भरोसे पर बस फेरिया संचालित की जा रही है.चालक, वाहक और यांत्रिक कर्मचारी अपनी मांग को लेकर अडिग है.एसटी निगम के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियो पर कार्रवाई करने का भी यह पहला ही मौका है.निगम की ओर दे गंभीर और सख्त कार्रवाई कर कर्मियों को आहत किया जा रहा है.
इससे पूर्व 1978 में कर्मचारी संघटना की संयुक्त कृति समिति ने छह दिनों की हड़ताल की थी.दीपावली के बोनस में वृद्धि करने के लिए यह हड़ताल की गई थी.हड़ताल के मद्देनजर निगम द्वारा बोनस में 111 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी.इसके बाद 1989में चार दिनों की हड़ताल की गई थी.जल्द से जल्द अनुबंध करके वेतनवृद्धि करने की मांग को लेकर यह हड़ताल की गई.इस हड़ताल में स्थायी और नियमित कर्मचारियो ने खुलकर भाग लिया था.नये कर्मियों का इसमें सहभाग न होने की वजह से यात्री परिवहन सेवा पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा था.
सातवां वेतन आयोग लागू करने की मांग को लेकर 2016 में चार दिनों की हड़ताल की गई है.वेतन आयोग न देते हुए कर्मचारियो को 4849 करोड़ रुपये का पैकेज उक्त हड़ताल से प्राप्त हो सका.इस हड़ताल से पहले निगम सिर्फ 741करोड़ ही देने की तैयारी में था.हड़ताल ने आर्थिक समीकरण ही बदल कर रख दिये.इस हड़ताल में शामिल हुए दिहाड़ी कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई थी.कुछ कालावधि के बाद उन्हें पुनः सेवा में लिया गया.तब हड़ताल पर गये कर्मचारियो के वेतन में कटौती की गई थी.अब जो हड़ताल शुरू है वो न भूतों न भविष्यतो का एक रिकॉर्ड दर्ज करने की ओर अग्रसर है.

-दीपावली ओर हड़ताल,मुसाफिरो के हाल

एसटी कर्मचारियो द्वारा अभी तक किये गए सभी आंदोलन और हड़ताल दीपावली के समय ही किये गए है.इसके पीछे एक गहरी सोच है.दीपावली पर्व पर मुसाफिरो की सर्वाधिक भीड़  होती है.एसटी बस बंद होने से यात्रियों के हाल-बेहाल होने लगते.इसी वजह से आज तक निगम यह कर्मियों की मांग भी स्वीकार करता रहा है.ताजा जारी हड़ताल भी दीपावली से शुरू किया गया है,लेकिन हड़ताल समाप्त करने के सभी प्रयत्न अभी तक असफल साबित हुए है.

-800 करोड़ रुपयों का नुकसान

पिछले 37 दिनों से शुरू एसटी कर्मचारियो की हड़ताल के चलते परिवहन निगम को 800 करोड़ रुपयों का नुकसान होने का अनुमान है.दीपावली,पंढरपुर दर्शन जैसे अवसरों को भुनाने का मौका निगम को नही मिला.इसके अलावा शादियों का सीजन,विशेष अनुबंध के तहत भी एसटी निगम कमाई करने से वंचित हो गया है.अब एसटी बस से दूर हो चुके यात्रिओ को फिर एक मर्तबा एसटी की सवारी बनाने के लिए निगम को भागीरथी प्रयत्न करना पड़ेंगे.

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