सरकारी काम में बाधा पहुंचाने वाले 2 आरोपी दोषी करार
एक आरोपी को दो साल के कारावास तथा दूसरे आरोपी को 6 हजार के जुर्माने की सजा
अमरावती /दि.31- सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने के साथ ही सरकारी कर्मचारियों के साथ गालिगलौज व मारपीट करने को लेकर दर्ज किए गए दो अलग-अलग मामलों में नामजद दो आरोपियों को स्थानीय जिला अदालत ने दोषी करार दिया. जिसके तहत एक मामले में नामजद एक आरापी को अलग-अलग धाराओं के तहत अधिकतम दो वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5,500 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई. वहीं दूसरे मामले में नामजद एक अन्य आरोपी को अदालत द्बारा 6 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है. जुर्माना नहीं अदा करने पर दोनों आरोपियों को अलग-अलग अवधि का कारावास भुगतना होगा. दोनों मामलों में अतिरिक्त सरकारी अभियोक्ता सुनीत घोडेस्वार द्बारा सफल युक्तिवाद किया गया.
न्यायिक सूत्रों द्बारा दी गई जानकारी के मुताबिक 25 मई 2019 को शेंदूरजनाघाट के महावितरण कार्यालय में वरिष्ठ तंत्रज्ञ के तौर पर कार्यरत योगेश वसंत रडके (44) अपने सहयोगी रतीराम मन्नु कास्देकर के साथ मौजा मालखेड में बिजली का बिल बकाया रहने के चलते पुरुषोत्तम वासुदेव वडस्कर के यहां विद्युत आपूर्ति खंडित करने हेतु गए थे. उस समय पुरुषोत्तम वडस्कर ने विद्युत कनेक्शन काटे जाने का विरोध करते हुए दोनों विद्युत कर्मियों के साथ गालिगलौज, धक्का मुक्की व मारपीट की थी. जिसे लेकर शेंदूरजनाघाट पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी. पश्चात शेंदूरजनाघाट पुलिस ने पुरुषोत्तम वडस्कर के खिलाफ भादंवि की धारा 353, 186, 332 व 504 के तहत मामला दर्ज करते हुए जांच पूरी करने के बाद अदालत ने चार्जशीट पेश की. इस मामले की सुनवाई करते हुए चतुर्थ जिला न्यायाधीश आर. वी. ताम्नेकर की अदालत ने पुरुषोत्तम वडस्कर को सभी धाराओं के तहत दोषी करार दिया तथा भादंवि की धारा 353 के तहत एक वर्ष के सश्रम कारावास व 2 हजार रुपए के जुर्माने, धारा 186 के तहत 2 माह के सश्रम कारावास व 500 रुपए के जुर्माने तथा धारा 132 के तहत दो वर्ष के सश्रम कारावास व 3 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा नहीं करने पर अधिकतम 3 माह की सजा भुगतनी होगी. इस मामले में जांच अधिकारी के तौर पर शेघाट की एपीआई शुभांगी राउत, पैरवी अधिकारी के तौर पर एएसआई विनोद बाभुलकर व नापोकां अरुण हटवार ने सहयोग किया.
दूसरा मामला वलगांव पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत टाकरखेड शंभू गांव से संबंधित है. जहां पर प्रमोद बालाभाउ कांडलकर (55) ने तलाठी कार्यालय में पहुंचकर वहां पर कार्यरत महिला कोतवाल से पुराने तलाठी का मोबाइल नंबर मांगा, तो वहां कार्यरत तलाठी मनोहर गुलाबराव बेले (52) ने खुद का परिचय देते हुए कोई काम रहने पर अपने साथ बात करने हेतु कहा, तो प्रमोद कांडलकर ने ‘तू बीच में बोलने वाला कौन होता है’ ऐसा कहते हुए मनोहर बेले के साथ गालिगलौज की और कार्यालय का दरवाजा बंद करने हेतु मारने के लिए इट उठाई. इस समय कार्यालय में मौजूद लोगों ने बीच-बचाव करने के साथ ही प्रमोद कांडलकर को समझा बूझाकर वहां से रवाना किया. जिसके बाद पटवारी मनोहर बेले ने वलगांव पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई. शिकायत के आधार पर वलगांव पुलिस ने भादंवि की धारा 353, 504, 506, 352 व 442 के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया और जांच पूरी करते हुए अदालत में चार्जशीट पेश की. जहां पर पंचम जिला व सत्र न्यायाधीश ए. एस. आवटे की अदालत में मामले को लेकर सुनवाई हुई. अभियोजन पक्ष का युक्तिवाद ग्राह्य मानते हुए अदालत ने प्रमोद कांडलकर को भादंवि की धारा 353 व 504 के तहत दोषी करार दिया तथा धारा 353 के तहत 5 हजार रुपए दंड व धारा 504 के तहत 1 हजार रुपए के दंड की सजा सुनाई. दंड अदा नहीं करने पर आरोपी को अधिकतम 5 माह का कारावास भुगतना होगा. इस मामले में जांच अधिकारी के तौर पर वलगांव थाने के पीएसआई पी. जे. वेेरुलकर, पैरवी अधिकारी के तौर पर एएसआई विजय वाट व नापोकां अरुण हटवार ने सहयोग किया.