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अप्पर वर्धा बांध भी आधे से अधिक भरा
अमरावती/प्रतिनिधि दि.२६ – विगत तीन-चार दिनों से लगातार हो रही झमाझम बारिश की वजह से जिले के सभी छोटे-बडे बांधों में जलसंग्रहण की स्थिति सुधरने लगी है और पांच मध्यम प्रकल्पों में से चार मध्यम प्रकल्पों के 20 दरवाजों को खोलकर वहां से जलनिकासी करनी शुरू कर दी गई है. साथ ही नदी-नालों व नहरों के किनारे रहनेवाले सभी गांवों को सतर्क कर दिया गया है.
इस समय जिले के एकमात्र व सबसे बडे अप्पर वर्धा बांध में 308.07 दलघमी यानी 54.62 फीसद जलसंग्रहण है. वहीं मध्यम प्रकल्प में शामिल शहानूर में 59.17 फीसद जलसंग्रहण हो चुका है और पानी की लगातार हो रही आवक के चलते यहां के चार गेट खोलकर प्रति सेकंड 25.12 घनमीटर जलनिकासी की जा रही है. साथ ही 73.53 फीसद भर चुके चंद्रभागा प्रकल्प के 3 दरवाजों को खोलकर प्रति सेकंड 35.52 घनमीटर जलनिकासी की जा रही है. इसके अलावा पूर्णा प्रकल्प में 58.58 फीसद जलसंग्रह हो जाने और लगातार जलस्तर बढने के चलते 9 दरवाजों को खोलकर 60.51 घनमीटर पानी छोडा जा रहा है और सापन प्रकल्प में 66.48 फीसदी जलसंग्रहण हो जाने के चलते चार गेट को खोलते हुए प्रति सेकंड 31.20 घनमीटर पानी नहर में छोडा जा रहा है. वहीं इस समय पंढरी प्रकल्प में सबसे कम मात्र 8.36 फीसद जलसंग्रहण हुआ है.
उल्लेखनीय है कि, प्रतिवर्ष जिले के सबसे बडे अप्पर वर्धा बांध के दरवाजे खुलने की बडी आतुरता के साथ प्रतीक्षा की जाती है. इस बांध से जलनिकासी हेतु कुल 13 दरवाजे है और गत वर्ष बांध में पानी की जबर्दस्त आवक होने की वजह से सभी 13 दरवाजों को खोलने की नौबत आ गई थी. किंतु इस वर्ष इस बांध के जलसंग्रहणवाले इलाकों में पर्याप्त व समाधानकारक बारिश नहीं हुई है. जिसकी वजह से यह बांध फिलहाल आधे से कुछ अधिक भरा हुआ है. गत वर्ष इसी समय अप्पर वर्धा बांध में 412.71 दलघमी यानी 73.17 फीसद जलसंग्रहण था, जो इस वर्ष 306.73 दलघमी यानी 54.39 फीसद है. ऐसे में सभी की निगाहे इस बांध के भरने और यहां से जलनिकासी शुरू होने की ओर लगी हुई है. मोर्शी के निकट सिंभोरा में बनाये गये अप्परवर्धा यानी नलदमयंती बांध को एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है. हालांकि गत वर्ष बांध के सभी 13 दरवाजों को खोल दिये जाने के बावजूद भी लॉकडाउन काल की वजह से यहां पर लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित की गई थी. ऐसे में गत वर्ष लोगबाग यहां का विहंगम नजारा देखने से वंचित रह गये थे.