20 एचआईवीग्रस्त माताओं ने दिया निरोगी बालकों को जन्म
9 माह में 61330 गर्भवती महिलाओं की हुई एचआईवी जांच
अमरावती/दि. 31– एचआईवी कहने पर आज भी ऐसे मरीजों से दूर रहने का प्रयास किया जाता है. इस बीमारी बाबत गलत जानकारी के कारण अनेक लोग इस बीमारी के नाम से ही भयभीत हो जाते हैं. किसे गर्भवती माता का एचआईवी का निदान होता है, तब इस माता को और परिवार को अपने नवजात के जन्म से ही नरकयातना झेलनी पडती है. लेकिन ऐसी परिस्थिति में भी पिछले 9 माह में जिले की 20 एचआईवीग्रस्त महिलाओं ने निरोगी बालकों को जन्म देने की जानकारी अस्पताल प्रशासन ने दी है.
असुरक्षित लैंगिक संबंध तथा अन्य को कुछ कारणों से एचआईवी बीमारी होती है. इस बीमारी पर प्रभावी और परिणामकारक दवाई मिलने के लिए संशोधन शुरु है. इन्हीं प्रयासो में विविध तरह की गुणकारी दवाई की खोज हुई है. फिर भी इस बीमारी से मरीज को पूरी तरह स्वस्थ्य करने की दवाई निर्माण नहीं हुई है. कोई गर्भवती महिला यदि एचआईवीग्रस्त रही तो उसके बालक को भी संसर्ग होने की संभावना अधिक रहती है. ऐसी माताओं को एआरटी सेंटर से जोडकर उन्हें एचआईवी का प्रतिकार करने वाली दवाई शुरु की जाती है. यदि इन महिलाओं ने नियमित औषधोपचार, सकस आहार और सकारात्मक विचार रखने की सावधानी बरतना आवश्यक है. जिले में अप्रैल से दिसंबर 2023 की कालावधि में 61,330 गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच करने पर 16 गर्भवती एचआईवी पॉजिटिव पाई गई हैं.
* औषधोपचार आवश्यक
एचआईवी का निदान होने के बाद संबंधित व्यक्ति को नियमित औषधोपचार लेना आवश्क है. इस बीमारी के मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से नि:शुल्क दवाई शासकीय अस्पताल से दी जाती है. यदि गर्भवती माता एचआईवीग्रस्त रही तो उसके बच्चे को भी इस बीमारी का संसर्ग होने की संभवना अधिक रहती है.
* 536 एचआईवी महिलाओं की प्रसूती
जिले में 2007 से एआरटी केंद्र शुरु किया गया. इसके तहत गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच शुरु हुई. साथ ही इस केंद्र के माध्यम से एचआईवी को प्रतिकार करने वाली औषधी शुरु की गई. इस कारण इन 18 वर्षो में 536 गर्भवती महिलाओं की सफल प्रसूती हुई.
* एचआईवीग्रस्त महिला के बच्चे को संसर्ग से बचाना संभव
एचआईवीग्रस्त महिलाओं के बच्चों को अब इस बीमारी के संसर्ग से बचाना संभव है. नियमित औषधोपचार के कारण एचआईवीग्रस्त माता निरोगी बच्चे को जन्म दे सकती है. 9 माह में 20 एचआईवीग्रस्त महिलाओं की सफल प्रसूती हुई है.
– अजय साखरे,
जिला एड्स प्रतिबंध व नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी