अंजनगांव/दि.26 – किसानों की सोयाबीन की फसल उनके हाथों से निकल चुकी, अब किसानों के पास पर्यायी तौर पर कपास की फसल थी. किंतु कपास की फसल पर 60 से 65 हजार रुपए खर्च किए जाने के पश्चात किसानो के हाथों में मात्र 20 से 25 हजार रुपए का उत्पन्न लगा. यह स्थिति बोंड इल्ली व बोंडसड के कारण हुई है. कपास की फसल पर बोंड इल्ली का प्रादुर्भाव पडने की वजह से उत्पादन में कमी आयी है. जिसमें किसानों ने प्रशासन से सर्वेक्षण कर नुकसान भरपाई की मांग की है.
सोयाबीन के बनावटी बीज की वजह से सोयाबीन की फसल निकल ही नहीं पायी. जिससे किसानों पर कर्ज का बोझ बढ गया. अब कपास की फसल पर भी अतिवृष्टि के चलते रोग का प्रादुर्भाव बढा है. जिससे तहसील के खोडगांव, देवगांव, शेलगांव, पांढरी, चिंचोली, मुर्हा, दहीगांव, सातेगांव, वडाली, धारडी, निमखेड, अडगांव, लखाड क्षेत्र में कपास की फसल का नुकसान हुआ है.
बोंड इल्ली के पश्चात अब बोंडसड इस नए संकट ने भी उत्पात मचा रखा है. कपास की फसल की तुडवायी में 12 से 15 रुपए किलो का खर्च किया जा रहा है. जिसमें केवल तीन से चार क्विंटल कपास एक एकड में हो रहा है. 60 से 65 हजार रुपए किसानों द्वारा खर्च किए गए. किंतु उनके हाथों में केवल 20 से 25 हजार रुपए आ रहे है. जिसमें किसानो पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. किसानों ने प्रशासन से फसल का सर्वे कर नुकसान भरपाई की मांग की है.