अमरावती/दि.4– आगामी 20 मार्च को जिला परिषद के मौजूदा पदाधिकारियों व सदस्यों का कार्यकाल खत्म होनेवाला है. ऐसे में अब सभी के द्वारा चुनाव की घोषणा होने को लेकर प्रतीक्षा की जा रही है. किंतु हाल-फिलहाल के दौरान जिला परिषद के चुनाव होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे. क्योंकि इस समय तक गण व गट की प्रारूप रचना भी नहीं हो पायी है. ऐसे में 21 मार्च से पहले चुनाव होकर नये सदन का गठन करना पूरी तरह से असंभव है. जिसके चलते 20 मार्च को मौजूदा सदन का कार्यकाल खत्म होते ही 21 मार्च से जिला परिषद में प्रशासक राज शुरू हो सकता है. जिसके तहत जिला परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पास जिला परिषद के कामकाज संबंधी पूरे अधिकार सौंपे जाने की संभावना है. प्रशासक के कार्यकाल की अवधि कितनी होगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि, चुनाव कब होते है.
उल्लेखनीय है कि, ग्रामीण विकास के केंद्र बिंदू के तौर पर जिला परिषद की ओर देखा जाता है और इसे जिले का मिनी मंत्रालय भी कहा जाता है. विगत दो वर्षों के दौरान जिला परिषद के मौजूदा पदाधिकारियों व सदस्यों को कोविड संक्रमण के चलते कामकाज करने में काफी समस्याएं व दिक्कतें भी आयी और जिला परिषद का कामकाज काफी हद तक प्रभावित हुआ. वहीं अब जिला परिषद का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. ऐसे में अब सभी की निगाहें राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव को लेकर लिये जानेवाले निर्णय की ओर लगी हुई है. किंतु अब तक गट व गण की रचना, आरक्षण का ड्रॉ बाकी रहने के चलते चुनाव होने में काफी वक्त लग सकता है. जिसके चलते यह तय है कि, 21 मार्च से पहले किसी भी स्थिति में जिला परिषद के चुनाव नहीं हो सकते. ऐसे में संविधान के प्रावधानानुसार मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल खत्म होते ही सदस्यों की सदस्यता रद्द करते हुए कामकाज से संबंधित पूरे अधिकार प्रशासक के पास दिये जायेंगे. किंतु अब इसे लेकर भी अलग-अलग मतप्रवाह शुरू हो गये है. कुछ लोगोें का मानना है कि, जिस तरह जिप सदस्य अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर पूरी तत्परता के साथ काम करते हैं, प्रशासक द्वारा वैसा नहीं किया जा सकेगा. ऐसे में या तो मौजूदा सदस्यों को ही समयावृध्दि दी जाये, या फिर प्रशासक नियुक्त करते समय प्रशासकीय मंडल गठित करते हुए इसमें सत्ताधारी व विपक्षी सदस्यों का समावेश किया जाये. वहीं दूसरी ओर जिला परिषद के सत्ता पक्ष व विपक्ष के कई सदस्यों का साफ मानना है कि, मौजूदा सदन का कार्यकाल खत्म होने के बाद जिला परिषद में सीधे प्रशासक की ही नियुक्ति की जानी चाहिए.