अमरावती प्रतिनिधि/दि.२० – बीते जुलाई से सितंबर में हुई मूसलाधार उसके बाद अब अक्टूबर में हुई वापसी की बारिश से खरीफ फसल का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. खराब हो चुकी फसलों की औसत 40 फीसदी है. जबकि सोयाबीन सफल का नुकसान 93 फीसदी पर पहुंच गया है. जिसके चलते जिला प्रशासन ने नुकसान के ऐवज में सरकार से 214 करोड रुपए की डिमांड की है.
यहा बता दें कि, जिले के 14 तहसीलों में खरीफ के दौरान विविध फसले 6 लाख 77 हजार 893 हेक्टर क्षेत्र में आयी. सोयाबीन, कपास, तुअर इन मुख्य फसलों सहित मूंग, उडद व अन्य फसलों की बुआई किसानों ने की. इस बार मानसून की एंट्री जल्दी होने से बुआई कार्य किसानों ने शिघ्र ही निपटाया. जुलाई व आगस्त माह में बारिश ने औसत पार कर दी. सितंबर में मूसलाधार बारिश ने भी औसत में जोर ला दिया. जिसके परिणाम स्वरुप मूंग व उडद की फसल किसानों के हाथ से निकल जाने के साथ ही सोयाबीन को अधिक क्षति पहुंची. कपास को भी बारिश ने नुकसान की श्रेणी में लाकर खडा कर दिया. जिला राजस्व प्रशासन ने नुकसान के सर्वेक्षण में 3 लाख 2 हजार 60 किसानों को बारिश का झटका लगा है. सोयाबीन सहित कपास, तुअर, ज्वार, मकई, धान, उडद व मूंग का नुकसान होने का पंजीबद्ध किया गया. 2 लाख 69 हजार 659 हेक्टर क्षेत्र में सोयाबीन भी बुआई की गई थी. उनमें से 2 लाख 36 हजार 301 हेक्टर क्षेत्र में सोयाबीन को कम-ज्यादा प्रमाण में झटका लगा है. इसमें से 33 फीसदी सोयाबीन पूरी तरह से खराब हो गई है. जबकि आंशिक रुप से खराब हुई सोयाबीन का औसत 93 फीसदी है. इसके अलावा 10 हजार 478 हेक्टेअर क्षेत्र का कपास बाधित हुआ है. 2 लाख 44 हजार हेक्टर क्षेत्र का कपास का रकबा है. उस पर भी वापसी की बारिश का खतरा बना हुआ है. 1 लाख 6 हजार 164 हेक्टर क्षेत्र की तुअर में से 1579 हेक्टर क्षेत्र की तुअर खराब हो गई है. मूंग व उडद भी पूरी तरह से हाथ से निकल गई है. जिले में 3 लाख 2 हजार 60 किसानों की खरीफ मौसम की फसल प्रभावित हुई है. नुकसान का आंकडा 188 करोड 47 लाख पर है. जिला राजस्व प्रशासन ने सरकार के पास इन किसानों सहित फल बगानों व सब्जियों की उगाई करने वाले किसानों को नुकसान के ऐवज में 214 करोड रुपए की मदद मांगी गई.