राष्ट्रीय योगासन प्रतियोगिता में 230 प्रतिभागियों ने दिखाई योगशक्ति
श्री हव्याप्र मंडल में राष्ट्रीय योगासन प्रतियोगिता
* 8 राज्यों के प्रतियोगी का सहभाग
अमरावती/दि.05– योग: चित्त- वृत्ति निरोध: योग सूत्र 1.2 भारतीय संस्कृति की नींव, योग की ताकत आज वैश्विक स्तर पर सभी की दिनचर्या बन गई है. आत्मा को परमात्मा में मिलाने की यह प्रक्रिया हर देशवासी में अंतर्भूत हो ओर प्राचीन योगासन का ज्ञान आम लोगों तक पहुंचे, इसी लक्ष्य के साथ 2 अक्तूबर सोमवार को श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के योग विभाग में एक दिवसीय द्बितीय राष्ट्रीय योगासन खुली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. इस राष्ट्रीय योगासन प्रतियोगिता में देश के 8 राज्यों से 230 प्रतिभागियों ने भाग लिया और योगशक्ति प्रस्तुत की .
बृहन महाराष्ट्र योग परिषद , श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के आईकेएस केंद्र, मंडल के डिग्री कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन के सहयोग से योग प्रभाग में आयोजित दूसरे एक दिवसीय राष्ट्रीय योग ्रप्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में डिग्री कॉलेज ऑफ फिजिकल एज्युकशन के प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास देशपांडे अध्यक्ष रूप में उपस्थित थे. उद्घाटन मंडल के सचिव एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र (आयकेएस) की समन्वयक प्रो. डॉ. माधुरीताई चेंडके, डॉ. अरूण खोडस्कर, योग विभाग प्रमुख डॉ. सुनील लाबडे और गिरीजन कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन चिखलदरा के प्राचार्य अतुल निंबेकर और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरूआत गणमान्य व्यक्तियों द्बारा दीप प्रज्वलन से हुई. इस अवसर पर खोडस्कर ने विभिन्न योग आसन प्रस्तुत कर योग प्रतियोगिता की शुरूआत की.
कार्यक्रम का मार्गदर्शन करते हुए उद्घाटनकर्ता प्रो. डॉ. माधुरीताई चेंडके ने कहा योग शब्द संस्कृत धातु युज से लिया गया है. जिसका अर्थ है आत्मा का परमात्मा में विलय. योग भारत में हजारों साल पुराना ज्ञान और जीवनशैली है. श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल अपनी स्थापना के बाद से ही इस अभ्यास को बढावा दे रहा है और इसे आम लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बना रहा है. अब मंडल में स्थापित भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र (आईकेएस) के माध्यम से इस योग प्रचार, प्रसार के आंदोलन को ताकत मिल गई है और यह सभी के लिए एक दिनचर्या बन गई है. कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास देशपांडे ने कहा योग, योगासन केवल व्यायाम और आसन नहीं है. यह भावनात्मक संतुलन का विज्ञान है और उस अनादि अनंत सार का दोहन करके आध्यात्मिक प्रगति की सभी संभावनाओं की पहचान करता है. राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता के माध्यम से योग आंदोलन के स्तंभ तैयार किए जा रहे है. कार्यक्रम का परिचय येाग विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील लाबडे ने मंडल की योग एवं शारीरिक शिक्षा की जानकारी प्रस्तुत की. संचालन प्रो. अर्चना देशपांडे और आभार प्रा.प्रतीक पाथरे ने माना.